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अमीरी और गरीबी

अमीरी और गरीबी फोर्ब्स की नई सूची से पता चलता है कि भारत में धनकुबेरों की संख्या बढ़ रही है और इस बार अरबपतियों की सूची में 13 नए धनाढ्य शामिल हुए हैं। यानी अब सवा अरब की आबादी वाले इस देश में 101...

अमीरी और गरीबी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Mar 2017 10:29 PM
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अमीरी और गरीबी
फोर्ब्स की नई सूची से पता चलता है कि भारत में धनकुबेरों की संख्या बढ़ रही है और इस बार अरबपतियों की सूची में 13 नए धनाढ्य शामिल हुए हैं। यानी अब सवा अरब की आबादी वाले इस देश में 101 अरबपति हो गए हैं। यह वाकई भारत जैसे देश के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है, जिसे आजाद हुए सात दशक ही हुए हैं। यह सूची बताती है कि अब यहां भी समृद्धि अपने पांव पसारने लगी है और धनाढ्य लोगों की वैश्विक सूची में भारतीय भी अपनी जगह बनाने लगे हैं। मगर इसके साथ एक चिंता भी उभरती है। इन्हीं लोगों के पास देश की कुल पूंजी का बड़ा हिस्सा मौजूद है, जो किसी विडंबना से कम नहीं है। बेशक पैसे कमाने का हक सबको है और इससे भी ऐतराज नहीं कि इन लोगों ने अपनी मेहनत के बूते यह मुकाम हासिल किया है। मगर देश में गरीबी और अमीरी का अंतर लगातार बढ़ा है। आखिर ऐसा क्यों है कि तंत्र का फायदा मुट्ठी भर लोगों को ही मिलता है और बड़ी आबादी उससे महरूम हो जाती है? कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है। अगर सरकार इसे दुरुस्त कर ले, तो यह समृद्धि ऊपर से लेकर निचले तबकों तक पहुंचेगी और सभी एक आदर्श जीवन जी सकेंगे।
सुशील, वैशाली, गाजियाबाद

एक जिम्मेदार सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों को उचित फटकार लगाई है। उनका स्पष्ट कहना है कि तमाम सांसद संसद में रहना सुनिश्चित करें। यह सलाह मोदी की उसी कार्यशैली का हिस्सा माना जाएगा, जिसके लिए वह देश-दुनिया में जाने जाते हैं। प्रधानमंत्री खुद बहुत सक्रिय रहने वाले नेता हैं और संसद को वह मंदिर मानते हैं। इसीलिए आम चुनाव जीतने के बाद जब वह पहली बार संसद के दरवाजे पर पहुंचे थे, तो उन्होंने झुककर प्रणाम किया था। जब किसी सरकार के मुखिया की यह सोच हो, तो वह अपने सहयोगियों की संसद के प्रति उदासीनता भला कैसे बर्दाश्त कर सकता है? प्रधानमंत्री मोदी की यह सलाह में हम आम लोगों के लिए भी किसी सीख से कम नहीं है। हमें भी उन तमाम कामों के प्रति पूरी ईमानदारी दिखानी चाहिए, जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी हम पर होती है।
अजीत चौहान, सेक्टर- 66, नोएडा

दस साल का सफर
इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के 10वें सीजन का आगाज बस होने वाला है। इसका ऐंथम सॉन्ग लॉन्च हो चुका है, जो क्रिकेटप्रेमियों को खूब पसंद आ रहा है। आईपीएल ने क्रिकेट को काफी कुछ दिया है। एक मायने में इसने क्रिकेट की तस्वीर ही बदल दी है। सबसे ज्यादा फायदा तो युवा क्रिकेटरों को हुआ है, जिनके लिए क्रिकेट की दुनिया के नए रास्ते खुले हैं। यह आईपीएल ही है, जिसने कई ऐसे क्रिकेटरों को भी सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया है, जो छोटी जगहों से ताल्लुक रखते थे और जिनके लिए बड़े अंतरराष्ट्रीय मैच एक दिवास्वप्न थे। यह भी एक कारण है कि इस टूर्नामेंट को दर्शकों का खूब प्यार मिलता रहा, और तमाम विवादों के बाद भी क्रिकेटप्रेमियों ने इसके रोमांच को पसंद किया। संभवत: इसीलिए इसके शुरू होने का आज भी शिद्दत से इंतजार किया जाता है।
सौरभ, साकेत, नई दिल्ली

नाखुशी की वजह
वर्ल्ड हैपीनेस रिपोर्ट के अनुसार, खुश होने के मामले में भारत दक्षिण एशियाई देशों में सबसे निचले पायदान पर है। यह रिपोर्ट लोगों के समृद्धि स्तर, स्वास्थ्य संतुलन, जनता का सरकार पर विश्वास, असमानता, सामाजिक सुरक्षा आदि की पड़ताल करके तैयार की जाती है। साफ है कि इन तमाम मामलों में हम पिछड़ गए हैं; उन देशों से भी, जो आतंक के साये में हैं। पाकिस्तान इसका एक बड़ा उदाहरण है, जो इस सूची में 80वें पायदान पर है। यहां तक कि बांग्लादेश और नेपाल तक हमसे बेहतर हैं। हमारी हुकूमत को इसका आकलन करना चाहिए कि आखिर भारतीय नाखुश क्यों हैं? इससे संभव है कि हम उन कारकों को ढूंढ़ सकेंगे, जो हमारी नाखुशी की वजहें हैं।
प्रेरणा सिंह, भजनपुरा, दिल्ली

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