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नकदी हस्तांरण पर अप्रसन्न चुनाव आयोग ने जवाब मांगा

आचार संहिता लागू होने के दौरान सरकार द्वारा नकदी हस्तांरण योजना की घोषणा पर अप्रसन्नता जताते हुए चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर इस मामले पर कल शाम तक सरकार से जवाब मांगा है। आयोग ने यह...

नकदी हस्तांरण पर अप्रसन्न चुनाव आयोग ने जवाब मांगा
एजेंसीMon, 03 Dec 2012 10:03 AM
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आचार संहिता लागू होने के दौरान सरकार द्वारा नकदी हस्तांरण योजना की घोषणा पर अप्रसन्नता जताते हुए चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर इस मामले पर कल शाम तक सरकार से जवाब मांगा है। आयोग ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार ऐसा नहीं कर पाती है तो वह इस मामले में उचित कदम उठाएगा।

कैबिनेट सचिव अजीत सेठ को कठोर शब्दों में लिखे पत्र में आयोग ने सरकार द्वारा इस योजना की घोषणा के समय पर अप्रसन्नता जाहिर की। आयोग ने कहा है कि गुजरात चुनाव को देखते हुये इसे रोका जा सकता था। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने कैबिनेट सचिव से इस मामले में सोमवार शाम तक तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। अगर हमें कोई जवाब नहीं मिलता तो हम कार्रवाई करेंगे। सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा लिखा गया यह पत्र इस मसले पर दूसरा पत्र है।

भाजपा की गुजरात इकाई ने गुएवार को आयोग में इस मसले पर याचिका दायर की थी। भाजपा का आरोप था कि यह आचार संहिता का उल्लंघन है।
 इसके अगले दिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतत्व में वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात की थी और इस घोषणा के खिलाफ शिकायत की थी।

इस योजना की जिन 51 जिलों के लिये घोषणा की गई है उनमें से चार जिले गुजरात में हैं जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आयोग से शिकायत के बाद आडवाणी ने कहा था कि एक बार चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद योजनाएं घोषित नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि नकदी हस्तांतरण योजना की घोषणा हुई है जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उन्हें इस योजना से बाहर रखा जा सकता था। सरकार को चुनाव आचार संहिता के दौरान ऐसा नहीं करना चाहिए था। गुजरात में 13 और 17 दिसंबर को चुनाव होने हैं और राज्य में आचार संहिता लागू है। 

चिदंबरम ने पहले विपक्ष के इस आरोप को नकार दिया कि यह योजना मध्यावधि चुनाव की संभावना को देखते हुये लोगों को रिश्वत देना है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि यह बेतुका तर्क है। भाजपा ने सरकार का तर्क खारिज करते हुए कहा है कि आचार संहिता के दौरान कोई सत्ताधारी दल किसी भी रूप में वित्तीय मदद मुहैया नहीं करा सकता।

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