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राजस्थान में पूरे साल सोता रहा विपक्ष, सरकार बजाती रही चैन की बंसी

चौक चौराहों पर राजनीतिक दंगलबाजी और पैंतरेबाजी से दूर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से रंगे राजस्थान में बीते साल, प्रतिपक्ष अमूमन सोता रहा और कांग्रेसनीत सरकार चैन की बंसी बजाती...

राजस्थान में पूरे साल सोता रहा विपक्ष, सरकार बजाती रही चैन की बंसी
एजेंसीMon, 17 Dec 2012 11:58 AM
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चौक चौराहों पर राजनीतिक दंगलबाजी और पैंतरेबाजी से दूर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से रंगे राजस्थान में बीते साल, प्रतिपक्ष अमूमन सोता रहा और कांग्रेसनीत सरकार चैन की बंसी बजाती रही।
   
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जहां पूरे साल प्रतिपक्ष पर विपक्ष का धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाते रहे, वहीं दूसरी ओर मुख्य प्रतिपक्ष की भूमिका में भारतीय जनता पार्टी अपने ही घर में चल रहे उठा पटक के खेल में उलझी रही।
   
गहलोत ने प्रतिपक्ष के आरोप पर कहा कि प्रतिपक्ष का काम सरकार की कमियां उजागर कर जनता को लाभ पहुंचाना होता है, लेकिन प्रतिपक्षी भाजपा को अपने झगड़ों से फुर्सत मिले तो जनता का ध्यान आए।
   
उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पता नहीं है, वे देश में हैं या विदेश में। उनकी पार्टी वाले खुद एक दूसरे से पूछते नजर आते हैं। नेता प्रतिपक्ष के बयान जरूर आ जाते हैं, लेकिन यह बयान जयपुर से आए, दिल्ली से या फिर विदेश से, इस बारे में पार्टी वाले खुद भी नहीं जानते। पार्टी खुद उनको ढूंढ रही है, जिस पार्टी के नेता का यह हाल हो उसे जनता की याद कहां से आएगी। इस बारे में मुझे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है, जनता और उनकी पार्टी वाले खुद समझते हैं।
  
प्रदेश सरकार के मुखिया अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर चन्द्रभान ने कहा कि प्रतिपक्ष को प्रदेशवासियों की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकषिर्त कर उनके समाधान के लिए सदन का उपयोग करना चाहिए लेकिन आपस में बंटा प्रतिपक्ष (भारतीय जनता पार्टी) एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए सदन में बेवजह शोरशराबा और हंगामा करवा कर सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से नहीं चलने देता।
   
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉक्टर अरुण चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के कथन का प्रतिरोध करते हुए कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है, सरकार ने लोकतंत्र का मजाक उड़ाने के कीर्तिमान स्थापित किए हैं, इसी वजह से प्रतिपक्ष को सदन से वाक आउट कर, सदन के बाहर धरना देना पड़ा और राज्यपाल की शरण में जाना पड़ा।
   
भाजपा ने सदन में कम बैठकों, बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी, महंगाई, ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को राहत दिलाने, बिगड़ती कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए प्रदर्शन किए, लेकिन आन्तरिक गुटबाजी के कारण यह प्रदर्शन मात्र रस्म अदायगी रहे।
   
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व गहमंत्री गुलाब चंद कटारिया की मेवाड़ क्षेत्र में प्रस्तावित यात्रा को लेकर पार्टी में जबरदस्त बवाल मचा। आखिर केन्द्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद पार्टी में आया उफान उपरी तौर पर शांत हुआ। कटारिया ने कहा, मैंने पार्टी की मजबूती और परेशान प्रदेशवासियों की समस्याएं जानने के लिए यात्रा निकालने का मन बनाया था, लेकिन बाद में मैंने पार्टी हित में इसे स्थगित कर दिया क्योंकि मैं पार्टी का सिपाही हूं।
   
माकपा विधायक दल के नेता अमरा राम धौद ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने किसानों, मेहनतकश लोगों और श्रमिकों का जीना मुश्किल कर रखा है। किसान बिजली, पानी, बीज खाद पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने के कारण मुश्किल में हैं, सरकार सुनती नहीं, आखिर किसको कहें, मंहगाई ने गरीबों का निवाला छीन लिया है।
   
उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए कहा कि एक सांपनाथ है, तो दूसरा नागनाथ।
   
सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) के प्रदेशाध्यक्ष रवीन्द्र शुक्ला एवं प्रदेश महामंत्री वी एस राणा ने कांग्रेस सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार ने हमेशा पूंजीपतियों का साथ दिया है। शुक्ला का ध्यान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से एक जनवरी से प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी की दरों की घोषणा की ओर दिलाने पर उन्होंने कहा, यह घोषणा कब हो गई।

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