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खाने से मुंह मोड़ रहे हैं दिल्ली के एक प्रतिशत

नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता अगर आपका बच्चा अनाज से मुंह मोड़ रहा है या फिर अनाज खाते ही उसे उल्टियां और दस्त हो जाते हैं तो सिलिएक बीमारी का शिकार हो सकता है। दिल्ली के एक प्रतिशत बच्चों इस बीमारी...

खाने से मुंह मोड़ रहे हैं दिल्ली के एक प्रतिशत
Fri, 07 Dec 2012 11:56 PM
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नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता

अगर आपका बच्चा अनाज से मुंह मोड़ रहा है या फिर अनाज खाते ही उसे उल्टियां और दस्त हो जाते हैं तो सिलिएक बीमारी का शिकार हो सकता है।

दिल्ली के एक प्रतिशत बच्चों इस बीमारी के शिकार हैं, जिसका कोई इलाज नहीं। हालांकि सही समय पर जांच कर उचित डाइट से इससे बचा जा सकता है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और लोकनायक अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मालविका भट्टाचार्या ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर के पांच हजार बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि एक प्रतिशत बच्चों सीलिएक के शिकार हैं। अध्ययन में सामान्य बच्चों को भी शामिल किया गया। अधिकांश माता-पिता इस बीमारी से अनजान हैं।

सिलिएक सपोर्ट संस्था के डॉ. एसके मित्तल ने बताया कि एक बार बीमारी की पहचान होने पर बच्चों को हमेशा बिना अनाज का खाना दिया जाता है, इसीलिए इसके इलाज में दवा नहीं बल्कि डाइट का अधिक महत्व होता है। खून की साधारण जांच से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। सही समय पर पहचान न होने बड़ाे में भी यह बीमारी देखी गई है। लड़कियों में सीलिएक का असर उम्र बढ़ने के बाद प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है।

इससे पीड़ित अधिकांश लड़कियों का हीमोग्लोबिन आजीवन 7 से 8 ग्राम तक ही रहता है। कस्तूरबा गांधी अस्पताल की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा नारायण ने बताया कि अमेरिका और आस्ट्रेलिया में ग्लूटिन फ्री और डबि्बा बंद खाने में ग्लूटिन की मात्रा निर्धारित कर दी गई है। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से इस बाबत खाद्य पदार्थो को ग्लूटिन फ्री करने और जांच लैबारेटरी खोलने की मांग की गई है। क्या है सिलिएक गेहूं, जौ, ओट और जई में ग्लूटिन नामक प्रोटीन होता है, जो सिलिएक एलर्जी का कारण होता है।

इसका सबसे अधिक असर ऐसे बच्चों पर पड़ता है, जिनके खून में एचएलए एंटीजन पाया जाता है। एंटीजन के कारण प्रोटीन पच नहीं पाता और बच्चों को उल्टी और दस्त हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को ग्लूटिन फ्री अनाज जैसे चावल और बेसन युक्त आहार दिया जाता है। कैसे होती है जांच खून की साधारण एंटी टीटीजीए जांच से बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसमें खून में एंटीजन की जांच की जाती है। इसके बाद इंडोस्कोपी से आंत के आंतरिक हिस्से (विलय) के एक छोटे से टुकड़े की बायोप्सी की जाती है।

बायोप्सी जांच के बाद बीमारी की पुष्टि होती है। इसके बाद बच्चों को ग्लूटिन फ्री आहार दिया जाता है। क्या रखें ध्यान -यदि अनाज खाने के बाद तुरंत हो उल्टी -यदि बच्चा लंबे समय तक एनीमिया का शिकार हो-उम्र के अनुसार यदि लंबाई नहीं बढ़ पा रही है -पेट के नीचले हिस्से में लगातार दर्द बना रहता है -या फिर अनाज सामने आते ही बच्चा मुंह मोड़ लेता हैं।

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