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अलविदा 2014 : बेमिसाल रही भारत की उड़ान

2014 में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचा। सबसे किफायती मंगल अभियान ने मंजिल पाई। सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह सफलतापूर्वक छोड़े गए। जहां तक सूचना तकनीक की बात है तो भारत में स्मार्टफोन और टैबलेट...

अलविदा 2014 : बेमिसाल रही भारत की उड़ान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 27 Dec 2014 09:53 AM
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2014 में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचा। सबसे किफायती मंगल अभियान ने मंजिल पाई। सबसे भारी रॉकेट और उपग्रह सफलतापूर्वक छोड़े गए। जहां तक सूचना तकनीक की बात है तो भारत में स्मार्टफोन और टैबलेट का प्रचलन काफी बढ़ा। एक सर्वे के मुताबिक स्मार्टफोन को लेकर दुनियाभर में सबसे ज्यादा दीवानगी भारतीयों में पाई गई।

भारत का मंगल मिशन कामयाब
24 सितंबर 2014 को भारत ने अपना मंगलयान मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर इतिहास रच दिया। इसकी कामयाबी के साथ ही भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया, जिसने पहले ही प्रयास में ऐसे अंतरग्रही अभियान में सफलता पाई।

सुबह 7 बज कर 17 मिनट पर 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम), यान को मंगल की कक्षा में प्रविष्ट कराने वाले थ्रस्टर्स के साथ तेजी से सक्रिय हुई। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- मॉम का मंगल से मिलन।

मंगल के 51 मिशनों में से 21 मिशन ही सफल हुए हैं। कई कोशिशों के बाद यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी यान लाल ग्रह की कक्षा में या सतह पर पहुंचे हैं।

मंगल उड़ान से जुड़े कुछ तथ्य

*मंगल यान को लाल ग्रह की कक्षा खींच सके, इसके लिए यान की गति 22.1 किमी प्रति सेकंड से घटा कर 4.4 किमी प्रति सेकंड की गई। फिर यान में दी गई कमांड के जरिये मंगल परिक्रमा प्रवेश सफल हुआ।
*कुल 450 करोड़ रुपये की लागत वाले मंगल यान का उद्देश्य लाल ग्रह की सतह तथा उसके खनिज अवयवों का अध्ययन करना तथा उसके वातावरण में मीथेन गैस की खोज करना है। पृथ्वी पर जीवन के लिए मीथेन एक महत्वपूर्ण रसायन है।
*यान का प्रक्षेपण 5 नवंबर 2013 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से स्वदेश निर्मित पीएसएलवी रॉकेट से किया गया था। यह 1 दिसंबर 2013 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल गया था।
*यह मिशन इसरो ने 15 महीने के रिकॉर्ड समय में तैयार किया। यान ने 300 दिन में 67 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की।
*22 सितंबर 2014 को मंगल तक पहुंचे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नए मार्स मिशन मैवेन की लागत इससे लगभग 10 गुना ज्यादा थी।
*मंगल ग्रह की सतह पर पहले से मौजूद अमेरिकी रोवर यान ‘क्यूरियोसिटी’ की लागत दो अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा रही।
*नासा, ईएसए और रॉसकोसमॉस के बाद इसरो मंगल ग्रह की कक्षा में यान प्रवेश कराने वाला तीसरा संस्थान बना।
*मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला भारत एशिया का पहला देश है। 
*केंद्र सरकार ने तीन अगस्त 2012 को इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसने 12 फरवरी 2014 को 100 दिन पूरे किए थे।

मंगलयान के कुछ अहम दिन
05 नवंबर 2013 को प्रक्षेपित
01 दिसंबर को पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र से बाहर
11 दिसंबर 2013 को पहली बार प्रक्षेप पथ ठीक किया गया
11 जून को दूसरी बार प्रक्षेप पथ ठीक किया गया
14 सितंबर को अंतरिक्ष यान की कमांड अपलोड की गई
22 सितंबर को उसने मंगल के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश किया

मैवेन भी मंगल की कक्षा में
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक और मंगल ग्रह अभियान सफल रहा। 22 सितंबर की सुबह मंगल की कक्षा में प्रवेश के साथ ही नासा के अंतरिक्ष यान मैवेन ने ग्रह का चक्कर लगाना शुरू कर दिया। यह मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करने वाला अपने किस्म का पहला यान होगा।

खोजी दल का सातवां सदस्य है मंगलयान
मैवेन के पहले नासा के दो अन्य ऑर्बिटर, दो रोवर और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक ऑर्बिटर मंगल की जलवायु, वायुमंडल और संरचना की थाह लेने में जुटे हैं। मंगलयान इस खोजी दल का सातवां सदस्य है। नासा का क्यूरियोसिटी रोवर अभी मंगल के गेल क्रेटर और माउंट शार्प की चट्टानों की संरचना का अध्ययन कर रहा है।

मंगलयान बनाम मैवेन
इसरो का मंगलयान
05 नवंबर 13 को प्रक्षेपित
10 माह 19 दिन यात्रा
66.6 करोड़ किमी यात्रा
24  मिनट तक हुआ इंजन का परीक्षण
7:30 बजे (24 सितंबर 14) कक्षा में पहुंचा
06 माह मिशन की अवधि
372 गुना 80 हजार किलोमीटर की कक्षा में घूमेगा

नासा का मैवेन
71.1 करोड़ किमी यात्रा
33 मिनट तक हुआ इंजन परीक्षण
7:55 बजे (22 सितंबर) कक्षा में पहुंचा
01 वर्ष मिशन की अवधि
4026 करोड़ रुपये लागत
386 गुना 44600 किमी की कक्षा में घूमेगा

भारत का डंका
भारत ने साल 2014 में न सिर्फ सबसे ज्यादा संख्या में रॉकेट और उपग्रह छोड़े, बल्कि टेक्नोलॉजी में भी अपना परचम फहराया। इसरो ने अंतरग्रही उड़ानें भेजीं तो क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण भी किया। उसने सर्वाधिक क्षमता वाले और सबसे भारी रॉकेट का परीक्षण किया, साथ ही मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की दिशा में कदम भी रखा।

इसरो ने किए जीएसएलवी रॉकेट के सफल प्रक्षेपण। दो नौवहन उपग्रह छोड़े। मंगलयान मिशन ने मुकाम पाया। मार्क-3 रॉकेट के अन्य इंजन तैयार किए। 

भारत ने 2014 में कुल आठ उपग्रह छोड़े। इनमें तीन भारतीय उपग्रह थे, जबकि पांच विदेशी। ये सभी इसरो के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से छोड़े गए। भारतीय उपग्रहों में दो नौवहन और एक संचार उपग्रह है।

भारत का सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-16 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के आरियान-5 रॉकेट के जरिये 7 दिसंबर को छोडम गया।

2014 की उपलब्धियां
*पहली बार पूर्णत: स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन वाले जीएसएलवी रॉकेट का सफल प्रक्षेपण
*दो नौवहन उपग्रह कक्षा में स्थापित
*मंगलयान, मंगल की कक्षा में
*जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट छोडम
*मानव अंतरिक्षयान मॉडय़ूल के प्रक्षेपण का सफल परीक्षण

स्मार्ट तकनीक की 5 बातें
स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रेकर्स
इस साल बहुत-से स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रेकर्स बाजार में आए। इन सबके दाम 5000 रुपये से कम ही रहे।

बजट स्मार्टफोन
यह साल कम बजट के स्मार्टफोन के लिए जाना जाएगा। 10 हजार से कम में बड़ी स्क्रीन और बेहतर फीचर वाले गैजेट्स की बहार आई। चाहे एंड्रॉयड हो या विंडोज, सस्ते की होड़-सी लग गई। चीनी कंपनियों ने सारे गुणा-भाग पलट कर रख दिए। ऑनलाइन बिक्री में फ्लैश सेल ने बिक्री और कम कीमत के अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए।

नया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम
अभी तक आईओएस, एंड्रॉयड, विंडोज और ब्लैकबेरी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ही थे। सिम्बियन बाजार से बाहर हो चुका था, लेकिन 2014 में कुछ नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम आए। ये हैं फायरफॉक्स ओएस, जोला सेल्फिश और टाइजेन। इनमें से फायरफॉक्स और सेल्फिश आधारित फोन तो भारत में आ भी गए। इस सप्ताह सैमसंग के टाइजेन फोन की घोषणा हुई, पर यह आएगा जनवरी 2015 में।

चौंसठ बिट और 4जी फोन
इस साल मोबाइल और गतिमान तथा ताकतवर हो गया। एचटीसी ने 64 बिट पर चलने वाला दुनिया का पहला फोन लॉन्च किया तो भारत में 4जी आधारित फोन भी उपलब्ध होने लगे।

बेहतर गेमिंग प्लेटफॉर्म
माइक्रोसॉफ्ट एक्सबॉक्स वन और सोनी प्लेस्टेशन ने गेमिंग को नई ऊंचाइयां प्रदान कीं। दोनों ही कंसोल में हाईवेयर विशेषताएं अपडेट की गईं। बेहतर ग्राफिक्स और सीपीयू प्रदर्शन ने गेम का रोमांच बढ़ा दिया।

स्मार्टफोन के दीवाने भारतीय
भारत में 2014 ने स्मार्टफोन के प्रति दीवानगी को और बढम दिया। अब तो यह भी अनुमान आ गया है कि 2016 में भारत स्मार्टफोन यूजर के मामले में अमेरिका को धकेल कर दूसरे स्थान पर काबिज हो जाएगा, लेकिन जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात रही, वह यह कि दुनियाभर में भारतीयों में ही स्मार्टफोन के प्रति सबसे ज्यादा नशा है। 57 प्रतिशत यूजर ने कहा कि वह इस गैजेट के बिना जी ही नहीं सकते। जर्मनी की बी2एक्स केयर सॉल्यूशन कंपनी के सर्वे में तीन में से एक भारतीय ने कहा कि वह स्मार्टफोन की खातिर टीवी को हफ्तेभर के लिए तिलांजलि दे देगा।

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