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दिल्‍ली: पत्‍नी के शव के साथ पांच घंटे तक सड़क पर गुजारी रात

पटरी पर चाय की दुकान चलाने वाला छोटे लाल के पास अपनी मृत पत्नी का शव रखने की भी जगह नहीं मिली। यह हाल है देश की राजधानी का। इलाज के दौरान हुई मौत के बाद पत्नी का शव रखना भी छोटे के लिए एक बड़ी समस्या...

दिल्‍ली: पत्‍नी के शव के साथ पांच घंटे तक सड़क पर गुजारी रात
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 13 Sep 2016 06:27 PM
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पटरी पर चाय की दुकान चलाने वाला छोटे लाल के पास अपनी मृत पत्नी का शव रखने की भी जगह नहीं मिली। यह हाल है देश की राजधानी का। इलाज के दौरान हुई मौत के बाद पत्नी का शव रखना भी छोटे के लिए एक बड़ी समस्या बन गई। उसे पत्नी का शव अस्पताल में रखने की इजाजत नहीं दी गई और मकान मालिक ने भी उसे घर में रखने से मना कर दिया। 

ऐसे में सोमवार रात करीब पांच घंटे तक प्राइवेट एंबुलेंस पर पत्नी की शव लेकर छोटे ने सड़क पर ही गुजार दिए। हालांकि गनीमत यह रही कि इस दौरान रात के वक्त अस्पताल के समीप गश्त कर रहे एक पुलिसकर्मी की नजर उस पर पड़ गई तो उसकी मदद से गांव के प्रधान ने पत्नी का शव रखवाने की व्यवस्था की। बहरहाल इस पूरे मामले की पुलिस जांच कर रही है।
 
यह हाल है देश की राजधानी का। यमुनापार के आनंद विहार इलाके की ये घटना प्रशासन की लापरवाही का जीत-जागता सबूत है। इलाके में स्थित डॉक्टर हेडगेवार अस्पताल में छोटे की पत्नी अंजू की इलाज के दौरान रात करीब नौ बजे मौत हो गई थी। इसके बाद महिला मंजू के शव को उसके पति छोटेलाल के हवाले किया गया। छोटे प्राइवेट एम्बुलेंस से शव को अस्पताल से लेकर कड़कड़डूमा स्थित अपने घर पहुंचा। यहां वह किराए के मकान में रहता है।

मकान विरेंद्र नाम के शख्स का है। छोटे के मुताबिक मकान मालिक ने यह कहा कि वह घर में शव न रखे। बल्कि इसे एम्बुलेंस में रखे या फिर अस्पताल में या फिर कहीं और ले जाकर रखवा दे। इस पर उसकी परेशानी बढ़ गई। दरअसल उसके पास शव रखने का कोई दूसरा ठिकाना नहीं था। लिहाजा वह एम्बुलेंस पर शव लेकर दोबारा अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां भी उससे यह कहा गया कि महिला की मौत हो चुकी है। शव उसे एक बार सुपुर्द कर दिया गया है। इसे दोबारा अस्पताल में रखने का कोई मतलब नहीं है वह इसे अपने साथ ही लेकर जाए। 

छोटे परेशान हालत में अस्पताल के पास ही पत्नी के शव के साथ कुछ सोच रहा था कि इतने में गश्त कर रहे एक पुलिसकर्मी सतपाल की नजर उस पर पड़ी। उसने लाश लेकर सड़क पर खड़े होने का कारण पूछा तो मामले का खुलासा हुआ। फिर पुलिसकर्मी ने थाने में फोन किया। वहां से गांव के प्रधान  भंवर सिंह के पास फोन गया तो उन्होंने शव रखने की व्यवस्था कराई। मंगलवार सुबह फिर गांव वालों की मदद से शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

मकान मालिक ने दिए थे रुपये
वहीं जब मकान मालिक से इस संबंध में पुलिस ने पूछताछ की तो यह पता चला कि एम्बुलेंस वाले को उसने दो हजार रुपये देकर शव को किसी मोर्चरी या फिर कहीं और सुरक्षित जगह पर रखवाने की बात कही थी। हालांकि छोटे लाल को यह समझ में नहीं आया और वह एंबुलेंस में ही शव लेकर पांच घंटे तक इधर-उधर घूमता रहा। 

मौत के कारणों का दस्तावेज नहीं 
छोटे लाल की पत्नी की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हुई लेकिन उसके पास मौत के कारणों व अस्पताल से संबंधित एक भी दस्तावेज नहीं था। जांच में यह बात सामने आई है। दरअसल छोटे बुखार व शरीर में तेज दर्द की शिकायत करने पर अपनी पत्नी को अस्पताल लेकर गया था। वहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। अब अस्पताल प्रशासन से इस बारे में पूछताछ की जा रही है कि महिला का इलाज करने के लिए कोई दस्तावेज क्यों नहीं बनाया गया। हालांकि इस संबंध में अस्पताल की तरफ से कोई बयान नहीं मिला। 

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