30 और 40 की उम्र में जरूर करवाने चाहिए ये 7 टेस्ट
30 और 40 की उम्र में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए एकमात्र उपाय है, समय पूर्व जांच एवं सही जीवनशैली का चुनाव। कुछ टेस्ट्स हैं जरूरी स्मियर : गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के लिए एक...
30 और 40 की उम्र में होने वाली बीमारियों से बचने के लिए एकमात्र उपाय है, समय पूर्व जांच एवं सही जीवनशैली का चुनाव। कुछ टेस्ट्स हैं जरूरी
स्मियर : गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच होती है, जिसे पैप स्मियर जांच कहा जाता है। इसके लिए गर्भाशय मुख की कोशिकाओं का सूक्ष्म नमूना लिया जाता है। इस नमूने की जांच के बाद असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है, जिनके परीक्षण से संबंधित कैंसर का पता चलता है। इस जांच में कोई दर्द या तकलीफ नहीं होती।
बीएमआई जांच : 30 वर्ष की उम्र के बाद नियमित बीएमआई जांच बेहद जरूरी होती है, इसलिए साल में एक बार बॉडी मास इंडेक्स निरीक्षण जरूर करवाएं। बीएमआई से यह पता चलता है कि शरीर का वजन उसकी लंबाई के अनुपात में ठीक है या नहीं। महिलाओं का आदर्श बीएमआई 22 तक होता है। इससे अधिक बीएमआई मोटापे और कमजोर मांसपेशियों का सूचक है।
लिपिड प्रोफाइल : इस तनाव भरी जीवनशैली में 30 से 40 वर्ष की महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है कि वे साल में एक बार लिपिड टेस्ट जरूर करवाएं। यह एक ब्लड टेस्ट होता है जिसके द्वारा आपके हृदय के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इस टेस्ट के द्वारा खून में कोलेस्ट्रॉल, ट्रिग्लिसराइड, एचडीएल और एलडीएल के स्तर की जांच की जाती है।
गर्भाशय जांच : गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। 30 से 40 वर्ष की महिलाओं की प्रजनन क्षमता इसी से प्रभावित होती है। एक अनुमान के मुताबिक इस उम्र वर्ग की महिलाओं में हर चार में से तीन महिला गर्भाशय की किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होती हैं, लेकिन अधिकांश महिलाओं को यह पता ही नहीं चलता कि उनके गर्भाशय में कोई समस्या है। केवल 10 प्रतिशत महिलाओं में असामान्य गर्भाशय के लक्षण देखने के लिए मिलते हैं। ये लक्षण अनियमित पीरियड्स से लेकर बांझपन तक हो सकते हैं। गर्भाशय से संबंधित किसी समस्या का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड सबसे बेहतर उपाय है, इससे कोई संक्रमण भी नहीं होता है।
ब्लड काउंट टेस्ट: आयरन की कमी 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, इसलिए समय-समय पर ब्लड काउंट टेस्ट करवाना बहुत जरूरी होता है। हो सके तो साल में दो बार यह टेस्ट जरूर करवाएं। यदि आपका हिमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम है तो डॉक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमेंट लें।
ब्लड प्रेशर जांच : सामान्यत: रक्तचाप 85 से 135 तक होता है और 160 से अधिक रक्तचाप हाइपरटेंशन कहलाता है। उच्च रक्तचाप से हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी, धमनियों का सख्त होना, आंखें खराब होना और मानसिक रोग आदि का खतरा बढ़ जाता है। भारत में प्रत्येक 5 में से एक महिला हाइपरटेंशन का शिकार है।
थाइरॉएड जांच : मौजूदा जीवनशैली में 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में थाइरॉएड एक आम समस्या है। थाइरॉएड की जांच के लिए टी3, टी4 और टीएसएच बल्ड टेस्ट प्रमुख हैं। इस रिपोर्ट के द्वारा थाइरॉएड की अधिकता व कमी का पता चलता है।
(गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. गुंजन कक्कर से बातचीत पर आधारित)