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नौलों के शहर में पड़ने लगे पानी के लाले

राजनौला और पौराणिक नौला अल्मोड़ा शहर में बर्बादी के उदाहरण हैं। नौलों के इस शहर में आज पानी के लाले हैं। लापरवाही और अनदेखी के चलते लगभग 150 नौले दम तोड़ चुके हैं। जो बचे हैं वही भी अंतिम सांसें ले...

नौलों के शहर में पड़ने लगे पानी के लाले
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 29 Apr 2017 08:50 PM
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राजनौला और पौराणिक नौला अल्मोड़ा शहर में बर्बादी के उदाहरण हैं। नौलों के इस शहर में आज पानी के लाले हैं। लापरवाही और अनदेखी के चलते लगभग 150 नौले दम तोड़ चुके हैं। जो बचे हैं वही भी अंतिम सांसें ले रहे हैं। चंद वंश के समय 16 वीं सदी में अल्मोड़ा का जीवन बचाने के लिए बनाए गए इन नौलों की दुगर्ति के लिए कोई नहीं बल्कि यह शहर ही जिम्मेदार है। बसासत बढ़ती चली गई और बसे बसाए नौले भी उजड़ते चले गए।

नौला राजस्थान की बावड़ी जैसी जल संग्रहण प्रणाली है। जिसमें प्राकृतिक रूप से निकले जल को एक गड्ढे में एकत्र किया जाता है। प्राचीन समय में इन नौलों का निर्माण ऐसे स्थानों पर किया जाता था। जहां पर भूगर्भीय जल अधिक होता था। पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल के लिए यह नौले बेहतर विकल्प थे। आज भी कई स्थानों पर इन्हीं नौलों का पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाता है। 300 से अधिक नौलों वाले इस शहर में लगभग 35 साल पहले से इनके पतन की शुरूआत हुई तो फिर वह आज तक नहीं रूकी। अब चंपानौला, धारानौला, ढूंगाधारा, रानीधारा और सिद्धनौले के छोड़ लगभग सभी में गंदगी रहती है। जब तक नगर में नौलों की कद्र थी तब तक लोग पानी के लिए भटकते नहीं थे। लेकिन आज हालात बदल गए हैं। गर्मियों के मौसम में यहां पानी की इतनी किल्लत रहती है कि लोगों में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है।

पौराणिक नौला

चंद वंश के समय बना यह नौला ठीक डीएम दफ्तर के ठीक नीचे है। 20 साल से झाड़ियों से इस नौले की कद्र न होने के कारण इस नौले हालत काफी खराब हो गई थी। इस बार जिलाधिकारी और वीपीकेएस के संयुक्त प्रयासों से इस नौले के संरक्षण के प्रयास शुरू किए गए हैं। कवायद रंग लाई तो इस ऐतिहासिक धरोहर को फिर बचाया जा सके।

राजनौला

साफ सुथरे पानी के लिए अपनी पहचान बनाने वाले इस नौले में आज गंदगी का साम्राज्य है। नौले के मुंह में पाइप लगाकर होटलों स्वामियों ने इस पानी का प्रयोग होटलों की गंदगी दूर करने के लिए करते हैं। अपने नाम की तरह लोगों के मन में राज करने वाला यह नौला आज इतना गंदा हो गया है कि कोई इसका पानी नहीं पीता।

सिद्ध नौला है आस्था का केंद्र

पानी और आस्था....। दोनों के भाव अलग हैं, लेकिन जुड़ाव एक। यहां पानी की पूजा होती है और इस अनूठी श्रद्धा का केंद्र है पल्टन बाजार का सिद्धनौला। करीब 6 सदियों के इतिहास का गवाह यह सिद्धनौला उस ‘मौन तपस्वी की तरह है जिसने एक स्थान पर सैंकड़ों सालों से ‘तप कर पूरे अल्मोड़ा को जीवन दिया। शहर में धार्मिक कार्यक्रमों की शुरूआत इसी नौले से होती है और मंदिरों में पानी भी इसी नौले का चढ़ता है। शुद्धता का पैमाना नौले का साल भर लबालब भरे रहना है। लोग दूर दूर से आकर इस नौले का पानी लेने आते हैं।

मेहराबदार शैली में बने हैं नौले यहां के पौराणिक नौलों का ढ़ाचा पत्थरों का बना है। इनकी दीवारों पर चिकनी मिट्टी का लेप लगा हुआ है। इसे मेहराबदार शैली कहा जाता है। नौलों की छत पटालनुमा चौड़े पत्थरों से बनी हुई है। जल स्रोतों के ऊपर प्रवेश के लिए पांच फिट ऊंचे प्रवेश द्वारा बने हुए हैं।

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