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आगरा में स्कूल में फर्श ढहा, एक मंजिल नीचे गिरे बच्चे

जिला मुख्यालय के पीछे तंग गली में स्थित श्री नेहरू इंटरमीडियट कॉलेज के सभा कक्ष का फर्श शनिवार की दोपहर करीब एक बजे ढह गया। बैंचों पर बैठे करीब 16 विद्यार्थी पहली मंजिल से नीचे कैमिस्ट्री लैब में...

आगरा में स्कूल में फर्श ढहा, एक मंजिल नीचे गिरे बच्चे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 22 Oct 2016 06:50 PM
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जिला मुख्यालय के पीछे तंग गली में स्थित श्री नेहरू इंटरमीडियट कॉलेज के सभा कक्ष का फर्श शनिवार की दोपहर करीब एक बजे ढह गया। बैंचों पर बैठे करीब 16 विद्यार्थी पहली मंजिल से नीचे कैमिस्ट्री लैब में गिरे। चीखपुकार मच गई। साहसी छात्रों ने बच्चों को बाहर निकाला। हादसे में कई छात्राओं सहित करीब एक दर्जन बच्चे जख्मी हुए हैं। घटना से इलाके में खलबली मच गई। सूचना मिलते ही घबराए अभिभावक स्कूल पहुंचे।

वर्ष 1964 में बना स्कूल कक्षा छह से 12 तक है। डा. बीडी राजौरिया इसके संस्थापक हैं। स्कूल गड्ढे में बना है। पहली मंजिल पर सभा कक्षा है। जिसकी छत और फर्श गाडर पत्थर का है। दिन में सभा कक्ष में वाक कला प्रतियोगिता चल रही थी। 100 से अधिक बच्चे इसमें मौजूद थे। स्कूल की छुट्टी होने में आधा घंटा बचा था। अचानक सभा कक्ष के पिछले हिस्से का सात फीट का टुकड़ा धंस गया। उसके ऊपर बैंचों पर जो बच्चे बैठे थे वे पहली मंजिल से नीचे कैमिस्ट्री लैब में गिरे। चीखपुकार और भगदड़ मच गई। आनन-फानन में सभा कक्ष में मौजूद छात्र-छात्राएं जान बचाने के लिए भागकर बाहर आ गए। कुछ साहसी छात्र दौड़कर सीढ़ियों से नीचे पहुंचे। कैमिस्ट्री लैब का दरवाजा खोला। नीचे मलवे में दबे अपने साथियों को बाहर निकाला। घायलों को तत्काल उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। स्ववित्त पोषित इस स्कूल में आस-पास के इलाके के गरीब तबके के बच्चे पढ़ते हैं। खबर मिलते ही बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल आ गए। स्कूल के प्रबंधक सभी को यह बताया कि बच्चों को थोड़ी बहुत चोटें आई हैं।

ये बच्चे हुए जख्मी

हादसे कक्षा दस का रिंकू, योगेश, कक्षा नौ के अतीक, मोहित, समोना, कक्षा 12 की पिंकी, कोमल, संदीप, सौरभ, हर्ष, दीप शिखा, काजल, करन, कल्पना व स्वाती को चोट आईं हैं। समोना के पैर में ज्यादा चोट है। उस पर ठीक से चला नहीं जा रहा था। अन्य विद्यार्थियों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी।

..लगा जैसे मौत छूकर चली गई

पहली मंजिल से नीचे लैब में 16 से अधिक बच्चे गिरे थे। जिसमें कई छात्राएं भी शामिल थीं। हादसे के बाद सभी बुरी तरह सहमे हुए थे। छात्रों ने बताया कि आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। छात्राएं रोने लगीं। करीब तीन मिनट कैसे बीते बता नहीं सकते। ऊपर से कैमिस्ट्री लैब में गिरे और उसका दरवाजा बाहर से बंद था। ऐेसा लगा कि जैसे मौत छूकर चली गई।

छात्र अजय ने बताया कि सभी छात्रों ने बहुत हिम्मत दिखाई। दो छात्रों ने हाथ से गाडर पकड़ ली थी। पहले छात्राओं को बाहर निकाला। दरवाजा बंद था। उसे तोड़ने का प्रयास किया। शोर मचाया। दरवाजा टूटता इससे पहले दूसरे साथियों ने बाहर से दरवाजा खोल दिया। जो अंदर फंसे था वे बाहर आते ही जमीन पर लेट गए। तेज-तेज सासें लेने लगे। जिस समय गिरे आंखों के आगे अंधेरा छा गया था। गनीमत यह रही कि कक्षा का एक ही टुकड़ा घंसा था। पूरा फर्श बैठता तो हादसा बहुत बड़ा हो सकता था।

बेटी को कुछ हुआ आग लगा दूंगी

हादसे में जख्मी छात्रा समोना को स्कूल के प्रधानाचार्य ए आनंद इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे। हादसे की सूचना पर उसकी मां पदमा स्कूल आ गई। आते ही उसने अपनी बेटी के बारे में पूछा। शिक्षिका ने बताया कि इलाज को भेजा है। यह सुनते ही मां बिफर पड़ी। बोली बेटी को कुछ हो गया तो स्कूल में आग लगा देगी। किधर भेजा है यह कोई क्यों नहीं बता रहा। कितनी चोट आई है बेटी के यह भी कोई नहीं बोल रहा।

छात्र अजय की मां सेव कुमारी को भी अपने बेटे की चिंता सता रही थी। पदमा को आक्रोशित देखकर उन्होंने भी उग्र रूप धारण कर लिया। कहने लगी बेटा कहां है। यह तो बता दो किधर इलाज हो रहा है। वह वहां चली जाएंगी। आधा घंटा हो गया कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है। शिक्षिकाएं उनका यह रूप देखकर घबरा गईं। बताया कि प्रिंसीपल खुद लेकर गए हैं। वहीं दूसरी तरफ समोना की मां को किसी ने यह बता दिया कि गली के किसी लड़के साथ बाइक पर भेजा है। यह सुनते ही उसकी मां ने हंगामा खड़ा कर दिया। ऐलान कर दिया कि पांच मिनट में बेटी नहीं आई तो अच्छा नहीं होगा। स्कूल खोल रखा है। इमारत तक जर्जर है। बच्चे जख्मी हो गए। किसी के भी साथ इलाज को भेज दिया। तमाशा बना रखा है।

कुछ ही पल में समोना आ गई। वह लंगड़ा रही थी। मां को देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी। मां की भी आंखें भर आईं। मां ने जाते समय स्कूल प्रशासन से कहा बेटी के पैर में चोट गंभीर हुई तो स्कूल खुलने नहीं देंगी। मां ने बेटी को गले से लगा लिया। कहा डरने की जरूरत नहीं। वह आ गई हैं। अजय भी तभी आ गया। उसके हाथ में पट्टी बंधी थी। उसने अपनी मां से कहा कि ठीक है। साथियों को इलाज के लिए ले गया था। वह घबराए नहीं।

प्लास्टिक की टंकी के भरोसे टिके हैं कमरे

आगरा। स्कूल में हादसा क्यों हुआ, इसकी तस्वीर खुद यहां के हालात बयां कर रहे हैं। स्कूल के कुछ कमरे जिस गाडर पर टिके हैं। वह खुद जर्जर हालत में पहुंच गया है। उसे सहारा देने के लिए प्लास्टिक की पानी की टंकी पर पत्थर लगाए गए हैं।

ऐसी स्कूल की हालत

-श्री नेहरू इंटमीडियट कॉलेज 1964 में बना था। कक्षा छह से 12 तक है। करीब 300 बच्चे पढ़ते हैं।

-तंग गली में जब स्कूल बना तो भूतल पर ही चलता था। बच्चे बढ़े तो पहली मंजिल का निर्माण कराया गया। गाडर पत्थर की छत पर ही दूसरे कमरे बना दिए गए।

-स्कूल गड्ढे में है। बारिश के दौरान पूरा पानी स्कूल में भर जाता है।

-भूतल पर जाने के लिए भी नीचे सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं।

-स्कूल तक बाइक और स्कूटर नहीं पहुंच सकते।

-स्कूल में आग से निपटने के कोई इंतजाम नहीं हैं।

-नए कमरे बनवाए गए उस समय भी पुरानों की मरम्मत नहीं कराई गई।

-कई कक्षाएं ऐसी हैं जहां बारिश के दौरान पानी छत से टपकता है।

एक दशक पहले स्कूल की बच्ची की गई थी जान

स्कूल के बाहर खाली प्लाट की दीवार बारिश के दौरान ढह गई थी। उस समय स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की मलबे के नीचे दबने से मौत हो गई थी। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि यह हादसा करीब 14 साल पहले हुआ था। उसके बाद भी सुधार के कोई प्रयास नहीं किए गए। गलती स्कूल संचालक के साथ-साथ अभिभावकों की भी है। उन्होंने भी हादसे से पहले कभी स्कूल की हालत को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई।

भीड़ जुटी तो अन्य कमरों की जताई चिंता

हादसे की खबर पर अभिभावकों के अलावा बड़ी संख्या में बस्ती के लोग भी मौके पर आ गए थे। कौन सी छत बैठी है यह देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ स्कूल के अंदर पहुंच गई। अंदर लोगों का दम घुटने लगा। किसी और कमरे की छत नहीं बैठ जाए इस भय से पुलिस ने लोगों को कई बार हड़काकर बाहर भगाया। भीड़ स्कूल के गेट पर ही डटी रही। जब भी मौका मिलता लोग अंदर आ जाते। एक पल को ऐसा लगा कि सभा कक्ष के बाहर का फर्श भी बैठ जाएगा।

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