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पार्टनर के साथ ऐसे होगा आपका रिश्ता मजबूत, पढ़ें ये टिप्स

जब आपका मूड खराब हो या किसी बात को लेकर आप उलझन में होती हैं तो आपका दिल क्या चाहता है? किसी ऐसे से बात करना जो आपको सही सलाह दे और फैसला लेने में मदद करे या फिर किसी ऐसे दोस्त से बात करना, जो बस...

पार्टनर के साथ ऐसे होगा आपका रिश्ता मजबूत, पढ़ें ये टिप्स
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 06 Jul 2016 04:52 PM
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जब आपका मूड खराब हो या किसी बात को लेकर आप उलझन में होती हैं तो आपका दिल क्या चाहता है? किसी ऐसे से बात करना जो आपको सही सलाह दे और फैसला लेने में मदद करे या फिर किसी ऐसे दोस्त से बात करना, जो बस आपको सुने और अपना पूरा ध्यान बस आप पर ही रखे।

आप इस काल्पनिक सवाल का जवाब बेहद सधे हुए अंदाज में देंगी और कहेंगी कि मैं पहली वाली सहेली के पास जाऊंगी, जो उलझन सुलझाने में मेरी मदद करेगी। लेकिन क्या आप वाकई उस दोस्त से बात करके हल्का महसूस करेंगी? नहीं ना। आपका दिल कोई ऐसा दोस्त चाहता है, जो आपकी बातों को, आपकी परेशानी, उलझनों और दर्द को अपना समझकर सुने। तो क्या किसी की बात को धैर्य से सुनने से दिल का रिश्ता और मजबूत हो जाता है? क्या ऐसा नहीं है कि हम उस दोस्त के और करीब चले आते हैं, जो शांति से एक किताब की तरह घंटों बिना आवाज किए बस हमारा साथ देता है। जवाब ‘हां’ है। यानी कि अगर आप अपने रिश्ते को और मजबूत बनाना चाहती हैं तो सुनने की कला सीखें।  

दिल से सुनेंगी, तो कम होंगी दूरियां
जब कोई बात हम दिल से सुनते हैं तो उसमें पूरी तरह समा जाते हैं। पर वही बात जब दिमाग से सुनी जाती है, तो पूरा ध्यान उस मुश्किल को सुलझाने में लग जाता है। जब कोई दोस्त ये कहे कि वो ठीक है, खुश है और इस बात को आपने मान लिया तो आपने उसकी बात को सिर्फ दिमाग से सुना है। जबकि दिल से सुनने वाले लोग अपने दोस्त के चेहरे के भाव को देखकर ही समझ जाते हैं कि वह ठीक है या नहीं है। उन्हें शब्दों की जरूरत नहीं होती। पर, अक्सर हम एक-दूसरे को हल्के में ले लेते हैं और बातें अनसुनी रह जाती हैं। जिसका नतीजा यह होता है कि हम शब्दों के इशारों को और शरीर के भावों को समझ नहीं पाते और धीरे-धीरे एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं, जहां हमारे बीच सिर्फ दूरियां नजर आती हैं।

सुनें और रिश्ते को नया आयाम दें 
जब बात खास रिश्ते निभाने की हो, तो बोलने से ज्यादा सुनना जरूरी हो जाता है। जब आप ये समझने की कोशिश करने लगेंगी कि आपका साथी आपसे क्या कहना चाहता है तो आप उसकी अनकही बातों को भी समझ जाएंगे। कई बार हम अपनी भावनाएं शब्दों में पूरी तरह बयां नहीं कर पाते। ऐसे में बातें कुछ कही और कुछ अनकही रह जाती हैं। पर अपने साथी की उन अनकही बातों को भी अगर आप उसके भाव से पढ़ लें तो दोनों के बीच का संवाद पूरा हो जाएगा। एक अच्छा श्रोता बनने के लिए आप सामने वाले की बात को उसी तरह सुनें, जिस तरह आप अपनी बात सुनाना चाहती हैं।

ऐसे बनें अच्छी श्रोता

  1. जब आपके पास कहने के लिए कोई बहुत जरूरी बात न हो तो उस समय आप सिर्फ सुनने की कोशिश करें। अपने पति, बच्चों, माता-पिता या दोस्तों को सुनें।
  2. जब कोई आपसे बात करे, तो कुछ देर के लिए अपने काम को विराम देकर उन्हें पूरी एकाग्रता से सुनें। ये समझने की कोशिश करें कि सामने वाला व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है, क्योंकि काम करते हुए आप किसी की बात और उससे जुड़ी भावनाओं को नहीं समझ सकतीं। एक साथ ये दो काम नहीं हो सकते।
  3. जो बात कही जा रही है, अपना दिमाग उसी पर रखें। अपने पूर्वाग्रहों को हावी न होने दें। ऐसा करने से सामने वाले की बात पर आप अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगी। इस आदत को विकसित करने में मेडिटेशन यानी ध्यान आपकी मदद कर सकता है।   
  4. बीच में टोके नहीं। जब कोई बात कर रहा हो, उसकी बात खत्म होने से पहले ही उसे रोकें नहीं। 
  5. जब आपको लगे कि सामने वाले व्यक्ति को अपनी बात कहने में वक्त लग रहा है तो रुकें, इंतजार करें। भावनाओं को शब्दों में जताना थोड़ा मुश्किल होता है, इसलिए इसमें वक्त लग सकता है। 
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