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डॉ. जगन्नाथ पाठक ने बढ़ाया संगमनगरी का मान

विश्व भारती सम्मान के रूप में संगमनगरी की झोली में एक और अहम सम्मान आया है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से घोषित इस सम्मान पर संस्कृत के विद्वानों और लेखकों ने प्रसन्नता जाहिर की है। विश्व...

डॉ. जगन्नाथ पाठक ने बढ़ाया संगमनगरी का मान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Oct 2016 03:30 PM
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विश्व भारती सम्मान के रूप में संगमनगरी की झोली में एक और अहम सम्मान आया है। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से घोषित इस सम्मान पर संस्कृत के विद्वानों और लेखकों ने प्रसन्नता जाहिर की है। विश्व भारती की घोषणा से खुश डॉ. जगन्नाथ पाठक ने विनम्रता से कहा कि यह विद्वानों और मनीषियों का नगर है। यहां ऐसे अनेक विद्वान हैं जिनका उचित सम्मान किया जाना चाहिए।

गंगानाथ झा केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ इलाहाबाद के पूर्व प्राचार्य डॉ. जगन्नाथ पाठक रिटायर होने के बाद इस समय छतनाग झूंसी में रहते हैं। 02 फरवरी 1934 को सासाराम बिहार में जन्मे पाठक को उनके संस्कृत साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2005 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था।

सात भाषाओं के हैं ज्ञाता

पाठक की उच्च शिक्षा बीएचयू में हुई। उन्होंने साहित्य शास्त्राचार्य और हिन्दी, संस्कृत से एमए किया। बीएचयू से ही उन्होंने संस्कृत विषय में ‘धनपालकृत तिलकमंजरी का आलोचनात्मक अध्ययन विषय पर पीएचडी किया। उन्हें हिन्दी, संस्कृत के अलावा उर्दू, अंग्रेजी, बांग्ला, मैथिली और पर्सियन भाषाओं का वृहद ज्ञान है।

संस्कृत की हर विधा में किया लेखन

डॉ. पाठक ने संस्कृत की दर्जनों पुस्तकें लिखीं, साथ ही कई किताबों का संपादन और अनुवाद किया। इसमें मुख्य रूप से ‘कापिशायनी ‘मृद्विका ‘पिपासा ‘विकीर्णपत्रलेखम् ‘बाणभट्ट का रचना संसार, ‘आधुनिक संस्कृत साहित्य का इतिहास है। इसके अलावा प्रसाद की ‘कामायनी और ‘आंसू का संस्कृत में पद्यानुवाद, ‘मिलन्दिप्रश्न का पाली भाषा से संस्कृत में अनुवाद किया है। संपादित संस्कृत ग्रंथों में ‘जानराजचम्पू, ‘काव्यप्रकाश, ‘जातकमाला, ‘जहांगीरविरुदावली, ‘शाहजहांविरुदावली और ‘वाणीविलासितम् शामिल हैं।

पहले भी मिले कई सम्मान

विश्व भारती सम्मान मिलने से पूर्व भी डॉ. पाठक को कई सम्मान मिल चुके हैं। इसमें उत्तर प्रदेश संस्कृत अकादमी पुरस्कार, केके बिड़ला फाउंडेशन का वाचस्पति सम्मान, राजस्थान संस्कृत अकादमी का अखिल भारतीय काव्य पुरस्कार, कालिदास पुरस्कार समेत कई सम्मान मिल चुके हैं।

शहर के अन्य विद्वानों का भी हो सम्मान

सम्मान मिलने पर डॉ. जगन्नाथ पाठक ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इलाहाबाद में हमसे बड़े विद्वान हैं और वे अच्छा लिख भी रहे हैं। उन्हें भी सम्मानित किया जाना चाहिए। यह हर्ष का विषय है कि डॉ. शिवकुमार मिश्र वनमाली विश्ववास के संपादन में संस्कृत की महत्वपूर्ण पत्रिका दृग संगमनगरी से प्रकाशित हो रही है, जिसमें आधुनिक संस्कृत साहित्य महत्वपूर्ण है।

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