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वापसी से पहले बिखरने लगा मायावती का कुनबा...!

पार्टी में अनुशासन के लिए जानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती का कुनबा धीरे-धीरे बिखरने लगा है। यूं कहें कि बसपा की अंदरूनी कलह अब सड़क पर आ गई है। पार्टी प्रमुख को पहले अखिलेश...

वापसी से पहले बिखरने लगा मायावती का कुनबा...!
एजेंसीTue, 06 Jan 2015 11:37 AM
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पार्टी में अनुशासन के लिए जानी जाने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती का कुनबा धीरे-धीरे बिखरने लगा है। यूं कहें कि बसपा की अंदरूनी कलह अब सड़क पर आ गई है। पार्टी प्रमुख को पहले अखिलेश दास (पूर्व सांसद ) को निष्कासित करना पड़ा, अब राज्यसभा सांसद जुगल किशोर को हाशिए पर डालना पड़ा है। संयोग ऐसा कि 'बहनजी' पर हमेशा पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगता रहा।

उप्र में विधानसभा चुनाव 2017 में होने हैं। ऐसे में बसपा के महारथियों का एक-एक कर अलग होना मायावती के लिए बड़ा नुकसानदायक साबित हो सकता है। पिछले चुनाव में मायावती के खास रहे बाबू सिंह कुशवाहा का हश्र पहले ही दिखाई दे चुका है। इसके बाद बसपा से राज्यसभा सांसद रहे अखिलेश दास, दारा सिंह चौहान और अब बसपा के पुराने नेता जुगल किशोर के बसपा से निकाले जाने के बाद पार्टी पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी है।

जुगल किशोर ने कहा है कि बसपा मुखिया के रवैये से पार्टी के सभी विधायक दुखी हैं। उन्होंने ने कहा, ''बसपा मुखिया के रवैये से सभी विधायक दुखी हैं। करीब 70 विधायक ऐसे हैं जो पार्टी छोड़ना चाहते हैं लेकिन चुनाव में अभी दो वर्ष से भी ज्यादा वक्त होने की वजह से वे चुप हैं।''

जुगल दावे के साथ कहते हैं कि अभी विधानसभा चुनाव हो जाए तो 70 विधायक तुरंत इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने मायावती पर टिकट के लिए एक करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाया था। बसपा के इस दिग्गज नेता के इस रुख के बाद पार्टी ने तत्काल उन्हें सभी पदों से हटाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया। उनके निष्कासन को लेकर बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब अगली बार बसपा की सरकार बनेगी तो जुगल किशोर की अकूत संपत्ति की जांच करवाई जाएगी।

बसपा नेता मौर्य हालांकि सूबे की वर्तमान सपा सरकार से इस मामले की जांच कराने की मांग पर कुछ नहीं बोले। सूत्रों की मानें तो बसपा के इन महारथियों का साथ छूटने से मायावती बैकफुट पर आ गई हैं। सभी नेताओं की ओर से लगाए जा रहे आरोप से धूमिल हो रही छवि के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा, ''चुनाव से पहले ही बड़े-बड़े नाम एक-एक कर पार्टी से अलग हो रहे हैं। यह पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। यदि बसपा के बड़े नेताओं के पार्टी से बाहर जाने का सिलसिला नहीं थमा तो वाकई इसका खामियाजा 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।''

उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ही बसपा के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद रहे अखिलेश दास ने मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था। उस समय भी मायावती ने पत्रकारवार्ता बुलाकर उलटे अखिलेश पर ही टिकट के लिए 100 करोड़ रुपये देने की पेशकश का आरोप लगा डाला था।

इसके अलावा पार्टी ने हाल ही में बसपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दारा सिंह चौहान को भी अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया था। चौहान के निकाले जाने के बाद भी पार्टी के अंदर उनके समर्थकों ने विरोध दर्ज कराया था।

उल्लेखनीय है कि उप्र में बसपा के कुल 80 विधायक हैं। पिछले वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया था। अब उप्र की सत्ता में बसपा की वापसी हो या न हो, मगर 'बहन जी' जीते जी अपनी आदमकद प्रतिमाएं बनवाकर खुद को 'अमर' करने की जुगाड़ पहले ही कर चुकी हैं।

 

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