सराफ प्रकरण : पुलिस ने यूं तैयार किया मुठभेड़ का प्लान
दो सराफ कारोबारियों की हत्या कर जेवरात और नगदी की लूट करने वाले रंगा गैंग को पकड़ने के लिए शुरू हुआ ऑपरेशन मात्र 20 मिनट में पूरा हो गया, लेकिन इसकी तैयारी में पुलिस को दो घंटे से अधिक का समय लग गया।...
दो सराफ कारोबारियों की हत्या कर जेवरात और नगदी की लूट करने वाले रंगा गैंग को पकड़ने के लिए शुरू हुआ ऑपरेशन मात्र 20 मिनट में पूरा हो गया, लेकिन इसकी तैयारी में पुलिस को दो घंटे से अधिक का समय लग गया।
आरोपियों तक पहुंचने के लिए पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ गया। शुक्रवार की देर रात पुलिस को सटीक जानकारी मिली थी रंगा और उसका गैंग चौबियापाड़ा में बंद पड़े मकान में छिपा हुआ है। इसका पता लगने के बाद आपरेशन रंगा को लीड कर रहे एसपी सिटी अशोक कुमार सिंह व निलंबित सीओ सिटी जगदीश चंद ने आपरेशन की फुलप्रूफ प्लानिंग शुरू की। पुलिस ने सबसे पहले उस जगह का नक्शा तैयार किया, जहां बदमाश छिपे थे। सुबह चार बजे शहर और देहात के थानों का पुलिस बल कोतवाली बुलाया गया। नक्शे का अध्ययन कर अधिकारियों ने सभी को ब्रीफ किया। दूसरे थानों से आए निरीक्षकों के साथ कोतवाली के एक-एक सिपाही को लगाया गया।
तड़के 5:15 बजे कोतवाली से पुलिस बल ऑपरेशन को अंजाम देने निकला। 5:45 बजे पुलिस बल चिन्हित मकान पर पहुंच गया और घेराबंदी शुरू कर दी। इसी दौरान एक बदमाश ने खिड़की खोलकर पुलिस के आने की जानकारी अपने साथियों को दी। सभी ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं तो बदमाशों के हौंसले पस्त हो गए। करीब बीस मिनट में पुलिस ने सभी बदमाशों को काबू कर लिया। 6:30 बजे सभी बदमाशों को कोतवाली लाया गया। घायल बदमाश को जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। बदमाशों के पकड़े जाने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते लोगों की भीड़ अस्पताल और कोतवाली के सामने एकत्र हो गई।
रंगा ने छाती से बांध रखा था लूट का माल
हत्या और लूट की वारदात को अंजाम देने वाले रंगा और उसके गैंग के सदस्यों को पता था कि उनका किसी भी वक्त पुलिस से आमना-सामना हो सकता है। पुलिस ने जब रंगा को दबोचा तो उसकी छाती से कपड़े का थैला बंधा था। उसमें लूट के जेवरात रखे हुए थे।
पांच दिन में एक किलोमीटर दूरी तय कर पाई पुलिस
मथुरा। हिन्दुस्तान संवाद
दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाशों के बेखौफ होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अपना इलाका छोड़कर फरार नहीं हुए। वह कोतवाली और घटनास्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर ही जमे रहे और पुलिस को यह दूरी तय करने में पांच दिन का वक्त लग गया।
इस वारदात से शासन तक हड़कम्प मच गया। वारदात के बाद मचे सियासी घमासान के बाद विधानसभा में प्रदेश के मुख्यमंत्री को जवाब देना पड़ा। सिपाही से लेकर पुलिस प्रमुख तक इस घटना को लेकर परेशान रहे, लेकिन बदमाशों को पुलिस का खौफ कतई नहीं था। बदमाश घटनास्थल और कोतवाली से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर ही डेरा जमाए रहे। हालांकि वह पुलिस से बचने के लिए मकान बदलते रहे मगर उनका दायरा वहीं ईद-गिर्द ही रहा, लेकिन पुलिस को उन्हें तलाश करने में पांच दिन का वक्त लग गया। अब इसे पुलिस की लाचारी कहें या कमजोर मुखबरी कि पुलिस अपनी ही नाक के सामने रह रहे बदमाशों को तलाश नहीं कर सकी, जबकि पुलिस को इस बात की सटीक जानकारी मिल चुकी थी कि बदमाश चौबियापाड़ा में ही छिपे हैं, लेकिन पुलिस यह पता नहीं लगा सकी कि बदमाश किस मकान में शरण लिए हुए हैं। स्थानीय लोगों का सहयोग बदमाशों को कतई नहीं मिल रहा था।