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‘बच्चों के प्रति शैक्षिक उपेक्षा से बचें शिक्षक

अभिभावक अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने की इच्छा से विद्यालय भेजते हैं। बच्चा भी शिक्षा प्राप्त करने आता है। कई बार बच्चे शिक्षा का महत्व स्पष्ट न होने के बाद भी स्कूल आकर शिक्षा ग्रहण...

‘बच्चों के प्रति शैक्षिक उपेक्षा से बचें शिक्षक
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 23 Jan 2017 07:10 PM
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अभिभावक अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने की इच्छा से विद्यालय भेजते हैं। बच्चा भी शिक्षा प्राप्त करने आता है। कई बार बच्चे शिक्षा का महत्व स्पष्ट न होने के बाद भी स्कूल आकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। ऐसे में यह शिक्षक का दायित्व है कि वे अभिभावक तथा बच्चों की अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील हों।

यह विचार राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) एलनगंज के निदेशक संजय सिन्हा ने व्यक्त किए। श्री सिन्हा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के वार्डेनों के प्रशिक्षण के छठवें चक्र के समापन अवसर पर सोमवार को बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि शैक्षिक उपेक्षा का आशय बच्चों के अधिकारों व मूलभूत आवश्यकताओं में लापरवाही करना है।

उपेक्षा शारीरिक, शैक्षिक या भावनात्मक हो सकती है। शारीरिक उपेक्षा में पर्याप्त भोजन, कपड़े, शैक्षिक सामग्री आदि न देना, उचित चिकित्सीय देख-भाल न करना या मौसम के अनुसार सुरक्षा न करना शामिल है। शैक्षिक उपेक्षा में उचित शिक्षा प्रदान करने में असफलता, अकारण गैर हाजिर करना इत्यादि शामिल है। ऐसे में शिक्षक से अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल एक आदर्श एवं शिष्ट व्यवहार की अपेक्षा की जाती है।

समापन अवसर पर संस्थान के विभागाध्यक्ष, डॉ. अमित खन्ना, कार्यक्रम समन्वयक प्रभात कुमार मिश्रा, पवन सावंत, पुस्तकालयाध्यक्ष सरदार अहमद, सूफिया फारूकी, बीआर आबिदी उपस्थिति रहीं।

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