फोटो गैलरी

Hindi Newsयूं बनेंगे बच्चे दूसरे बच्चों के प्रति संवेदनशील

यूं बनेंगे बच्चे दूसरे बच्चों के प्रति संवेदनशील

बच्चे तो बच्चे हैं। इनकी देखभाल और उनके प्रति संवेदनशीलता होनी ही चाहिए। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें खास देखभाल तो चाहिए ही होती है, उससे ज्यादा आवश्यकता होती है उनके प्रति खास संवेदनशील...

यूं बनेंगे बच्चे दूसरे बच्चों के प्रति संवेदनशील
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 01 Feb 2017 10:26 PM
ऐप पर पढ़ें

बच्चे तो बच्चे हैं। इनकी देखभाल और उनके प्रति संवेदनशीलता होनी ही चाहिए। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें खास देखभाल तो चाहिए ही होती है, उससे ज्यादा आवश्यकता होती है उनके प्रति खास संवेदनशील नजरिये की। पिछली जनगणना के मुताबिक भारत में 0 से छह वर्ष की आयु के 20.42 लाख शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं। यानी संभव है कि आपके बच्चे के क्लास में या आस-पड़ोस में कोई बच्चा ऐसा हो जो शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर हो।

ऐसे बनाएं बच्चे को संवेदनशील

  • हमारे आसपास ऐसे बच्चों का होना कोई आश्चर्य या नई बात नहीं है, लेकिन ऐसे बच्चों को अपने से एकदम अलग मानकर व्यवहार करना भी ठीक नहीं। यही बात आपको अपने बच्चों को भी सिखानी है।
  • सबसे पहले तो अपने घर में बच्चों को डांटते समय या यूं ही ‘तुम पागल हो’ ‘बेवकूफ हो क्या?’ जैसे शब्दों का प्रयोग ना करें। इसके कारण आपके बच्चों में कम बुद्धि या गलतियां करने वाले बच्चों के लिए कमतरी का भाव पैदा होगा।
  • गलती से भी अपने आस-पास शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम बच्चे को ‘बेचारा’ या ऐसी ही किसी दया की भावना के साथ अपने बच्चों के सामने संबोधित ना करें। ऐसा भी हो सकता है कि आपकी इस भावना के कारण आपका बच्चा उन्हें हीन मानने लगे।
  • दरअसल यह आपको समझना होगा कि वे हीन नहीं हैं। जैसे हम सब एक-दूसरे से अलग हैं, लंबाई, रंग, बुद्धि, ताकत वगैरह के आधार पर, वैसे ही वे भी अलग ही है। यही बात आपको अपने बच्चे को समझानी है। ऐसे अक्षम बच्चों की कोई ना कोई प्रतिभा उनमें गहरे छिपी होती है। बहुत कम लोग जानते है कि ओलंपिक में सर्वाधिक डेकोरेटिव मेडल जीतने व कई तरह के रिकॉर्ड बनाने वाले और महान एथलीट कहे जाने वाले माइकल फेल्प्स एडीएचडी के शिकार थे। ऐसे बच्चे एक चीज पर एकाग्र नहीं कर पाते और बहुत अधिक एक्टिव होते हैं। उनकी मां ने जब यह बात समझी और उन्हें सही तरह से ट्रेनिंग दी तो दुनिया को एक महान तैराक और एथलीट मिला।
  • अपने बच्चे को ऐसे बच्चों की समस्या से अवगत कराकर उनके प्रति संवेदनशील बनाएं ताकि उन्हें देखने पर बच्चा ना तो उनसे डरे, ना ही उसकी नकल उड़ाए और अपना धैर्य भी ना खोए। बच्चे को बताएं कि ऐसे बच्चे अपनी भावनाएं व्यक्त करने में कई बार असमर्थ होते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे खुशी महसूस नहीं करते। उन्हें भी दोस्ती और प्यार चाहिए होता है।
  • ध्यान रखें कि जब ऐसे बच्चों की हरकतों या बोलने की कोई नकल करे तो उसे फौरन टोकें और ऐसा करने से रोकें। इस तरह आपका बच्चा भी इस बात को सीखेगा और ऐसे विशेष बच्चों के लिए उसमें सम्मान का नजरिया विकसित होगा।
  • किसी खास त्योहार या फंक्शन में बाकी बच्चों के साथ उन बच्चों को भी, अगर वे आपके आसपास रहते हैं, जरूर बुलाएं। इस तरह आपका बच्चा उन बच्चों के प्रति सहज हो जाएगा और उन्हें भी अपने जैसा मानेगा।
  • अगर आपके आसपास ऐसा कोई बच्चा है तो अपने बच्चे को बताएं कि भले ही वे बच्चे बात करने और व्यवहार में अलग हैं लेकिन वे भी अपने माहौल से प्रभावित होते हैं और उसे समझ सकते हैं।
  • अपने बच्चे को उन खास कहे जाने वाले बच्चों से दूर रखने के बजाय उनके साथ घुलने-मिलने का तरीका बताएं।  ऐसे बच्चे आमतौर पर लोगों से घुलते-मिलते देर से हैं।
  • शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम यदि कोई बच्चा आसपास है, तो उसके बारे में अपने बच्चे के सारे सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दें। यह सोचकर जवाब दें कि आप जो भी कहेंगी, उसका हर शब्द आपके बच्चे के मन में उनके लिए एक विशेष धारणा बनाएगा। आपके बच्चे की उत्सुकता शांत होगी और आपके सही मार्गदर्शन से वह ऐसे बच्चों की देखरेख की बारीकियां समझ सकेगा।

(सीनियर ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट डॉ. रितिका मित्तल से बातचीत पर आधारित )

 

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें