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निजी छात्रावास भी बन सकते हैं कमाई का जरिया

कॉलेजों या व्यावसायिक स्थानों के आसपास निजी छात्रवास खोले जाएं तो वे स्वरोजगार का अच्छा साधन बन सकते हैं। गोरखपुर से दो लड़कियां दिल्ली रहने आईं। उन्हें रहने के लिए कोई अच्छी जगह चाहिए थी, जहां वे...

निजी छात्रावास भी बन सकते हैं कमाई का जरिया
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Feb 2012 03:11 PM
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कॉलेजों या व्यावसायिक स्थानों के आसपास निजी छात्रवास खोले जाएं तो वे स्वरोजगार का अच्छा साधन बन सकते हैं।

गोरखपुर से दो लड़कियां दिल्ली रहने आईं। उन्हें रहने के लिए कोई अच्छी जगह चाहिए थी, जहां वे आराम से रह सकें और उन्हें सारी सुविधाएं भी सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकें। ऐसे में उन्होंने ऐसे आवास की तलाश की, जहां उन्हें 4 हजार में एक ऐसा कमरा मिला, जिसमें न सिर्फ दो बैड थे, बल्कि बिजली और पानी की सुविधा भी थी। आज के समय में पूरी सुविधाओं के साथ अच्छा निजी छात्रावास मिलना बहुत मुश्किल होता है। जाहिर है, जिसकी मांग ज्यादा होती है, उस काम में आमदनी भी अच्छी होती है। ऐसे में निजी या पीजी आवास आपके लिए एक अच्छा स्वरोजगार हो सकता है।

छात्रावास खोलने की प्रक्रिया
सबसे पहले आपको यह यह तय करना है कि आप लड़कियों के लिए सुविधा मुहैया करवा रहे हैं या फिर लड़कों के लिए। इसके बाद ही आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास कितने रूम हैं और आपके हर रूम में एक, दो या तीन, कितने लोग रह सकते हैं। फिर आप यह देखिए कि आपको प्रति व्यक्ति कितना किराया रखना है। इसमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि आपकी लागत भी निकल जाए और लाभ भी बच जाए।

बेसिक ट्रेनिंग
इस काम में ट्रेनिंग खुद के अनुभव से मिलती है। आपको लोगों से डील करना आना चाहिए और पढ़ने वाले लोगों की क्या कुछ समस्याएं हो सकती हैं या फिर आ सकती हैं, इस तरह की बातों की जानकारी होना भी जरूरी है।

मार्केट रिसर्च
आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप जिस स्थान पर छात्रावास खोलने जा रहे हैं, उसके आसपास कितने और छात्रावास या हॉस्टल हैं। आपके आसपास कॉलेज, यूनिवर्सिटी, कोचिंग सेंटर इत्यादि हैं या नहीं। आपका छात्रावास बस स्टैंड, मेन रोड और मेट्रो इत्यादि से कितनी दूर है। आप छात्रवास जिस जगह पर खोलने जा रहे हैं, वहां आसपास कितने बच्चे बाहर से आकर किराए पर रह रहे हैं। इन सब बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है।

विज्ञापन
यदि आपका छात्रावास स्कूल, कॉलेज या यूनिवर्सिटी के आसपास है तो आप इन इलाकों में विज्ञापन छपवा सकते हैं। आसपास के लोगों को इस बारे में बता सकते हैं। पेंफ्लेट छपवा सकते हैं। लोकल अखबारों में इश्तिहार दे सकते हैं। बैनर्स लगवा सकते हैं, प्रॉपर्टी डीलर को अपने बारे में बता सकते हैं। शुरुआत में ही आपको विज्ञापन की आवश्यकता पड़ती है, उसके बाद तो लोगों को खुद-ब-खुद पता चल जाता है।

कितने व्यक्तियों की जरूरत होगी
यह काम एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। इसके लिए आपको कई लोगों की जरूरत पड़ती है। एक सिक्योरिटी गार्ड, एक रिसेप्शनिस्ट, एक कुक, दो सफाई कर्मचारी, एक चपरासी, एक सभी चीजों की देखरेख और लोगों की समस्याओं को सुलझाने वाला केयर टेकर।

ध्यान रखने योग्य बातें

जिस भी व्यक्ति को अपने यहां रख रहे हैं, उसके सभी डॉक्यूमेंट्स अच्छी तरह से जांच लें। जरूरत पड़े तो उसके परिवार वालों से भी संपर्क करें या फिर वैरिफिकेशन इत्यादि करवाएं। यह सुरक्षा की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण बात है।

छात्रावास में आमतौर पर एग्रिमेंट्स नहीं होते, क्योंकि सभी छात्र या पढ़ने वाले बच्चों का समय निश्चित नहीं होता कि वह 11 महीने तक रुक ही जाएंगे। वैसे भी साल में होने वाली लंबी छुट्टियों के कारण भी ऐसा होता है, क्योंकि लंबी छुट्टियों पर जाने वाले बच्चे अक्‍सर छात्रावास बदल लेते हैं।

आप यदि किसी से रूम खाली करवाना चाहते हैं तो 1 महीने पहले नोटिस दें। इतना ही नहीं, यदि वह व्यक्ति भी रूम खाली करना चाहता है तो उसे सख्त हिदायत दें कि वह रूम छोड़ने से कम से कम 1 महीना पहले सूचना दे दे।

जब भी किसी को कमरा दें तो बतौर सिक्योरिटी 1 महीना एडवांस भी ले लें, ताकि व्यक्ति यदि समय से अपना किराया न दे पाए तो आप एडवांस किराए से वसूल कर लें।

कमरा देते समय व्यक्ति की फोटो उसके डॉक्यूमेंट्स की फोटो कॉपी, आईडी प्रूफ इत्यादि के लिए अलग से फाइल बनाएं।

आपका हॉस्टल किस एरिया में कहां पर कितना अंदर है, यह सभी बातें आपका किराया तय करती हैं। फिर चाहे आप कितनी ही अच्छी सुविधाएं क्यों न दें।

आपको अपने हॉस्टल में नियमित रूप से जाना चाहिए और लोगों की समस्याओं को खुद जाकर सुनना चाहिए। इससे लोगों में आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा और यही खूबी आपके हॉस्टल को कामयाब बनाएगी।

आपको हॉस्टल के लिए किसी से परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं होती, अगर आप कानूनी तौर पर पूरा टैक्स भरते हैं।

सक्सेस स्टोरी
सफलता आपके व्यवहार पर निर्भर है
प्रिया सिंह
सर्वप्रिय हॉस्टल की मालकिन, मेरठ

2001 में अपने घर से ही हॉस्टल शुरू करने वाली प्रिया सिंह बताती हैं कि जब उन्होंने घर में ही हॉस्टल शुरू करने की सोची, उस समय उनका घर बड़ा था और बच्चे छोटे। ऐसे में उन्होंने मेरठ में अपने ही घर में हॉस्टल शुरू करने की सोची, जहां सबसे पहले उन्होंने चार लड़कियों को किराए पर कमरा देने के लिए 15 से 20 हजार रुपए में  सभी सुख-सुविधाएं मुहैया करवायीं।

प्रिया बताती हैं कि चार लड़कियों के किराए से उन्होंने चार अन्य लड़कियों के रहने का इंतजाम किया। प्रति व्यक्ति मात्र 1300 रुपए रखा था, लेकिन आज यह प्रति व्यक्ति 2600 रुपए लेती हैं। प्रिया के हॉस्टल में आज तकरीबन 52 लड़कियां हैं, जिन्हें फर्नीचर, टीवी, फ्रिज, वॉटर कूलर, मैस में घर का खाना, यहां तक कि टिफिन की सुविधाएं भी मिलती हैं। प्रिया बताती हैं कि लड़कियां बहुत संवेदनशील होती हैं। उन्हें अपनी बात बताने के लिए किसी बड़े का साथ चाहिए होता है, उनकी ये कमी मैं दूर करती हूं।

प्रिया बताती हैं कि हॉस्टल के काम में अच्छी इनकम है, लेकिन आपके पास अच्छा स्टाफ और मेंटनेंस होना जरूरी है। साथ ही आपका व्यवहार भी आपके हॉस्टल की सफलता तय करता है।

आप घर से दूर रहने वाली लड़कियों को जितना पारिवारिक माहौल देंगे, वे आप के साथ उतना ही सुरक्षित और सहज महसूस करेंगी और आपको अपना समझोंगी।

एक्सपर्ट व्यू
हॉस्टल के बिजनेस में लाभ बहुत है
विनोद कुमार छाबड़ा
गोविंद पीजी हॉस्टल के मालिक, नई दिल्ली

2008 में पार्टनरशिप में हॉस्टल चलाने वाले विनोद छाबड़ा आज अकेले ही अपने इस रोजगार को सफलता से चला रहे हैं। विनोद बताते हैं कि जरूरी नहीं कि आप पार्टनरशिप में ही इस बिजनेस को शुरू करें। आप बिना पार्टनरशिप के भी बढ़िया तरीका से इस बिजनेस को चला सकते हैं। छात्रावास चलाने के लिए आपके पास यदि पर्याप्त स्थान नहीं है तो भी आप काम शुरू कर सकते हैं। किराए पर जगह लेने की बजाए आप किसी ऐसे व्यक्ति को भी अपने साथ जोड़ सकते हैं, जिसके पास फर्नीचर और एक छात्रावास चलाने जितनी जगह हो। बस आपको करना यह होगा कि आप उस व्यक्ति को कुल कमाई का 50 फीसदी दे दीजिए और हॉस्टल में प्रयोग होने वाली सभी सुविधाएं खुद से मुहैया करवाइए।

विनोद कहते हैं कि यदि आपको एक डबल रूम शेयरिंग में 6000 रुपए मिलते हैं और ट्रिपल रूम शेयरिंग में 5000 हजार तो भी आपको नुकसान की बजाय फायदा ही होगा। आपके पास जो 50 फीसदी बचता भी है तो उसमें से आपको भी 20 से 30 फीसदी बचेगा ही। यानी आप प्रति व्यक्ति एक हजार रुपए आसानी से बचा सकते हैं। ऐसे में यदि आपके पास बीस व्यक्ति हैं तो महीने में बीस हजार की आमदनी आसानी से हो सकती है। छात्रवास को सुचारु रूप से चलाने के लिए आपको कुछ स्टाफ और जगह की निरंतर मेंटनेंस की जरूरत होगी। इसके लिए आपकी लागत भी बहुत अधिक नहीं होगी।

फैक्ट फाइल
योग्यता

आपका व्यवहार अच्छा होना चाहिए।
आपको मैनेजमेंट आना चाहिए।
विश्वसनीय होना चाहिए।

संभावनाएं
घर में ही कमरे किराए पर देना और घर की जगह को अच्छी तरह से व्यवस्थित करके छात्रावास के रूप में बना कर देने में बहुत फर्क है। लेकिन यह भी सच है कि एक छोटी-सी जगह से ही छात्रवास की शुरुआत की जा सकती है। आपकी लागत और अन्य खर्चो के बावजूद प्रति व्यक्ति 30 फीसदी लाभ होना लगभग तय है।

कार्य
छात्रावास के लिए माहौल तैयार करना, उसमें रहने वाले लोगों की जरूरतों का ख्याल रखना, प्रॉपर्टी, फर्नीचर और अन्य चीजों की मेंटनेंस, सभी सुविधाएं मुहैया करवाना, सभी के लिए शेडय़ूल बनाना, स्टाफ रखना, छात्रवास में रहने वाले लोगों की समस्याओं को सुलझाना आदि काम आपको करने होंगे।

आमदनी
छात्रावास के काम में सबसे बड़ी बात है कि आपकी लागत कितनी है। आप कैसी और कितनी सुविधा मुहैया करवा रहे हैं, इसी बात पर आपकी आमदनी निर्भर करती है। वैसे आपके पास यदि 100 लोग हॉस्टल में रहने वाले हैं और प्रति व्यक्ति आपको 1000 रुपए बचते हैं तो आप एक महीने में ही 1 लाख रुपए बचा सकते हैं। आप इसे अपना मेन बिजनेस भी आराम से बना सकते हैं। इतना ही नहीं, आपका बजट जितना बड़ा होगा, आपको आमदनी भी उतनी ही अधिक होगी।

जगह
छात्रावास का काम करने के लिए आपका घर भी हो सकता है, आपकी कोई अन्य प्रॉपर्टी भी हो सकती है या फिर किराए की कोई जगह हो सकती है या फिर आप पार्टनरशिप में भी इस बिजनेस को चला सकते हैं। इसमें एक पार्टनर की जगह हो तो दूसरा पार्टनर सारा पैसा लगाता है, ऐसी व्यवस्था भी आप कर सकते हैं।

लागत
छात्रावास के काम में आपको न सिर्फ अपनी जगह का रखरखाव करना होता है, बल्कि आपको फर्नीचर भी ठीक करवाना होता है, पानी, बिजली की समस्या इत्यादि को सुलझाना होता है। इन सब में लगने वाला पैसा यदि एक बार का 50 हजार है तो इसकी वसूली भी आराम से हो सकती है। यानी आप 15-20 हजार रुपए इन्वेस्ट करके 30 फीसदी लाभ हर महीने कमा सकते हैं।

जरूरी सामान
फर्नीचर- टेबल, कुर्सी, अलमारी, बेड।
टीवी, फ्रिज, वॉटर कूलर, गद्दे, चादर, परदे, टय़ूबलाइट, पंखे, पानी की मोटर।
बाथरूम की जरूरी चीजें जैसे बाल्टी, मग इत्यादि।
किचन में प्रयोग होने वाली सभी जरूरी चीजें, गैस, सिलेंडर और बर्तन।
इसके अलावा फोन की सुविधा होना भी बहुत जरूरी है।

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