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कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा को किया बेदखल

वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद सत्ता विरोधी लहर पर सवार कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 36 सीटें जीतकर भाजपा से प्रदेश की सत्ता छीन ली। राज्य में कांटे...

कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा को किया बेदखल
एजेंसीThu, 20 Dec 2012 10:21 PM
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वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद सत्ता विरोधी लहर पर सवार कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 36 सीटें जीतकर भाजपा से प्रदेश की सत्ता छीन ली।

राज्य में कांटे की टक्कर होने की अटकलों को गलत साबित करते हुए कांग्रेस ने राज्य विधानसभा की 68 सीटों में से 36 पर जीत दर्ज कर राज्य में बहुमत हासिल कर लिया। इसके साथ ही राज्य में 1977 के बाद से अब तक किसी भी पार्टी के लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाने का रिकार्ड बरकरार रहा।

सत्तारूढ भाजपा को इस बार 26 सीटें मिली हैं जबकि हिमाचल लोकहित पार्टी ने एक तथा निर्दलीयों के खाते में पांच सीटे गई हैं। इनमें से अधिकांश कांग्रेस और भाजपा के बागी हैं। वैसे कांग्रेस पिछले चुनावों में उसे बेदखल करने वाली भाजपा के उन चुनावों के रिकार्ड की बराबरी नहीं कर पायी। वर्ष 2007 में हुए चुनावों में भाजपा को 41 तथा कांग्रेस को 23 सीटें मिली थीं।

गौरतलब है कि राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 35 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। पांच बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष 78 वर्षीय वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण सीट पर जीत दर्ज की। वीरभद्र ने इस सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी भाजपा के ईश्वर रोहल को 20 हजार मतों से पराजित किया। उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का सशक्त दावेदार माना जा रहा है। चुनाव परिणाम से ऐसा प्रतीत होता है कि उनसे जुड़े सीडी प्रकरण का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा जिसके कारण उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। उनके खिलाफ भाजपा ने केंद्र में इस्पात मंत्री रहते भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे।

हमीरपुर सीट पर मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने कांग्रेस के नरिन्दर ठाकुर को 9500 मतों से पराजित किया। उनके मंत्रिमंडल के चार सहयोगी नरिन्दर बराग्टा, खिमी राम, कृष्ण कुमार और रोमेश धवना हालांकि चुनाव हार गए।

गुलाब सिंह, मोहिन्दर सिंह, जयराम ठाकुर, रविन्दर सिंह रवि, सरवीन चौधरी और ईश्वर दास धीमान जैसे धूमल के मंत्रिमंडल सहयोगी चुनाव जीतने में सफल रहे। विपक्ष की नेता विद्या स्ट्रोक्स थेयोग से विजयी रही, जबकि वीरभद्र सिंह के धुर विरोधी माने जाने वाले विजय सिंह मनकोटिया शाहपुर से चुनाव हार गए।

कांग्रेस ने चुनाव में भाजपा से 22 सीटें छीनी जबकि भाजपा सात सीट छीनने में सफल रही। हिमाचल लोकहित पार्टी के महेश्वर सिंह पार्टी के टिकट पर जीतने वाले एकमात्र उम्मीदवार रहे। पार्टी ने 36 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किये थे। माकपा, भाकपा, बसपा सपा और अन्य दलों का राज्य में खाता नहीं खुला।

कांग्रेस ने शिमला, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में शानदान प्रदर्शन किया। शिमला की आठ में छह सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की, जबकि कांगड़ा की 15 में से 10 और कुल्लू की चार में दो सीटों पर ने जीत दर्ज की। आदिवासी बहुल भारमौर, किन्नौर और लाहौल स्पिति में भी कांग्रेस विजयी रही।

सिरमौर, चम्बा और सोलन में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। मंडी जिले में भाजपा और कांग्रेस पांच़ पांच सीटें जितने में सफल रही। वीरभद्र सिंह कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार माने जाते हैं और अभी वह लोकसभा के सदस्य भी हैं। सिंह ने कहा कि हाईकमान ने उन्हें पार्टी को प्रदेश में सत्ता में वापसी का दायित्व सौंपा था और इसके लिए उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी थी।

मुख्यमंत्री पद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी फैसला करेंगी।

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