अभिभाषण न पढ़कर उपहास का पात्र बनने से बच गए राज्यपालः मायावती
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने विधानमण्डल के संयुक्त अधिवेशन में दिये गये राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण को जनहित से दूर, निराशाजनक और जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात करने वाला करार दिया है।...
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने विधानमण्डल के संयुक्त अधिवेशन में दिये गये राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण को जनहित से दूर, निराशाजनक और जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात करने वाला करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह राज्यपाल के हित में रहा कि वह अभिभाषण को सदन में पूरा नहीं पढ़ पाये और सपा सरकार की गलतियों का शिकार हो उपहास का पात्र होने से बच गये।
मायावती ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा है कि इसके लिए राज्यपाल को बसपा समेत अन्य विपक्षी दलों का आभारी होना चाहिए जिसके सदस्यों ने राज्यपाल के अभिभाषण को सदन में प्रस्तुत करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा तैयार कराये गये इस अभिभाषण में अगले वित्तीय वर्ष के लिए नीतिगत मामलों की जगह सरकारी विभागों की वार्षिक रिपोर्ट का थोड़ा-थोड़ा सारांश ही काफी अटपटे ढंग से रखा गया है जिसको राज्यपाल सदन में अगर पूरा पढ़ते तो उपहास का पात्र हो जाते। अभिभाषण से यही लगता है कि आने वाले वर्ष में भी प्रदेश की 20 करोड़ जनता की परेशानी, दिक्कतों और मुसीबतों में तनिक भी अच्छा बदलाव नहीं आने वाला है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कानून व्यवस्था के मामले में तो राज्यपाल बार-बार सपा सरकार को नसीहतें देते हंै लेकिन कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसे में यह आशंका प्रबल होती है कि प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था, साम्प्रदायिक दंगों तथा जंगलराज के मामले में केन्द्र की भाजपा और प्रदेश की सपा सरकार की आपसी मिलीभगत है।