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पथरी से बचना है तो सुधारें अपनी जीवनशैली

ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर या वीडियोगेम में उलझे रहना, तले भुने एवं वसा युक्त आहार का सेवनकरना, मोटापा, पानी कम पीने जैसी आदतों के चलते पथरी के मामले बढ़ रहे हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में...

पथरी से बचना है तो सुधारें अपनी जीवनशैली
एजेंसीWed, 28 Nov 2012 01:40 PM
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ज्यादा समय तक टीवी, कंप्यूटर या वीडियोगेम में उलझे रहना, तले भुने एवं वसा युक्त आहार का सेवनकरना, मोटापा, पानी कम पीने जैसी आदतों के चलते पथरी के मामले बढ़ रहे हैं।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल में यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजीव सूद ने बताया पथरी बनने के कारण कैल्शियम की जमावट, मूत्राशय की नलिका में रुकावट आदि हैं। इसका संबंध हाइपर पैराथायरॉइडिज्म से भी होता है। यह अंत:स्रावी ग्रंथियों से जुड़ी एक विकृति है जिसकी वजह से पेशाब में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है। यदि यह कैल्शियम पेशाब के साथ बाहर निकल जाए तो बेहतर है वर्ना यह गुर्दे की कोशिकाओं में एकत्र होता रहता है और पथरी का रूप ले लेता है।

उन्होंने बताया पेशाब में कैल्शियम की अधिकता हाइपरकैल्सियूरिया कहलाती है। यह समस्या अत्यधिक कैल्शियम वाले आहार के सेवन से होती है। कैल्शियम ऑग्जेलेट या फॉस्फेट के कण अत्यधिक मात्रा में हों तो वह पेशाब के जरिये पूरी तरह नहीं निकल पाते और एक जगह एकत्र होने लगते हैं। यही कण पथरी का रूप ले लेते हैं।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक ने बताया पथरी बच्चों को भी होती है। अनुवांशिकी भी पथरी के 60 फीसदी मामलों का एक कारण होती है। अगर परिवार में किसी को सिस्टीन्यूरिया या प्रायमरी हाइपरोक्सैल्यूरिया हो तो पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे बच्चों को पेशाब में अमीनो अम्ल, सिस्टीन या ऑग्जेलेट की अधिकता के कारण पथरी हो सकती है।

डॉ. मलिक ने बताया पथरी होने पर टमाटर, पालक, आलू आदि नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि इनसे ऑग्जेलेट की मात्रा बढ़ती है। पथरी से बचने के लिए अत्यधिक मात्रा में पानी पीना जरूरी है, क्योंकि गुर्दे की लगातार फ्लशिंग जरूरी है। शरीर में पानी की कमी होने से कोशिकाएं आंत से ऑग्जेलेट शोषित करने लगती हैं जो नुकसानदायक होता है। महिलाएं अक्सर इस झिझक के कारण पानी अधिक नहीं पीतीं कि टॉयलेट जाना पड़ेगा, लेकिन इससे समस्या हो सकती है।

बत्रा हॉस्पिटल में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रीतपाल सिंह ने बताया कि तरल पदार्थों जैसे नारियल का पानी, सामान्य पानी, फलों का जूस आदि का अधिक मात्रा में सेवन, नमक तथा तले भुने पदार्थों का कम सेवन, अत्यधिक शारीरिक सक्रियता आदि से पथरी की समस्या से बचा जा सकता है।

डॉ. सिंह ने कहा कि हर घंटे कम से कम 200 मिली पानी पीना चाहिए ताकि गुर्दे में नियमित पानी पहुंचता रहे और कोशिकाओं को भी पानी की कमी न होने पाए। शारीरिक सक्रियता की वजह से शरीर में पानी की खपत अधिक होती है और प्यास भी लगती है। जो पानी हम पीते हैं वह विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद पेशाब के रूप में बाहर निकलता है और यह व्यवस्था गुर्दे के लिए अत्यंत जरूरी है।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों को एक बार पथरी हो चुकी हो उन्हें दोबारा यह समस्या हो सकती है। ऐसे लोगों को रेड मीट, पालक, टमाटर, आलू, चाय, कॉफी, चावल, नमक आदि के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों को कैल्शियम स्टोन हो उन्हें दूध और इसके उत्पादों से बचना चाहिए क्योंकि इनमें कैल्शियम अधिक होता है।

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