ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती परिणाम पर जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में 3587 ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती परीक्षा परीक्षा में भेदभाव के आरोप को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ से चार सप्ताह में जवाब मांगा...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में 3587 ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती परीक्षा परीक्षा में भेदभाव के आरोप को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थलकर ने प्रवीण कुमार यादव व दो अन्य की याचिका पर उनके अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया। याचिका में परीक्षा परिणाम को चुनौती दी गई है। अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि 3587 ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती के लिए चार दिसंबर 2015 को 15 जिलों में परीक्षा आयोजित की गई। कहा गया कि कुछ परीक्षा केंद्रों में अभ्यर्थियों को दो घंटे और कुछ में डेढ़ घंटे का समय दिया गया। याचियों को भी डेढ़ घंटे का समय मिला और वे सफल घोषित किए गए। डेढ़ घंटे समयपाने वाले कुछ अभ्यर्थियों ने लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की तो डेढ़ घंटे देने वाले परीक्षा केंद्रों के असफल अभ्यर्थियों की दोबारा परीक्षा का निर्देश दिया गया। लखनऊ बेंच के आदेश के बाद आयोग ने ऐसे 92 परीक्षा केंद्र चिह्नित किए, जिनमें 51512 अभ्यर्थी असफल थे। 31 जनवरी 2016 को दोबारा परीक्षा हुई और दोनों परीक्षा के परिणाम के आधार पर सफल अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। याची इंटरव्यू में असफल हो गए। याचियों का कहना है कि वे लिखित परीक्षा में सफल हुए थे लेकिन उन्हें भी डेढ़ घंटे का समय मिला था। आयोग ने केवल चार जिलों के ही अभ्यर्थियों की दोबारा परीक्षा कराई। अन्य 11 जिलों में डेढ़ घंटे में प्रश्नपत्र हल करने वालों को नजरअंदाज कर दिया, जो उनके साथ भेदभाव है। यदि उन्हें भी दो घंटे का समय मिलता तो उनके अंक बेहतर हो सकते थे। इसके अलावा एक ही परीक्षा में दो तरह के प्रश्नपत्र दिए गए, जो अवैधानिक है। याचियों का कहना है कि चयन का आधार एक ही प्रश्नपत्र होना चाहिए।