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शुक्रिया सोनी

'वक्त की रेत मुझे एडि़यां रगड़ने दे, मुझे यकीन है पानी यहीं से निकलेगा', दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सच साबित करते हुए काशी की कथक नृत्यांगना सोनी चौरसिया ने त्रिचूर (केरल) की नृत्यांगना...

शुक्रिया सोनी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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'वक्त की रेत मुझे एडि़यां रगड़ने दे, मुझे यकीन है पानी यहीं से निकलेगा', दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सच साबित करते हुए काशी की कथक नृत्यांगना सोनी चौरसिया ने त्रिचूर (केरल) की नृत्यांगना हेमलता कमंडलु के लगातार 123 घंटे, 15 मिनट तक नृत्य करते रहने के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 124 घंटे का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। लक्ष्य के आगे न नींद न चैन, पांच दिन व पांच रात ठुमरी, दादरा और गजलों पर सहजता से थिरकते हुए सोनी ने साबित कर दिया कि अगर आदमी के अंदर कुछ कर गुजरने की चाहत हो, तो वह कुछ भी कर सकता है। सोनी के आगे लक्ष्य बहुत बड़ा था, पर उनका हौसला और भी बड़ा था। नतीजा है, एक नया इतिहास। सोनी का यह दूसरा प्रयास था। पहले प्रयास में असफलता मिलने के बाद सोनी ने खुद को नए सिरे से तैयार करना शुरू कर दिया था। काशी की इस बेटी ने पूरे विश्व में काशी का नाम रोशन कर दिया है। सोनी की सफलता उन तमाम लोगों के लिए एक सीख की तरह है, जिनका जीवन अभाव में गुजरा है।
कृष्णा पाण्डेय, इलाहाबाद

केजरीवाल की परीक्षा
तमाम विवादों के बीच दिल्ली में ऑड-ईवन का दूसरा चरण लागू हो गया है। जिस तरह से लोगों ने केजरीवाल की इस योजना का तहे दिल से स्वागत किया, वह काबिले तारीफ है। लोगों ने दिल्ली सरकार की योजना को फिर से गले लगाकर उसका मान तो रख लिया, लेकिन अब असली परीक्षा दिल्ली सरकार की शुरू हो रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल दिल्ली वालों की सुविधा का ख्याल रखते हैं या नहीं? जिस तरह से लोगों ने केजरीवाल को भरपूर समर्थन दिया है, इससे लोगों के प्रति उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। अब केजरीवाल को लोगों का साथ भुनाने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें मेट्रो, बसों आदि के फेरे बढ़ाने के अलावा अपने सारे वादे निभाने होंगे। क्योंकि पिछले चरण में न तो मेट्रो के फेरे बढ़े थे और न ही बसों की संख्या में पर्यरप्त ईजाफा हुआ था, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
मो़ तौहिद आलम, रामगढ़वा, बिहार

पाखंड की पराकाष्ठा
लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई और कार्यरत प्रदेश सरकारों को षड्यंत्र के जरिये गिराने वालों द्वारा संविधान निर्माता और लोकतंत्र के प्रहरी बाबा साहेब अंबेडकर के जन्मदिवस पर अरबों रुपये खर्च करके आयोजित किए गए कार्यक्रम क्या लोकतांत्रिक पाखंड की पराकाष्ठा नहीं है?
राज कुमार जैन, देहरादून

तू डाल डाल, हम पात पात
बिहार में शराबबंदी का सरकार ने एलान क्या किया, राज्य में नशा मुक्ति की बयार बहने लगी। शराब से होने वाले नुकसान और आर्थिक माहौल बिगाड़ने वाली दशा में सुधार की नई किरणें दिखाई देने लगीं। इस फैसले के बाद समूचे प्रदेश में एक आत्मविश्वास का भाव जगा। जिस पैसे से शराब जैसी घातक सामग्री खरीदी जाती थी, उसी पैसे से घर-गृहस्थी के बेहतर ढंग से चलने की आस जगने लगी। लेकिन विपरीत सोच वाले लोग भी कम नहीं हैं, जो प्रदेश में शराब तस्करी में लग गए हैं। अपनी काली कमाई के गिरते आंकड़े को देखकर उन्होंने तस्करी के नए-नए तरीके आजमाने शुरू कर दिए हैं और पड़ोस के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, झारखंड और सीमावर्ती देश नेपाल से शराब की तस्करी शुरू कर दी है। ताज्जुब और हैरान करने वाली बात है कि पड़ोसी प्रदेशों और पड़ोसी देश की सीमाओं पर इतनी चाक-चौबंद सुरक्षा होने के बाद भी नदी के रास्ते नेपाल में बनी शराब बिहार तक पहुंचाने में वे कामयाब हो जा रहे हैं। बेहतर होगा कि नीतीश सरकार तस्करों के खिलाफ भारी आर्थिक दंड का भी प्रावधान करे। पड़ोसी राज्य सरकारों को भी सहयोग करना चाहिए, ताकि एक अच्छी नीति कामयाब हो सके।
राकेश सिंह
सीवान, बिहार

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