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अस्पताल बना दें

प्रधान न्यायाधीश ने सुझाव दिया है कि राम-जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवादित मुद्दा तमाम पक्ष आपस में मिल-बैठकर सुलझा लें। निश्चय ही, यह एक सराहनीय प्रयास है, मगर इस मसले की गहराई को देखते हुए यह काम...

अस्पताल बना दें
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Mar 2017 12:29 AM
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प्रधान न्यायाधीश ने सुझाव दिया है कि राम-जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवादित मुद्दा तमाम पक्ष आपस में मिल-बैठकर सुलझा लें। निश्चय ही, यह एक सराहनीय प्रयास है, मगर इस मसले की गहराई को देखते हुए यह काम इतना आसान भी नहीं लगता। इससे लोगों की भावनाएं गहराई से जुड़ी हुई हैं। सच यह भी है कि दुनिया भर में जहां कहीं भी इस तरह के पेचीदा मामले सामने आए हैं, यही देखा गया है कि उसका हल काफी मुश्किलों से निकला।

हालांकि एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के नाते हम तमाम भारतीयों को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। यह कतई उचित नहीं माना जाएगा कि हम दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाकर अपना हित साध लें। ऐसे में, क्यों न हम ऐसा वैकल्पिक मार्ग तलाश करें, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। बेहतर होगा कि किसी मंदिर या मस्जिद का निर्माण कराने की बजाय सरकार वहां पर कोई सार्वजनिक अस्पताल बना दे। इससे सभी धर्मों के हित भी आसानी से सध जाएंगे।
धीरज कुमार, बिहूनी, हापुड़

विश्व सम्राट बनता भारत
नरेंद्र मोदी ने जब देश के शासन का भार अपने कंधों पर उठाया, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह इतने कम दिनों में ही भारत का परचम पूरी दुनिया में फहरा देंगे। निश्चय ही, प्रधानमंत्री मोदी एक इतिहास पुरुष के रूप में याद किए जाएंगे। उनकी सरकार से जहां चीन व पाकिस्तान जैसे खुराफाती पड़ोसी देश सहमे-सहमे हैं, वहीं अमेरिका भी भारत की ताकत समझ चुका है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या नोटबंदी या फिर मेक इन इंडिया- नरेंद्र मोदी ने अपनी सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। भरोसा है कि उनके नेतृत्व में भारत विश्व सम्राट बन जाएगा।
सुजीत कुमार बर्णवाल
 होलंग, हजारीबाग

अमानवीय बनते हम
कभी-कभी लगता है कि अब कहीं इंसानियत नहीं बची। अगर ऐसा न होता, तो राजधानी दिल्ली में मां और बेटी को एक बंद कमरे में बिना रोशनी के  इतने दिन न गुजारने पड़ते। दो महिलाओं को इस तरह कैद करके रखे जाने की घटना साफ-साफ बता रही है कि वह व्यक्ति कितने कठोर दिल का होगा, जिसने इस हैवानियत भरी वारदात को अंजाम दिया। हालांकि इस तरह की घटनाएं दिल्ली में होती रही हैं। कुछ महीने पहले ही दो ऐसी लड़कियां एक बंद कमरे से बरामद की गईं, जिन्हें लंबे समय तक वहां कैद रखा गया था। सवाल यह है कि भारत जैसे सहिष्णु और शांत देश का नागरिक भला इतना हैवान क्यों बन गया है? आज समाज काफी हद तक बदल चुका है। मगर इस बदलते समय में भी हमें इंसानियत की लौ हमेशा जगाए रखनी चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं कर पाएंगे, तो यकीन मानिए कि हम आने वाली पीढ़ियों को  एक खतरनाक माहौल सौंपेंगे, जो  इस देश और समाज के हित में कतई  नहीं होगा।
विजय कुमार धानियां, दिल्ली

साइकिल चलाना मुश्किल
नई दिल्ली में जब बीआरटी थी, तब साइकिल चलाने वालों को थोड़ी राहत थी, लेकिन अब बीआरटी को नष्ट कर दिया गया है। साइकिल चलाने वाली जगहों पर अब बस स्टैंड बना दिए गए हैं, जो अब भी अधूरे पडे़ हुए हैं। कई जगह तो रास्ते पर मलवा डालकर छोड़ दिया गया है। इससे जो थोड़ी-बहुत भी जगह साइकिल चलाने के लिए मिल जाती थी, वह अब खत्म हो गई है। इस कारण साइकिल सवार लगातार दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। यही नहीं, उन्हें दूसरे वाहन चालकों का बुरा बर्ताव भी झेलना पड़ता है। अब अगर साइकिल के लिए अलग से रास्ते ही नहीं होंगे, तो पर्यावरण हितैषी लोग भी मजबूरी में इससे दूरी बनाने लगेंगे। जाहिर है, तब कारें और गाड़ियां अधिक से अधिक बिकेंगी, जिसका खामियाजा आखिरकार पूरे समाज व पर्यावरण को भुगतान होगा।
जितिन कुमार गोठवाल
 

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