रोज 51 सीढ़ियां चढ़कर अफसर बन गए दिव्यांग चन्द्रभूषण, देखें वीडियो...
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना, बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते। ढ़ूंढ ही लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू रौशनी के कभी मोहताज नहीं होते। यह शायरी चन्द्रभूषण भारती पर एकदम सटीक...
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना, बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते। ढ़ूंढ ही लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू रौशनी के कभी मोहताज नहीं होते। यह शायरी चन्द्रभूषण भारती पर एकदम सटीक बैठती है जिन्होंने अपने हौसले से सारी कठिनाईयों पर फतह हासिल कर ली। पोलियो के कारण बचपन में ही दोनों पैर खो चुके सलोरी के चन्द्रभूषण ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आरओ/एआरओ 2014 में आरओ एकाउंट्स के पद पर सफलता हासिल कर खुद को प्रतियोगी छात्रों के सामने रोल मॉडल के रूप में खड़ा कर दिया है।
इससे पहले उनका चयन हाईकोर्ट में रूटीन गे्रड क्लर्क पर हो चुका है और 19 सितंबर 2015 से इस पद पर कार्यरत हैं। चार भाईयों में दूसरे नंबर के चन्द्रभूषण एक साल के थे जब उन्हें पोलियो हुआ और दोनों टांगें जाती रही। कक्षा आठ तक की पढ़ाई शिशु निकेतन बघाड़ा से ही और 12वीं ईश्वर शरण इंटर कॉलेज से किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीकाम और 2006 में एलएलबी करने के बाद 2007 से तैयारियों में जुट गए। बीच में चार-पांच साल तबीयत सही नहीं होने के कारण पढ़ाई बाधित रही। लेकिन उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा और तीन साल फिर नई ऊर्जा के साथ जुट गए। ये उनका जुनून ही है कि पिछले तीन साल से वे अपनी कोचिंग की 51 सीढ़ियां अपने हाथों से चढ़कर जाते रहे।
19 सितंबर 2015 को हाईकोर्ट ज्वाईन करने के बाद पूरा दिन नौकरी के करके कोचिंग लेने जाते लेकिन तैयारी नहीं छोड़ी। सोमवार को आरओ/एआरओ का रिजल्ट घोषित हुआ तो उसमें चन्द्रभूषण का नाम पाकर उनका परिवार खुशी से झूम उठा। हालांकि चन्द्रभूषण कहते हैं कि वे फिलहाल पीसीएस-जे की तैयारी पर के्द्रिरत हैं। चन्द्रभूषण अपनी सफलता का श्रेय बड़े भाई और छोटी बहन के साथ ही विजन आईएएस एलनगंज के एक्सपर्ट्स को देते हैं।
इनका कहना है
उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। सीनियर्स और गुरुओं से मार्गदर्शन लेते रहें सफलता जरूर मिलेगी।
चन्द्रभूषण भारती
इन प्रतियोगियों को भी मिली सफलता
इलाहाबाद। आरओ/एआरओ परीक्षा 2014 में काटजू कॉलोनी सलोरी के उपेन्द्र वर्मा को भी सफलता मिली है। अकबरपुर अम्बेडकरनगर के मूल निवासी उपेन्द्र ने इविवि से बीए, एलएलबी, एलएलएम व एलएलएम किया है। तिलकनगर अल्लापुर के दिनेश कुमार चौरसिया भी सफल हुए हैं। देवरिया के मूल निवासी दिनेश ने एमएससी गणित और एमए प्राचीन व आधुनिक इतिहास से किया है। करछना के डॉ. ललित कुमार मिश्र को भी सफलता मिली है। उनका चयन राजकीय डिग्री कॉलेज में असिसटेंट प्रोफेसर पद पर भी हुआ है। बेगम बाजार बमरौली के चन्द्र प्रकाश कुशवाहा का चयन भी समीक्षा अधिकारी (लखनऊ सचिवालय) पद पर हुआ है।