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बैंकों में फंसे मजदूरों के 4.5 करोड़

नोटबंदी के चक्कर में रोज कमाने और खाने वाले भी बुरे फंस गए हैं। जैसे-तैसे मनरेगा के मजदूरों का पैसा आया। मुसीबत यह कि वे इसे निकाल नहीं सकते। बैंकों में कैश नहीं है। 90 प्रतिशत से अधिक एटीएम स्थाई...

बैंकों में फंसे मजदूरों के 4.5 करोड़
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 06 Dec 2016 08:00 PM
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नोटबंदी के चक्कर में रोज कमाने और खाने वाले भी बुरे फंस गए हैं। जैसे-तैसे मनरेगा के मजदूरों का पैसा आया। मुसीबत यह कि वे इसे निकाल नहीं सकते। बैंकों में कैश नहीं है। 90 प्रतिशत से अधिक एटीएम स्थाई रूप से बंद पड़े हैं। मजदूर दूसरे राज्यों में चले गए हैं।

करीब चार महीने से मनरेगा के सभी काम बंद हैं। कारण कि श्रमिकों की मजदूरी नहीं आई थी। केंद्र सरकार से राशि रिलीज होने के बाद यह राज्य स्तर पर रुकी रही। 90 दिन तक मजदूरों के हाथ धेला नहीं लगा। नतीजा यह कि मजदूर दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गए। अब राज्य के खाते में पैसा आ गया है। दो से तीन दिन में जिलों के खातों में रकम ट्रांसफर हो जाएगी। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के लिए 670 करोड़ रुपए रिलीज किए गए हैं। इनमें से करीब 4.5 करोड़ रुपए आगरा के खाते में आ रहे हैं। जिले के खाते में आने के बाद रुपए मजदूरों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे। इसके बाद भी मजदूरों की वापसी संभव नहीं है। कारण कि बैंकों में पर्याप्त कैश नहीं है। पासबुक से भुगतान लेना मुश्किल काम है। इधर एटीएम भी काम नहीं कर रहे। यानि खाते में पैसा आने के बाद भी मजदूरों को पैसा नहीं मिल पाएगा। किश्तों में निकलेगी मजदूरी मजदूरों को पुराना पारिश्रमिक एक साथ मिलना संभव नहीं है। धीरे-धीरे निकासी हो पाएगी। फिलहाल जहां वह काम कर रहे हैं वहां से हिसाब-किताब निपटाना होगा। इसके बाद ही आगरा में मजदूरों की वापसी हो पाएगी। तभी काम शुरू हो सकेगा।

काम पटरी पर आने में लगेगा वक्त

मनरेगा के काम रुके पड़े हैं। हमने मजदूरों को खबर करना शुरू कर दिया है। हालांकि काम भुगतान के बाद ही शुरू हो पाएंगे। काम को पटरी पर आने में अभी वक्त लग सकता है।

भूपेन्द्र कुमार सिंह, डिप्टी कमिश्नर मनरेगा

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