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नोट बंदी ने पीछे धकेल दिए विकास के मुद्दे

नोटबंदी से भ्रष्टाचार खत्म होगा यह बात रविवार को अलीगढ़ आए केन्द्रीय राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहीं। वहीं पिछले हफ्ते कलक्ट्रेट पर आयोजित धरने प्रदर्शन में मुख्य अतिथि की हैसियत से शामिल हुए कांग्रेस...

नोट बंदी ने पीछे धकेल दिए विकास के मुद्दे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 04 Dec 2016 09:52 PM
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नोटबंदी से भ्रष्टाचार खत्म होगा यह बात रविवार को अलीगढ़ आए केन्द्रीय राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहीं। वहीं पिछले हफ्ते कलक्ट्रेट पर आयोजित धरने प्रदर्शन में मुख्य अतिथि की हैसियत से शामिल हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबैर अहमद ने कहा था कि नोट बंदी ने गरीब व मजदूरों को तबाह करके रख दिया है। यह दो बड़ी पार्टी के नेताओं के बयान बानगी भर हैं। इससे पहले जिले में आए राज्यपाल, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार या फिर अन्य पार्टियों के नेताओं द्वारा नोट बंदी का हौवा ही सिर चढ़ गया है। कोई पक्ष में बात कर रहा है तो कोई विपक्ष में। इससे साफ जाहिर है कि मोदी का नोट बंदी का जादू सभी के सिर चढ़ कर बोल रहा है। इसका असर यह दिख रहा है कि चाहे सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष, सभी के द्वारा विकास के मुद्दे को पीछे धकेल दिया गया है।

पुलिस विभाग से डिप्टी एसपी पद से रिटायर एसपी वाष्र्णेय का कहना है कि अब तक जितने भी विधान सभा चुनाव हुए। उससे एक साल पहले क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष,सभी केवल विकास से जुड़े मुद्दे को जोर-शोर से उठाते थे। लेकिन शायद यह पहला मौका होगा कि चुनाव सिर पर हैं, लेकिन विकास की किसी को सुध ही नहीं हैं। स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर केवल नोट बंदी का मुद्दा ही हावी है। शहर के पार्कों में गंदगी पसरी पड़ी है। पेयजल सप्लाई ठीक से नहीं हो पा रही हैं। शहर की तमाम गलियों में सड़कें नहीं बनी हैं। गंदगी का आलम हैं। नाले चोक हैं। मच्छर इतने हैं कि सर्दी का मौसम शुरू होने पर मलेरिया और चिकनगुनिया रोग से मुक्ति नहीं मिल रही है। लेकिन इन गंभीर मुद्दों की ओर किसी भी राजनीतिक दल का ध्यान नहीं हैं। तेहरा के युवा गांव प्रधान कपिल शर्मा ने बताया कि नोट बंदी से लोग परेशान हैं, यह बात सही है। लेकिन उसके साथ ही विकास को अनदेखा नहीं किया जा सकता। गांव सभा गठित हुए साल भर हो गए लेकिन तमाम गांवों में विकास कार्य शुरू ही नहीं हो पाए हैं।

गांवों में विकास कार्य जल्द शुरू हों, इसके लिए किसी भी विधायक या फिर सांसद ने पहल नहीं की है। सभी लोग केवल नोट बंदी पर ही बयानबाजी देने में लगे हुए हैं।पूर्व गांव प्रधान श्यामवती तोमर की मानें तो विधान सभा चुनाव सिर पर हैं। इस दौरान राजनीतिक दलों को महिलाओं के विकास और उनकी सुरक्षा का खाका खींचना चाहिए था। लेकिन नोट बंदी ने मुद्दा ही मोड़ दिया है। इसी तरह चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय प्रबंध समिति की पूर्व सदस्य प्रतिभा राघव का कहना है कि शायद पहली बार विधान सभा चुनाव से पहले विकास और महिला सुरक्षा के मुद्दे की बजाय नोट बंदी के पक्ष और विपक्ष में समय जाया किया जा रहा है।

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