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क्या डर सताता है जो बच्चे स्कूल जाने से करते हैं इनकार, जानें यहां

स्कूल  ऐसी जगह है, जहां हर बच्चे को पहली बार जाने में डर लगता है। पर कुछ बच्चों का तो स्कूल के नाम से ही हाथ-पांव फूल जाते हैं। पेट दर्द, सिर दर्द व बुखार जैसे बहानों के जरिये वे स्कूल से दूर...

क्या डर सताता है जो बच्चे स्कूल जाने से करते हैं इनकार, जानें यहां
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 14 Apr 2017 03:10 PM
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स्कूल  ऐसी जगह है, जहां हर बच्चे को पहली बार जाने में डर लगता है। पर कुछ बच्चों का तो स्कूल के नाम से ही हाथ-पांव फूल जाते हैं। पेट दर्द, सिर दर्द व बुखार जैसे बहानों के जरिये वे स्कूल से दूर भागने की कोशिश करते हैं। यदि बच्चा स्कूल के नाम से ही कांप जाए या रोने लगे तो इसके पीछे कुछ तो वजह होगी और यह जानना माता-पिता का कर्तव्य है। क्या पता आपके बच्चे के मन में किसी बात का डर बैठा हो, जिससे वह स्कूल जाने से भाग रहा है। अगर आपका बच्चा भी ऐसा करता है तो सचेत हो जाइए, क्योंकि ये लक्षण स्कूल फोबिया के भी हो सकते हैं।

क्या है स्कूल फोबिया?

जब बच्चा पहली बार घर से निकलकर स्कूल की दहलीज पर कदम रखता है तो उसके लिए यह एक अलग ही अनुभव होता है। स्कूल से लेकर, साथी, शिक्षक सब कुछ उसके लिए नया- नया सा होता है। जहां कुछ बच्चे स्कूल के माहौल में जल्दी ही घुलमिल जाते हैं, वही कुछ बच्चों को नए माहौल में घुलने में समय लगता है। अगर आप अपने आसपास नजर डालेंगी, तो आपको बड़ी तादाद में ऐसे बच्चे मिल जाएंगे जो स्कूल जाने में या तो ना-नुकुर करते हैं या फिर स्कूल के नाम से ही घबरा जाते हैं। स्कूल जाने के डर से कई बच्चों को बुखार, दस्त, उल्टी तक होने लगती है। मेडिकल की भाषा में इसे स्कूल फोबिया कहते हैं। 6 से 15 साल के बच्चे इसके शिकार होते हैं।

क्या हैं लक्षण?

स्कूल फोबिया बढ़ने से बच्चों के व्यवहार में अप्रत्याशित बदलाव आता है, जिससे उनमें चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। बात- बात पर गुस्सा आना और किसी काम में मन नहीं लगना इसके लक्षण हो सकते हैं। इस कारण उनकी शारीरिक एवं मानसिक क्षमता का भी ह्रास होता है। शारीरिक दुर्बलता के साथ-साथ वे अनिद्रा के शिकार भी हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में बच्चों को भूख भी नहीं लगती है। इसके अलावा इस बीमारी से वजन में कमी होना, पेट खराब होना जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं।  

क्यों होता है स्कूल फोबिया?

मनोवैज्ञानिकों की मानें तो ये समझना बेहद जरूरी है कि बच्चों को स्कूल जाने में किस चीज से परेशानी होती है। माता-पिता की उम्मीदों का अनावश्यक दबाव इसकी मुख्य वजह है। आज के प्रतियोगी दौर में बाकी बच्चों से पीछे छूटने के डर की वजह से वे बच्चों पर कई तरह की जिम्मेदारियां लाद देते हैं। उन्हें ऑल राउंडर बनाने की चाहत में वे उनके साथ ज्यादती कर बैठते हैं। अगर बच्चा थोड़ा कमजोर रहा तो पेरेंट्स की उम्मीदें पूरी न कर पाने का डर उसमें घर कर जाता है और यहीं से समस्या जन्म लेती है।

कैसे निपटें इस समस्या से

मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह का कहना है कि बच्चों में भावनात्मक तनाव से उन्हें स्कूल फोबिया या किसी तरह का फोबिया हो सकता है। स्कूल में बच्चों का दोस्तों से अच्छा रिश्ता न बनना या टीचर का डांटना या कभी-कभी घर में अच्छा वातावरण ना होने के कारण भी उन्हें स्कूल फोबिया होने लगता है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चों के इन लक्षणों को शुरुआती दौर में ही पकड़ा जाए ताकि बच्चों का डर ज्यादा न बढ़े। स्कूल फोबिया होने पर बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी काउंसलिंग करानी चाहिए। ऐसी काउंसलिंग में डॉक्टर बेहेवियर थेरेपी के जरिये समस्या का निदान करते हैं। वहीं, इन सारे परेशानियों से बच्चे को बाहर निकालने में माता-पिता की भी अहम भूमिका है। माता-पिता को बच्चों को स्कूल के बारे में सकारात्मक बातें बतानी चाहिए, ताकि स्कूल जाने के प्रति उनका रुझान बढ़े। बच्चों का ज्यादा-से-ज्यादा समय दें। परेशानी के लक्षण नजर आने पर टीचर से भी बात करें।

क्या होते हैं डर

  • माता-पिता से दूर रहने का डर
  • पेरंट्स की उम्मीदों का अनावश्यक दबाव
  • स्कूल में टीचर की डांट खाने का डर
  • होमवर्क न करने पर मिलने वाली सजा का डर
  • दूसरे बच्चों की तुलना में कम महत्व मिलना
  • बच्चों के बीच मतभेद
  • हीन भावना

 

 

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