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तेल चोरी: इटेलीजेंट पिग भी नहीं पकड़ पाया तेल चोरों की करतूत

रिफाइनरी की भूमिगत पाइप लाइन में की गई सेंधमारी का पता इंटेलीजेंट पिग भी नहीं लगा सका। नियम के मुताबिक इंटेलीजेंट पिग के माध्यम से वर्ष में कम से कम एक बार भूमिगत पाइप लाइन की चेकिंग कराया जाना...

तेल चोरी: इटेलीजेंट पिग भी नहीं पकड़ पाया तेल चोरों की करतूत
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 27 Feb 2017 11:50 PM
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रिफाइनरी की भूमिगत पाइप लाइन में की गई सेंधमारी का पता इंटेलीजेंट पिग भी नहीं लगा सका। नियम के मुताबिक इंटेलीजेंट पिग के माध्यम से वर्ष में कम से कम एक बार भूमिगत पाइप लाइन की चेकिंग कराया जाना अनिवार्य होता है। इससे यह भी सवाल है कि कहीं पिगिंग हुई ही न हो।

रिफाइनरी से जालंधर जा रही भूमिगत तेल पाइप लाइन में सेंधमारी कर तेल चोरी किए जाने का खुलासा होने के बाद सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थो के लिए बिछाई गई भूमिगत पइप लाइनों की चेकिंग के लिए बाकायदा पूरी प्लानिंग तैयार की जाती है। वर्ष में एक या दो बार पाइप लाइनों की चेकिंग करना अनिवार्य होता है। चेकिंग की इस प्रक्रिया को तेल कम्पनियों ने इंटेलीजेंट पिगिंग नाम दिया है। बावजूद इसके हाइवे थाना क्षेत्र स्थित रामकृष्ण कालोनी से होकर जा रही भूमिगत तेल पाइप लाइन में सेंधमारी कर चोर तेल चोरी करते रहे। पुलिस के मुताबिक करीब डेढ़ वर्ष से चोर अपने काम को अंजाम दे रहे थे। पुलिस का कहना है कि बरसात के दिनों में करीब तीन माह तेल चोरों का धंधा बंद रहा था। इतने बीच में पाइप लाइन की पिगिंग या तो कराई नहीं गई या फिर पिगिंग में तेल चोरों की करतूत पकड़ में नहीं आ सकी। पेट्रोलियम पदार्थों की भूमिगत पाइप लाइनों के बारे में जानकारी रखने वालों की मानें तो पिगिंग के दौरान पाइप लाइन में मामूली-सा बदलाव भी पकड़ में आ जाता है।

यूं होती है पिगिंग

भूमिगत पाइप लाइनों की चेकिंग के लिए इंटेलीजेंट पिग नामक यंत्र को लाइन में डाल दिया जाता है। यह यंत्र स्पंज का बना होता है, जिसमें कई सेंसर लगे होते हैं। ये कम्प्यूटर से लिंक होते हैं। यह सेंसर पाइप लाइन में आए सूक्ष्म से सूक्ष्म बदलाव को पकड़कर उसे कम्प्यूटर पर भेज देता है। पिग द्वारा भेजे गए संदेशों का आकलन कर पाइप लाइन में आई खामी का पता लगाकर इंजीनियर उसे दूर कर देते हैं। इंटेलीजेंट पिग को लाइन में उतारने के बाद उसे पेट्रोलियम पदार्थ के प्रेशर से चलाया जाता है।

प्वाइंट टू पाइंट की जाती है चेकिंग

पाइप लाइनों की चेकिंग और उनके बेहतर रखरखाव के लिए तेल कम्पनियों ने बीस से पच्चीस किलोमीटर के बीच प्वाइंट बनाए हुए हैं। इंटेलीजेंट पिग को एक से दूसरे प्वाइंट तक भेजा जाता है। चेकिंग का यह क्रम हेड टू टेल चलता है।

लाइन में भरकर रखा जाता है डीजल

भूमिगत पाइप लाइन को किन्ही कारणों से यदि बंद किया जाता है तो उसे डीजल से भर कर छोड़ दिया जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि डीजल से भूमिगत पाइप लाइन में आग लगने का खतरा कम रहता है। लाइन तब बंद की जाती है, जब सप्लाई लेने वाला डिपो स्टाक पूरा होने की जानकारी सप्लाई देने वाली कम्पनी को देता है। पेट्रोल या केरोसिन को भी लाइन में भरा नहीं छोड़ा जाता है।

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