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तनाव का सागर

चीन की तरफ से आया यह बयान कि वह विवादग्रस्त दक्षिण चीन सागर में अपने कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य व नागरिक सुविधाओं में वृद्धि करना जारी रखेगा, यह बताता है कि इस समस्या का अभी कोई हल नहीं निकलने वाला।...

तनाव का सागर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 29 Nov 2015 09:32 PM
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चीन की तरफ से आया यह बयान कि वह विवादग्रस्त दक्षिण चीन सागर में अपने कृत्रिम द्वीपों पर सैन्य व नागरिक सुविधाओं में वृद्धि करना जारी रखेगा, यह बताता है कि इस समस्या का अभी कोई हल नहीं निकलने वाला। बीजिंग के अपने रवैये पर अड़े रहने का ही नतीजा है कि यह टकराव बढ़ता जा रहा है। इस सप्ताह आयोजित एशिया-पैसेफिक इकोनॉमिक कॉरपोरेशन का सम्मेलन भी, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व कई अन्य राष्ट्रों के प्रमुख मौजूद थे, गतिरोध तोड़ने में नाकाम रहा।

इसका एक कारण यह भी है कि चीन किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मुद्दे पर चर्चा करने या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कुबूल करने से इनकार करता रहा है। दक्षिण चीन सागर से जहाजों की बेरोक-टोक आवाजाही वैश्विक कारोबार के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस रास्ते से सालाना पांच लाख करोड़ डॉलर का व्यापार होता है। समस्या की जड़, चीन का इस सागर के 90 फीसदी हिस्से पर अपनी 'संप्रभुता' का दावा करना है। चीन ने इनकार किया है कि वह विवादित जल क्षेत्र का सैन्यीकरण कर रहा है।

बीजिंग की मानें, तो वह कृत्रिम द्वीपों पर नागरिक सुविधाओं को 'बढ़ाने और उन्हें उन्नत बनाने' की योजना पर काम कर रहा है, जिसे 'शांतिपूर्ण' माना जाना चाहिए। मगर मनीला में बुधवार को ओबामा ने कुछ तल्ख लहजे में चीन से विवादित क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बंद करने को कहा। हालांकि उनकी सलाह चीन ने तत्काल खारिज भी कर दी। साफ है, चीन दक्षिण चीन सागर में अपने दावे को लेकर काफी संजीदा है। बहरहाल, अमेरिका का सहयोग उन देशों का आत्मविश्वास बढ़ाएगा, जिनका चीन के साथ विवाद है।

मसलन, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए अमेरिका अगले दो वर्षों में 25.9 करोड़ डॉलर की मदद करेगा। फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया व मलेशिया वाले इलाकों की सुरक्षा पर यह राशि खर्च की जाएगी। ऐसे में, दक्षिण चीन सागर विवाद का समाधान तभी संभव है, जब चीन सहमति बनाने की दिशा में खुद पहल करे। एशिया प्रशांत में सुपर पावर होने के कारण उसका यह कर्तव्य होना चाहिए कि वह ऐसे कृत्यों से बचे, जिससे तनाव पैदा होते हों। 
 द पेनिन्सुला, कतर

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