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Hindi News'देश के हितों के लिए बेहद नुकसानदायक है खुदरा क्षेत्र में एफडीआई'

'देश के हितों के लिए बेहद नुकसानदायक है खुदरा क्षेत्र में एफडीआई'

बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को देश के उपभोक्ताओं, किसानों और छोटे कारोबारियों के हितों के लिए बेहद नुकसानदायक करार देते हुए विपक्षी दलों ने आज सरकार से कहा कि वह इससे...

'देश के हितों के लिए बेहद नुकसानदायक है खुदरा क्षेत्र में एफडीआई'
एजेंसीThu, 06 Dec 2012 09:13 PM
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बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को देश के उपभोक्ताओं, किसानों और छोटे कारोबारियों के हितों के लिए बेहद नुकसानदायक करार देते हुए विपक्षी दलों ने आज सरकार से कहा कि वह इससे संबंधित अपनी नीति को तुरंत वापस ले।

हालांकि सरकार ने कहा कि देश के सभी वगो के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है और इससे देश की प्रगति तथा समृद्धि में मदद मिलेगी।
   
बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के लोकसभा में गिर जाने के बाद आज राज्यसभा में मतदान के प्रावधान वाले नियम के तहत हुई चर्चा में भाजपा और अन्नाद्रमुक ने सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा और बसपा की करनी और कथनी में अंतर होने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि कल दूसरे सदन में सपा और बसपा ने इस नीति का विरोध करने के बावजूद मतदान के समय सदन का बहिष्कार करके सरकार का साथ दिया।
   
उच्च सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करते हुए अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन ने कहा कि उनकी पार्टी इस अल्पमत सरकार के निर्णय को अस्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता तमिलनाडु में कभी भी इस निर्णय को लागू नहीं होने देंगी।
   
मैत्रेयन ने आरोप लगाया कि कल लोकसभा में बसपा और सपा ने इस नीति का विरोध करने के बावजूद मतदान के समय सदन से बहिर्गमन करके वेन्टीलेटर पर चल रही सरकार को बचा लिया।
   
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे तो उन्होंने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का विरोध किया था। यही नहीं, 2005 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री से यह जानना चाहा था कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई आने से क्या प्रभाव पड़ेगा।
   
मैत्रेयन ने कहा कि यदि 2014 में केंद्र में उनके समर्थन से सरकार बनने की नौबत आती है तो वह खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की नीति को पलट देंगे।

विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने आरोप लगाया कि सरकार को बहुमत जुटाने के लिए तमाम तरह के समक्षौते करने पड़ रहे हैं। इसकी वजह से जांच एजेंसियों, संवैधानिक संस्थाओं और देश को तमाम तरह की कीमतें चुकानी पड़ रही हैं।
   
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार में शामिल और उसे बाहर से समर्थन दे रहे द्रमुक, सपा तथा बसपा जैसे दल इस नीति का विरोध करते हैं लेकिन मतदान के समय सरकार का साथ देते हैं।
   
जेटली ने कहा कि हमें पश्चिम के विकसित देशों से सुधारों की परिभाषा सीखने की जरूरत नहीं है। हमारे देश में एफडीआई किस क्षेत्र में आए, यह हमें तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर परिवर्तन सुधार नहीं हो सकता।
   
विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार के इस तर्क में कोई दम नहीं है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के आने से देश में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत देश में रोजगार के अवसर कम होंगे। उन्होंने कहा कि अभी देश में 51 फीसदी लोग स्वयं के आधार पर जीविकोपार्जन कर रहे हैं। महज 18 फीसदी लोग ही व्यवस्थित नौकरियों में हैं तथा 30 फीसदी लोग बेरोजगार हैं या उन्हें समुचित रोजगार नहीं मिला है।
   
जेटली ने कहा कि सरकार के इस दावे में भी कोई दम नहीं है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई आने से देश के विनिर्माण क्षेत्र को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वालमार्ट जैसे बड़े रीटेल चेन अपना सामान वहां से खरीदते हैं जहां यह उन्हें सस्ती कीमतों पर मिलता है।
   
उन्होंने कहा कि सरकार को विनिर्माण क्षेत्र में सुधार के बिना यह नीति नहीं लानी चाहिए थी। इस नीति के कारण हमारा विनिर्माण क्षेत्र भी तबाह हो जाएगा और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बहुत कम हो जाएंगे।
   
जेटली ने कहा कि सरकार का यह दावा भी बड़ा भ्रामक है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के आने से बिचौलिये हट जाएंगे और उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर सामान मिलेगा। उन्होंने कहा कि बड़ी रिटेल श्रृंखला के बाजार में एकाधिकार बनने से भले ही छोटे बिचौलिये हट जाएं, लेकिन उनका स्थान ये स्वयं ले लेंगे और बड़े बिचौलिये बन जाएंगे। उपभोक्ताओं के पास भी अभी मौजूदा स्थिति की तरह तमाम दुकानों के विकल्प नहीं बचेंगे।
   
भाजपा नेता ने कहा कि सरकार कह रही है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई लागू करने का विकल्प राज्यों के समक्ष खुला हुआ है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता इसके विपरीत है। एक तो एफडीआई केंद्र का विषय है वहीं सरकार ने 82 देशों के साथ द्विपक्षी समझौते कर रखे हैं। यदि कोई राज्य अपने यहां खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को मंजूरी नहीं देता है तो इन 82 देशों के निवेशक अदालतों में जाने के लिए स्वतंत्र हैं लिहाजा नयी तरह की समस्याएं खड़ी हो जाएंगी।
   
जेटली ने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई आने से किसानों के लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास होगा। उन्होंने कहा कि कषि क्षेत्र के लिए आधारभूत सुविधाओं में सिंचाई सुविधा, बिजली, सड़क और कोल्ड स्टोरेज प्रमुख होते हैं।

तय बात है कि कोल्ड स्टोरेज को छोड़ कर रिटेल चेन और कोई आधारभूत सुविधा विकसित नहीं करेंगे। ऐसे में क्या सरकार ने केवल कोल्ड स्टोरेज खोलने के लिए एफडीआई को आमंत्रित किया है। क्या कोल्ड स्टोरेज कोई रॉकेट प्रौद्योगिकी से बनाए जाते हैं जो कि हम लोग नहीं बना सकते।
   
जेटली ने कल लोकसभा में खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के विरोध में लाए गए प्रस्ताव पर हुए मतदान में सरकार द्वारा 272 के बहुमत से 18 मत कम रहने का जिक्र करते हुए कहा इस आंकड़े के बाद आप चलाचली वाली (लेम डक) सरकार बन गए हैं और इस अल्पमत सरकार के फैसलों की देश को किस हद तक चुकानी पड़ेगी।
   
सरकार की इस नीति का समर्थन करते हुए कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने यह फैसला देश की प्रगति और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला उपभोक्ताओं, किसानों और विनिर्माण क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए किया है।
   
उन्होंने कहा कि भारत में हर साल 65 हजार करोड़ रुपये के कृषि उत्पाद नष्ट हो जाते हैं क्योंकि हमारे पास फसल कटाई के पश्चात प्रसंस्करण के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की नीति को मंजूरी देते समय यह भी प्रावधान किया है कि निवेशकों को 50 फीसदी निवेश आधारभूत क्षेत्र में करना होगा।
   
अश्विनी कुमार ने कहा हो सकता है कि हम भविष्य में गलत साबित हों। लेकिन गलत होने की आशंका से वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम साहसिक निर्णय करने से पीछे नहीं हट सकते। उन्होंने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह फैसला किसानों के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी ही बात होती तो पंजाब में भारतीय किसान यूनियन और महाराष्ट्र में शेतकारी संगठन इसका समर्थन क्यों करते।

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