यही तो है चमत्कार
सलाम उस भारतीय सेना को, जिसकी कोशिश सियाचिन में अब भी जारी है, जहां पारा सदैव शून्य से नीचे रहता है। सियाचिन में हुए हिम-स्खलन में हमारे 10 जवान बुरी तरह दब गए, उनमें से एक को अब सेना ने जिंदा निकाल...
सलाम उस भारतीय सेना को, जिसकी कोशिश सियाचिन में अब भी जारी है, जहां पारा सदैव शून्य से नीचे रहता है। सियाचिन में हुए हिम-स्खलन में हमारे 10 जवान बुरी तरह दब गए, उनमें से एक को अब सेना ने जिंदा निकाल लिया है। करीब 25 फुट मोटी बर्फ के नीचे वह सैनिक पिछले छह दिनों से दबा हुआ था। सेना ने हार न मानते हुए हर मुमकिन प्रयास के साथ भारी बर्फबारी के बीच कर्नाटक के रहने वाले लांस नायक हनुमंथप्पा को सुरक्षित निकाला है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। इससे स्पष्ट होता है कि जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई।
शिवेंदर सिंह
singhshivander@gmail.com
हेडली के खुलासे के बाद
कहा जा रहा है कि डेविड हेडली के खुलासों के बाद भारत का पाकिस्तान पर शिकंजा कसेगा, मगर पाकिस्तान की सरकार इतनी शरीफ नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि वहां की सरकार का न सेना पर नियंत्रण है और न ही उसकी इच्छा आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने की है, क्योंकि वह जानती है कि यदि ऐसा कुछ किया, तो सत्ता खोनी पड़ेगी। जाहिर है, नवाज शरीफ ऐसा नहीं चाहते, भले ही खुद उनके देश के अंदर आतंकी हमले करते रहें। 26/11 के अपराधी हों या गुरदासपुर, पठानकोट या किसी अन्य हमले के आरोपी, इनको भारत के हवाले करना तो दूर, पाकिस्तान में ही इनके विरुद्ध कार्रवाई करना आज की तारीख में मुश्किल है। यह तभी संभव होगा, जब आतंकवाद से प्रभावित राष्ट्रों सहित पूरा विश्व पाकिस्तान को आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए विवश करे। इसमें पाकिस्तान के जनमानस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वरना जो चल रहा है, चलता रहेगा और लोग शहीद होते रहेंगे।
यश वीर आर्य
aryayv@gmail.com
रेल डिब्बे बढ़ाएं
रेलवे देश का सबसे बड़ा और कमाऊ विभाग है। यदि सही से इसका विकास और सुधार हो, तो निश्चित ही यह देश की अच्छी प्रगति कर सकता है। अभी रेल बजट सिर पर है, लेकिन सरकार ने जनता से सुधार के लिए अभी तक कोई सुझाव ही नहीं लिया है, जबकि जनता अनेक जरूरी सुधारों के अभाव में बुरी तरह त्रस्त है और प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर है। वैसे तो दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में रिंग रेल सेवा बहुत जरूरी है, जिससे डीजल-पेट्रोल वाहनों का बोझ कम हो, साथ ही शहरों का प्रदूषण भी घटे। इसके अलावा यात्रियों की भारी संख्या को देखते हुए प्रत्येक रेलगाड़ी में कम से कम 22 डिब्बों के साथ इनमें फल, सब्जियों और सामान के लिए भी अलग से कुछ डिब्बे लगाए जाने चाहिए। आशा है, सरकार इस साल के रेल बजट में जनता को जरूर राहत देगी।
वेद मामूरपुर, नरेला
क्या करें सरकारें
आज का परिवेश हो या पहले का, हमारे मन में यही रोष रहता है कि हमारे देश व राज्यों की सरकारें ऐसा कुछ नहीं करतीं, जो जनता के लिए लाभकारी हो। परंतु इसके विपरीत लोग खुद जन-कल्याण के काम में या तो विघ्न पहुंचाते हैं या फिर उनका दुरुपयोग करते हैं। जैसा कि पिछले दिनों महामना एक्सप्रेस के साथ हुआ। हाल ही में शुरू हुई इस रेलगाड़ी की जो सुविधाएं मन को एक अच्छी अनुभूति देती हैं, उनके साथ लोगों ने जो किया और जिस तरह से उसकी टोंटियां, साबुन, बेसिन वगैरह ले गए, और साथ ही उसे गंदा किया, इससे हमारे यहां के लोगों की मानसिकता साफ दिख जाती है। यह कैसी सोच है कि हम घर में अपनी चीजों का तो ख्याल रखते हैं, पर सरकारी चीजों का दुरुपयोग करते हैं कि यह सरकार का है? लेकिन हम भूल जाते हैं कि सरकार अच्छी चीजें बनाती है, तो हमारे लिए ही। इसलिए हमें अपनी मानसिकता बदलनी ही होगी, क्योंकि खराब चीजों को बार-बार बनाने में जो खर्च होगा, वह हमारा ही है और परेशानी भी हमें ही झेलनी पड़ेगी।
मनीष पाण्डेय
दिलशाद गार्डन, दिल्ली
18manishpandey@gmail.com