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झारखण्ड के मोनिया वृंदावन के मंदिरों में कर रहे जंगल डांस

झारखण्ड के लोग टोलियों में वृंदावन में दर्शन के लिए हजारों की संख्या में आए हैं। अपने घरों को छोड़ प्रभु के धाम में दीवाली मनाने आए ये वनवासी भक्त पारंपरिक पोशाक में मोर पंखों को लिए मंदिरों में जंगल...

झारखण्ड के मोनिया वृंदावन के मंदिरों में कर रहे जंगल डांस
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Nov 2016 10:10 PM
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झारखण्ड के लोग टोलियों में वृंदावन में दर्शन के लिए हजारों की संख्या में आए हैं। अपने घरों को छोड़ प्रभु के धाम में दीवाली मनाने आए ये वनवासी भक्त पारंपरिक पोशाक में मोर पंखों को लिए मंदिरों में जंगल डांस कर रहे हैं। जो इन दिनों ब्रजवासियों को आकर्षक बना हुआ है।

मंदिरों की नगरी वृंदावन में इन दिनों झारखण्ड, बिहार के वनवासी क्षेत्र के हजारों लोग आस्था लिए दीपावली पर नगर में आए हैं। वह हाथों मोरपंख लिए और कौड़ी और घंटी लगी पारंपरिक पोशाक में महिला और पुरुष दोनों नगर के प्राचीन सप्तदेवालयों में राधा गोविन्ददेव, राधादामोदर, राधामदनमोहन,राधागोकुलानन्द एवं विशाल रंगजी मंदिर में प्रभु दर्शन और पूजन करने के पश्चात मंदिर में जंगल डांस कर रहे हैं।

इस अनूठे डांस और इनकी आस्था के साथ परंपरागत कला को देखने के लिए लोगों में मंदिरों में लोगों विभिन्न राज्यों से आए भक्तों के कदम भी ठहर जाते हैं। ब्रज यात्रा पर आए झारखण्ड के डुमका जिला निवासी सोरेन का कहना है कि वह पिछले सात वर्ष से दीवाली पर वृंदावन में प्रभु दर्शन कर धर्म उत्सव मनाने आता है। झारंखण्ड पर सैकड़ों वर्षों से चली आ रही धर्म परंपरा के अनुसार वर्ष भर जो गौचारण के दौरान जंगल में मोरपंख मिलती हैं। उन्हें एकत्र कर दीवाली पर घर से लेकर धर्मयात्रा के लिए लेकर आते हैं।

घर से मौन व्रत करके वृंदावन के लिए निकलते हैं। यहां आकर प्रभु दर्शन करने के पश्चात ही मौन ब्रत खोला जाता है। यही कारण है कि ब्रजवासी हमें मोनिया के नाम से पुकारते हैं। यह धर्म परंपरा ब्रज को झारखण्ड से जोड़ती है। झारखण्ड में भक्तों के लिए वृंदावन एक आस्था का केंद्र हैं। मान्यता है कि वृंदावन के मंदिरों में प्रभु दर्शन कर नृत्य करने से जीव का उद्धार हो जाता है।

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