जन्म से ही होते हैं अपराध के बीज
अक्सर कहा जाता है कि बुरी संगत आपका चरित्र भ्रष्ट कर देगी लेकिन अगर एक नये शोध पर जायें तो आपराधिक प्रवृत्ति की जननी आपके जीन में ही छिपी रहती है। फ्लोरिडा स्टेट...
अक्सर कहा जाता है कि बुरी संगत आपका चरित्र भ्रष्ट कर देगी लेकिन अगर एक नये शोध पर जायें तो आपराधिक प्रवृत्ति की जननी आपके जीन में ही छिपी रहती है।
फ्लोरिडा स्टेट विश्वविद्यालय ने गोद लिए युवकों और युवतियों के जीवन में झांककर पता लगाया कि जिनके वास्तविक माता-पिता में से किसी का आपराधिक रिकार्ड रहा था वे पुलिस के हत्थे ज्यादा चढ़े।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि उनके पालन पोषण में नहीं के बराबर अथवा बहुत कम प्रभाव अपराध का पड़ा लेकिन इसके वाबजूद वे अपराध की ओर झुके क्योंकि उनके व्यवहार में वास्तविक माता-पिता का प्रभाव जबर्दस्त रहा। यह जेनेटिक प्रभाव को दर्शाता है।
डेली मेल के अनुसार यह अध्ययन यह भी दर्शाता है कि अपराधी जहां समाज के प्रभाव में बनते हैं तो यह भी सच है कि वे जन्म से ही इस बुराई के साथ पलते-बढ़ते हैं।
अध्ययन गोद लिए गए 250 से अधिक युवा अमेरिकीयों पर किया गया। उनका पहले तब सर्वेक्षण किया गया जब वे हाईस्कूल में थे। फिर समय समय पर अगले 13 साल उनका साक्षात्कार लिया गया। जब वे बीस के दशक के मध्य और तीस के दशक के शुरू में पहुंचे तो उनसे पूछा गया कि क्या उनके वास्तविक माता पिता को किसी तरह का आपराधिक रिकार्ड रहा था और क्या उन्हें कभी कानून का उल्लंघन महंगा पड़ा।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जिन युवाओं के माता पिता कभी गिरफ्तार हुए थे उनके भी पुलिस के हत्थे चढ़ने के आसार उन युवकों से 4.5 गुना अधिक थे जिनके माता-पिता कानून का पालन करते रहे। जीन का प्रभाव वहीं खत्म नहीं होता। जेल गए माता-पिता की औलाद का भी जेल अथवा सुधार गृह जाने का जोखिम अधिक रहता है।
पत्रिका बायलाजिकल साइकेट्री में छपी रिपोर्ट के अनुसार जितना अधिक वास्तविक माता-पिता का कानून से पल्ला पड़ा उतना ही उनकी संतान के समस्याग्रस्त होने का खतरा रहता है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार हिंसा अथवा समाज विरोधी व्यवहार के लिये प्रेरित करने वाले जीनों में एमएओ-ए नामक जीन शामिल होता है। यह ऐसा एंजाइम बनाता है जो मस्तिष्क के उग्र प्रवृत्ति वाले रसायनों पर चोट करता है।
एमएओ-ए और इस तरह के अन्य जीनों के बारे में पहले भी इस तरह के संकेत मिले थे कि उनके माता पिता के जीवन में परेशानियों का उन पर जबर्दस्त प्रभाव पडता है।
अनुसंधानकर्ताओं का सुझाव है कि गोद लिए जिन बच्चों के वास्तविक माता-पिता का आपराधिक रिकार्ड रहा है वे भविष्य में अपराध की डगर न चुनें इसके लिये वे कक्षाओं में जाना शुरू करें। गोद लेने वाले माता-पिता भी उचित परवरिश के नुस्खे सीख सकते हैं जो ऐसे बच्चों को अपराध की ओर झुकने से बचाने में मददगार साबित होगा।