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Hindi Newsretail inflation crosses 6 percent mark

आंकड़ें देखकर अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता, खुदरा महंगाई बढ़ी, निर्यात घटा

ताजा वृहत आर्थिक आंकड़ों ने अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है। खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति जहां जुलाई में बढ़कर 23 महीने के उच्च स्तर 6.07 पर पहुंच गयी वहीं औद्योगिक...

आंकड़ें देखकर अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता, खुदरा महंगाई बढ़ी, निर्यात घटा
एजेंसीSat, 13 Aug 2016 10:31 AM
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ताजा वृहत आर्थिक आंकड़ों ने अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ा दी है। खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमत की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति जहां जुलाई में बढ़कर 23 महीने के उच्च स्तर 6.07 पर पहुंच गयी वहीं औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जून में 2.1 प्रतिशत रही। 

निर्यात जून में बढ़ने के बाद जुलाई में फिर घट गया। इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात घटने से जुलाई में इसमें एक साल पहले के मुकाबले 6.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 

हालांकि, शेयर बाजारों में कल तेजी रही। बीएसई सेंसेक्स 293 अंक उछलकर 28,152.40 अंक पर जबकि एनएसई निफ्टी 80 अंक की बढ़त के साथ 8,672.15 अंक पर बंद हुआ। 

औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) तथा जुलाई के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े आने से पहले शेयर बाजार में निवेशकों ने लिवाली बढ़ा रखी थी।

सरकार द्वारा कल जारी आंकड़ों के बाद उद्योग जगत पूंजी लागत में कमी लाने तथा आर्थिक मांग को गति देने के लिये ब्याज दर में कटौती की मजबूती के साथ मांग कर सकता है। हालांकि, मुद्रास्फीति में वृद्धि कटौती की गुंजाइश कम कर सकती है क्योंकि महंगाई दर रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर निकल गयी है।   

औद्योगिक उत्पादन कम
औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर पिछले महीने के 1.1 प्रतिशत के मुकाबले तो अधिक है लेकिन एक वर्ष पूर्व इसी माह के 4.2 प्रतिशत से कम है। विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के साथ पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में भारी गिरावट से औद्योगिक उत्पादन कम हुआ है।

खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति निरंतर ऊपर की ओर बढ़ रही है। चीनी, तेल एवं वसा तथा मसालों की मांग त्योहारों के दौरान बढ़ने से खाद्य वस्तुओं के दाम चढ़े हैं।

'निवेश मांग का पटरी पर आना चिंता का विषय'
वृहत आर्थिक आंकड़ों पर उद्योग मंडल फिक्की के महासचिव ए़ दीदार सिंह ने कहा, निवेश मांग का पटरी पर आना चिंता का विषय बना हुआ है जो पहली तिमाही में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में तीव्र गिरावट से प्रतिबिंबित होता है। 

उन्होंने कहा, सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को प्रभावित करने वाले संरचनात्मक मुद्दों के समाधान के लिये जो कदम उठाये हैं उसे जारी रखने और उसमें तेजी लाने की जरूरत है ताकि विनिमार्ण क्षेत्र की वृद्धि में तेजी आ सके।

सरकार के आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आधारित औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जून 2015 में 4.2 प्रतिशत रही।

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की अवधि में औद्योगिक उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 0.6 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल इसी अवधि में इसमें औद्योगिक उत्पादन में 3.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों से पता चलता है कि सूचकांक में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र में जून में महज 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में इसमें 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

अप्रैल-जून तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन में 0.7 प्रतिशत की कमी आयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में इसमें 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में जून में 16.5 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि पिछले साल इसी महीने में इसमें दो प्रतिशत की गिरावट आयी थी। अप्रैल-जून अवधि में इन वस्तुओं का उत्पादन 18 प्रतिशत घटा जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में इसमें दो प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन को निवेश का आइना माना जाता है। 

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि जून में घटकर 5.6 प्रतिशत पर आ गयी जबकि एक वर्ष पूर्व इसी महीने में इसमें 16.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। उपभोक्ता गैर-टिकाउ सामान की वृद्धि दर आलोच्य महीने में केवल 1.0 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पूर्व इसी महीने में 2.3 प्रतिशत थी।

कुल मिलाकर उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में जून में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो एक वर्ष पूर्व इसी महीने में 7.2 प्रतिशत थी। हालांकि बिजली उत्पादन में आलोच्य महीने में रिकार्ड 8.3 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई जो इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने में 1.2 प्रतिशत थी।

खनन क्षेत्र में इस साल जून में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक वर्ष पूर्व इसमें 0.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

उद्योगों के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र के 22 औद्योगिक समूह में से 18 में जून महीने में सकारात्मक वृद्धि हुई। आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में 5.77 प्रतिशत पर थी। जुलाई, 2015 में यह 3.69 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा सितंबर, 2014 के बाद सबसे ऊंचा है। उस समय खुदरा मुद्रास्फीति 6.46 प्रतिशत थी।

खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी
जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.35 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जून में 7.79 प्रतिशत थी।    

सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ नई मौद्रिक नीति मसौदा समझौता अगले पांच साल के लिये दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति का लक्ष्य 4 प्रतिशत रखा है। 

चीनी और कन्फेक्शनरी उत्पादों की महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 21.91 प्रतिशत हो गई, जो जून में 16.79 प्रतिशत थी। इसी तरह तेल-घी वर्ग की मुद्रास्फीति 4.96 प्रतिशत तथा मसालों की 9.04 प्रतिशत पर पहुंच गई। मोटे अनाजों की मुद्रास्फीति माह के दौरान बढ़कर 3.88 प्रतिशत रही, वहीं अंडे 9.34 प्रतिशत महंगे हो गए। जून में अंडों की मुद्रास्फीति 5.51 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन महीने में दूध और उसके उत्पाद 4.13 प्रतिशत महंगे हुई। इनकी मुद्रास्फीति जून में 3.43 प्रतिशत थी।
 
फलों की मुद्रास्फीति माह के दौरान 3.53 प्रतिशत रही। वहीं सब्जियों के लिए यह 14.06 प्रतिशत तथा दालों के लिए 27.53 प्रतिशत रही। जुलाई में शहरी क्षेत्र के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.39 प्रतिशत रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 

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