झारखंड के मुख्यमंत्री का इस्तीफा, राष्ट्रपति शासन के आसार
झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने उनकी सरकार से सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के समर्थन वापस लेने के बाद आज राज्यपाल सैयद अहमद से भेंटकर अपना इस्तीफा सौंप...
झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने उनकी सरकार से सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के समर्थन वापस लेने के बाद आज राज्यपाल सैयद अहमद से भेंटकर अपना इस्तीफा सौंप दिया और इसके साथ ही उन्हें विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले से अवगत कराया।
मुंडा ने राजभवन में राज्यपाल से भेंट के बाद संवाददाताओं से कहा कि मैंने राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने के अपने फैसले से अवगत करा दिया और इसके साथ ही उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
उन्होंने कहा कि हमने लगभग दो साल तक राज्य में स्थिर सरकार चलायी, लेकिन अब जब अस्थिरता के आसार नजर आने लगे तो हमें लगा कि यह नये सिरे से जनता के पास जाने का समय है और इसलिये विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी।
मुंडा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी सरकार ने जब मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया था तब वह अल्पमत में नहीं थी। उन्होंने कहा कि औपचारिक तौर पर समर्थन वापसी के बाद ही कोई सरकार अल्पमत में आती है।
उनसे पूछा गया था कि क्षामुमो के समर्थन वापसी के बाद उनकी सरकार अल्पमत में आ गयी थी, ऐसे में राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश कोई अल्पमत की सरकार कैसे कर सकती है। राज्यपाल पर अल्पमत की सरकार की सिफारिश मानने की कोई बाध्यता नहीं होती।
मुख्यमंत्री के साथ उनके सहयोगी दल आजसू के मंत्री चन्द्र प्रकाश चौधरी, जदयू के गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर और भाजपा के मंत्री सत्यानंद झा एवं अन्य भाजपा विधायक भी थे।