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गुलबर्ग सोसाइटी कांड: 6 घंटे तक चले मौत के तांडव में 69 लोगों की बेरहमी हत्या

गोधरा कांड के अगले दिन 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के चमनपुरा स्थित 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी के आसपास सुबह से ही भीड़ जुटना शुरू हो गई थी।  गवाहों के मुताबिक करीब 11 बजे...

गुलबर्ग सोसाइटी कांड: 6 घंटे तक चले मौत के तांडव में 69 लोगों की बेरहमी हत्या
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 02 Jun 2016 05:34 PM
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गोधरा कांड के अगले दिन 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के चमनपुरा स्थित 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी के आसपास सुबह से ही भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। 

गवाहों के मुताबिक करीब 11 बजे लोगों ने सोसायटी के बाहर पथराव करना शुरू कर दिया। 45 मिनट के बाद ही सोसायटी पर पेट्रोल बम, तेजाब से भरे बल्बों से हमले शुरू हो गए। 1 बजे सोसायटी के एक नागरिक को पकड़कर जिंदा जला दिया गया। 

इसके बाद पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी को खासतौर से निशाना बनाया। उनके घर में घुसे करीब 80 से ज्यादा लोगों ने उनका बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया।

इसके बाद हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, जिंदा जलाने का नंगा नाच करीब 4.30 बजे तक चला। शाम पांच बजे के बाद जाकर पुलिस घटना स्थल पर पहुंची। रात 8.45 बजे शिकायत दर्ज की गई। 

क्या हुआ था उस दिन
20,000 लोगों की भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया।
69 लोगों की बेरहमी से हत्या की गई।
6 घंटे तक मौत का तांडव चला।
1.3 किलोमीटर की दूरी मेघानी नगर पुलिस स्टेशन और गुलबर्ग सोसायटी के बीच थी।

नरेंद्र मोदी से भी पूछताछ की गई थी
गुजरात दंगों से जुड़ा यह इकलौता केस था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से एसआईटी ने पूछताछ की थी। 

'मम्मा हाथ बाहर मत निकालो, वो तलवार से काट देंगे'
मुस्लिम बहुल गुलबर्ग सोसायटी में इकलौता पारसी परिवार रूपा मोदी का भी था। उस दिन दंगे में रूपा ने अपने 14 साल के बेटे अजर दारा मोदी को भी गंवा दिया। उस दिन गुमशुदा हुआ बेटा, आज तक नहीं मिला है। अब तक न इंतजार थमा, न ही आंसू। फैसले से एक दिन पहले ही रूपा ने फेसबुक पर अपना दर्द बयां करते हुए अपने बेटे की 'आखिरी' आवाज को शेयर किया। वह लिखती हैं, 'अज्जु की लास्ट आवाज-मम्मा खिड़की से हाथ बाहर मत निकालो आप का हाथ तलवार से काट देंगे।'

फरवरी 2002: भीड़ ने अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी पर हमलाकर एहसान जाफरी समेत 69 लोगों को मार डाला। 

नवंबर 2007: एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका को गुजरात हाइकोर्ट ने ठुकरा दिया। 

मार्च 2008: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की जांच के लिए राज्य सरकार को स्पेशल जांच टीम बनाने का आदेश दिया। 

अगस्त 2010: सुप्रीम कोर्ट ने जांच टीम को जकिया जाफरी की शिकायत पर भी जांच के आदेश दिए। 

फरवरी 2012: जांच टीम ने जो रिपोर्ट पेश की उसमें कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ घटनाओं में शामिल होने का कोई सुबूत नहीं है। 

मार्च 2012: अहमदाबाद कोर्ट ने जकिया जाफरी की उस याचिका को ठुकरा दिया जिसमें जांच रिपोर्ट को साझा करने की बात कही गई थी। 

दिसंबर 2013: अहमदाबाद कोर्ट ने जकिया जाफरी की जांच रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया। 

नवंबर 2014: सुप्रीम कोर्ट ने सेशसं कोर्ट से गुलबर्ग सोसाइटी के मामले को जल्द से जल्द खत्म करने को कहा। 

अगस्त 2015: सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद कोर्ट को मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया। 

जून 2016: स्पेशल कोर्ट ने 24 लोगों को दोषी और 36 लोगों को बेगुनाह साबित कर दिया। 

बिपिन पटेल: बरी 
मामले में बरी किए गए बिपिन पटेल अहमदाबाद के असरवा इलाके से भाजपा पार्षद हैं। उन पर दंगों की भीड़ में शामिल होने और हत्या का आरोप था। बिपिन पटेल कई बार पहले भी चुनाव जीत चुके हैं। दंगों के दौरान भी पटेल पार्षद थे। 

अतुल वैध: दोषी
दोषियों में अतुल वैध का नाम भी शामिल है। अतुल आयुर्वेद के डॉक्टर हैं। इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद के सदस्य भी हैं।  

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