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लड़की के नाम पर संशोधित कानून के नामकरण पर विवाद

दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की के नाम पर संशोधित बलात्कार विरोधी कानून का नामकरण करने पर विवाद गहरा गया है। एक तरफ केंद्र ने जहां इसे स्थापित नियमों के खिलाफ बताया, वहीं कुछ संवैधानिक...

लड़की के नाम पर संशोधित कानून के नामकरण पर विवाद
एजेंसीWed, 02 Jan 2013 09:27 PM
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दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की के नाम पर संशोधित बलात्कार विरोधी कानून का नामकरण करने पर विवाद गहरा गया है। एक तरफ केंद्र ने जहां इसे स्थापित नियमों के खिलाफ बताया, वहीं कुछ संवैधानिक विशेषज्ञ इसे जायज बता रहे हैं।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस तरह के नामकरण की कोई संभावना नहीं है, हालांकि कुछ तबकों से ऐसा करने के सुझाव आ रहे हैं।

बुधवार को खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि किसी गैंगरेप पीड़िता के नाम पर कानून का नाम रखने का कोई प्रावधान भारत में नहीं है। दूसरी तरफ संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने एक खबरिया चैनल से बातचीत में कहा कि इस तरह का नामकरण किया जा सकता है।

गौरतलब है कि 1929 के चाइल्ड मैरेज रिस्ट्रेंट एक्ट के तहत लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 14 और लड़कों की शादी की उम्र को 18 कर दिया गया था। खास बात यह है कि इस एक्ट को नाम राय साहब हरिबिलास सारदा के नाम पर सारदा एक्ट भी कहा गया जो लोगों में अधिक चर्चित हुआ,  क्योंकि उन्होंने इसकी पहल की थी।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वर्मा समिति की ओर से जनवरी के आखिर में रिपोर्ट दायर करने के बाद उसकी अनुशंसाओं के अनुसार नया कानून बनाया जाएगा। गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में किसी व्यक्ति के नाम पर किसी कानून का नामकरण करने के प्रावधान नहीं है।

एक अधिकारी ने कहा कि भारत में किसी व्यक्ति के नाम पर कोई कानून नहीं बनाया गया है। आईपीसी और सीआरपीसी में ऐसा करने का कोई प्रावधान नहीं है। मामले को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है।

कई लोगों के अलावा केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने मंगलवार को कहा था कि अगर लड़की के माता-पिता को कोई आपत्ति नहीं हो तो संशोधित कानून का नाम लड़की के नाम रखा जाना चाहिए।

उधर, सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के बीच आरोप-प्रत्यारोप के कारण खड़े विवाद की गृह मंत्रालय की ओर से की जा रही जांच अभी पूरी नहीं हुई है।

अधिकारी ने कहा कि हम इस जांच के जल्द पूरी होने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर कोई समयसीमा नहीं बताई जा सकती।

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