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हमें भी पानी मिले

हमें भी पानी मिले मैं पालम विधानसभा क्षेत्र के विनोदपुरी, विजय इन्क्लेव डी-1 ब्लाॠक का निवासी हूं। हमारे ब्लाॠक में डी-1/ 80 से डी-1/129 मकान नंबरों के बीच पानी की पाइप लाइन तो डाली गई है, लेकिन यह...

हमें भी पानी मिले
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 27 Dec 2015 05:11 PM
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हमें भी पानी मिले
मैं पालम विधानसभा क्षेत्र के विनोदपुरी, विजय इन्क्लेव डी-1 ब्लाॠक का निवासी हूं। हमारे ब्लाॠक में डी-1/ 80 से डी-1/129 मकान नंबरों के बीच पानी की पाइप लाइन तो डाली गई है, लेकिन यह लाइन पानी की सप्लाई लाइन के साथ नहीं जुड़ी है। हम लोग अपनी गली की पाइप लाइन को सप्लाई लाइन के साथ जुड़वाने के लिए पिछले कई महीनों से मारे-मारे फिर रहे हैं, लेकिन अभी तक हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई है। हम लोगों ने पानी के कनेक्शन भी ले रखे हैं। बिना पानी सप्लाई के इन कनेक्शनों का हम क्या करें? मेरा माननीय उप मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार मनीष सिसोदिया से निवेदन है कि दिल्ली जल बोर्ड की इस ढीली कार्यप्रणाली पर संज्ञान लें और हम लोगों को पानी की समस्या से जल्दी निजात दिलाएं।
शंकर सिंह रावत, विजय इन्क्लेव, नई दिल्ली

मोदी की अच्छी पहल
अफगानिस्तान से दिल्ली आने के क्रम में पाकिस्तानी जमीन पर उतरकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को चौंका दिया। बहाना पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का जन्मदिन था, इसलिए इससे दोनों नेताओं के संबंधों में स्वाभाविक ही गरमाहट आएगी। यह मोदी की उचित पहल है, जिसकी कल्पना किसी भी विश्लेषक, कूटनीति के जानकार अथवा वरिष्ठ नौकरशाहों ने नहीं की होगी। मोदी का यह कदम बताता है कि वह भारत-पाकिस्तान संबंध को कितनी अहमियत देते हैं। अब कुछ ऐसी ही कोशिश नवाज शरीफ की तरफ से भी होनी चाहिए। मोदी जिस तरह उनकी तरफ बराबर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और लगातार मौका दे रहे हैं, उन्हें भी आगे बढ़कर भारत का हाथ थामना चाहिए। यह न सिर्फ पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र की शांति के लिए जरूरी है, बल्कि इसका सकारात्मक असर खुद पाकिस्तान पर भी पड़ेगा। उसे यह समझना चाहिए कि भारत से दोस्ती उसके हित में है।
श्यामाकांत, साकेत, नई दिल्ली

शिक्षा नीति बदलनी होगी
वरिष्ठ वैज्ञानिक व इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर बिल्कुल सही कह रहे हैं। वाकई भारतीय स्कूल बहुत हद तक फैक्टरियों की तरह हैं, जो बड़ी तादाद में छात्रों को तैयार करते हैं। हमारे यहां परीक्षा में सफल होना और अधिक अंक लाना ही सफलता की गारंटी मानी जाती है। जो जितना अंक लाता है, उसे उतना समझदार समझा जाता है। जबकि हकीकत में हर बार ऐसा नहीं होता। ऐसी कई हस्तियां हैं, जिन्होंने स्कूली ज्ञान तो बमुश्किल लिए, लेकिन बाद में नाम खूब कमाया। कई तो ड्राप-आउट भी रहें। असल में, नवोन्मेष को लेकर अब भी हमारे स्कूलों में उदासीनता है। नए प्रयोग नहीं हो रहे। बच्चों को नया कुछ नहीं सिखाया जा रहा। उन्हें मात्र रटा-रटाया ज्ञान मिल रहा है। ऐसे में वे किताबी कीड़ा तो बन रहे हैं, मगर उनमें चीजों को नए नजरिये से देखने का ज्ञान विकसित नहीं हो रहा। यह परिपाटी बंद होनी चाहिए। बच्चों को बनी-बनाई लीक की बजाय नई लाइन खींचने को प्रेरित किया जाना चाहिए, तभी हमारे बच्चे भी आगे चलकर देश-दुनिया में कामयाबी का झंडा गाड़ पाएंगे।
अनिमेष झा, पटना, बिहार

प्रयास हम भी करें
दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ शुरू हुए प्रयास का हमें समर्थन करना चाहिए। बात सिर्फ आॠड-ईवन गाडि़यों तक ही नहीं रहे, कुछ छोटे प्रयास हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी करने होंगे। जैसे कि घरों में हरियाली बनाए रखना जरूरी है। आजकल कई तरह के पौधे गमले में लगे मिल जाते हैं। अगर उन्हें हम अपने घरों में रखें, तो निश्चय ही इससे घर का वातावरण स्वच्छ रहेगा। इसी तरह कार पुल की तरफ भी हम लोगों को बढ़ना चाहिए। अगर हमारे आस-पास तीन चार लोग एक ही दिशा में जा रहे हों, तो फिर अलग-अलग गाडि़यां सड़कों पर निकालने का भला क्या फायदा? क्या सभी लोग एक ही गाड़ी में बैठकर गंतव्य की ओर नहीं जा सकते? इसी तरह हमें अपने बच्चों को भी स्वच्छ पर्यावरण बनाए रखने की प्रेरणा देनी चाहिए।
रोहित, गणेश नगर, दिल्ली

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