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आधी आबादी का हक

अक्सर चुनावों के आने के साथ ही महिलाओं के हक की बातें होने लगती हैं, खासकर मुस्लिम महिलाओं के हक की बात। अभी जारी विधानसभा चुनावों में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में तीन तलाक का मसला एक...

आधी आबादी का हक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Feb 2017 11:26 PM
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अक्सर चुनावों के आने के साथ ही महिलाओं के हक की बातें होने लगती हैं, खासकर मुस्लिम महिलाओं के हक की बात। अभी जारी विधानसभा चुनावों में भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में तीन तलाक का मसला एक अहम मुद्दा बन गया है, जिस पर केंद्र सरकार महिलाओं के हक में खड़े होने की बात कह रही है। अधिकतर मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक के खिलाफ हैं, पर पुरुष इसकी वकालत शरीयत का नाम पर कर रहे हैं। गौरतलब है कि 22 मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर रोक लगी हुई है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, सीरिया, ईरान जैसे इस्लामी देश शामिल हैं। मगर भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में तीन तलाक जारी है, जिसके बहाने वक्त-बेवक्त सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश की जाती है। यही वजह है कि अक्सर चुनाव के समय यह मुद्दा उछलता है, पर आज तक मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिल सका है।
प्रीति दुबे, दिल्ली विश्वविद्यालय

नेता या अभिनेता 
उत्तर प्रदेश के चुनावों में सभी नेताओं का अभिनेता रूप निखरकर बाहर आ रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव गदहों और कबूतर की बात कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री गदहे को आदर्शवादी और वफादार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। अमित शाह सूबे के मुख्य विपक्षी दलों की तुलना आतंकी कसाब से कर रहे हैं, तो जवाब में मायावती अमित शाह को ही आतंकी बता रही हैं। इन सब प्रहसन के बीच उत्तर प्रदेश के विकास, रोजगार, सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे गायब से हो गए हैं। देखने की बात होगी कि 11 मार्च को यह जुबानी जंग कैसा रंग दिखाती है?
एहसान खान


बढ़ता तापमान
धरती के तापमान में हर साल वृद्धि हो रही है। इस ग्लोबल वार्मिंग के जिम्मेदार मनुष्य और प्रकृति के साथ बढ़ती उसकी उदासीनता है। मानव विकास कार्यों के मद्देनजर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है, साथ ही एसी, रेफ्रिजरेटर जैसे आधुनिक उपकरणों का बेतहाशा इस्तेमाल कर रहा है। वाहनों से निकलने वाले धुएं भी ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वातावरण में कार्बन डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, जिससे ग्लेशियरों पर वर्षों से जमी बर्फ पिघलने लगी है। ऐसे में, जरूरी है कि ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ एक प्रभावी लड़ाई लड़ी जाए। इसमें सरकार को तो प्रयास करना ही होगा, हम तमाम लोगों को भी व्यक्तिगत स्तर पर कोशिश करनी होगी। यह अब हम सबकी जिम्मेदारी है। जरूरत यह है कि हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करने वाली गाड़ियों का हम कम से कम इस्तेमाल करें। अपने आसपास पेड़-पौधे लगाने की भी कोशिश करनी होगी। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हर हफ्ते हम एक पेड़ लगाएंगे और उसे सींचेंगे। अगर हम ऐसा करने में सफल रहे, तो यकीन मानिए, धरती का गरम होना काफी कम हो जाएगा। 
सौरभ त्यागी, बुराड़ी, दिल्ली

मंदिरों की बेहिसाब संपत्ति
भारत में सदैव से ही मंदिरों में चढ़ावे की परंपरा है। हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने तिरुपति मंदिर में करोड़ों रुपये के गहने चढ़ाए। भारत में इस तरह चढ़ावे की यह कोई पहली घटना नहीं है। राजनेता और अभिनेया या बड़ी हस्तियां आमतौर पर ऐसा करती रहती हैं। यही वजह है कि देश के प्रमुख मंदिरों के पास आज बेहिसाब संपत्ति है। क्या यह विडंबना नहीं कि एक तरह मंदिरों के पास अथाह धन है, वहीं दूसरी तरफ लाखों असल दरिद्रनारायण बेहद अभाव का नारकीय जीवन जी रहे हैं? लिहाजा, इस संपत्ति का उपयोग देश की प्रगति और विकास कार्यों में होना चाहिए। वैसे भी, मंदिरों में पहुंचने के बाद मुद्रा का प्रवाह रुक जाता है, जो अर्थशास्त्र के नजरिये से उचित नहीं है। सरकार को इस दिशा में कोई ठोस कानून बनाना चाहिए।
अनुपमा अग्रवाल, अलीगढ़

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