क्लैट में 55 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2016 में बैठने के लिए एलएलबी में 55 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को चुनौती दी गई है। मुरादाबाद के अमरजीत चौधरी की ओर से...
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) 2016 में बैठने के लिए एलएलबी में 55 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता को चुनौती दी गई है।
मुरादाबाद के अमरजीत चौधरी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि क्लैट आयोजित करने वाली राजीव गांधी नेशनल युनीवर्सिटी आफ लॉ पटियाला (पंजाब) ने एससी/एसटी के लिए 50 प्रतिशत व अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए एलएलबी में 55 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता रखकर छात्रों के शिक्षा प्राप्त करने के मौलिक अधिकार का हनन किया है। कहा गया है कि एलएलबी की डिग्री पाने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी का अधिकार है कि वह लॉ के पीजी कोर्स में अध्ययन करे। इसके लिए एलएलबी में निर्धारित अंक की अनिवार्यता की शर्त लगाकर छात्रों को उच्च शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
याचिका में प्रवेश परीक्षा के नाम पर मनमानी फीस वसूली का भी आरोप लगाया गया है। कहा गया है कि पीजी कोर्स के लिए प्रति छात्र प्रवेश परीक्षा के नाम पर चार हजार रुपये व एससी अभ्यर्थियों से साढ़े तीन हजार रुपये लिए जा रहे हैं। कहा गया है कि आयोजक विश्वविद्यालय मनमाने व गलत ढंग से गरीब छात्रों से प्रवेश परीक्षा के नाम फीस की वसूली कर रहा है। मांग की गई है कि एससी/एसटी अभ्यर्थियों से साढ़े तीन हजार की जगह एक हजार और अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों से चार हजार की जगह डेढ़ हजार व फीस निर्धारित की जाए।