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सबूत मांगना शर्मनाक

राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा कोई भी पहलू बहुत संवेदनशील, गोपनीय व महत्वपूर्ण होता है। भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व कांग्रेस नेता संजय निरूपम का सबूत मांगना बेहद...

सबूत मांगना शर्मनाक
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 06 Oct 2016 09:22 PM
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राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा कोई भी पहलू बहुत संवेदनशील, गोपनीय व महत्वपूर्ण होता है। भारतीय सर्जिकल स्ट्राइक पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व कांग्रेस नेता संजय निरूपम का सबूत मांगना बेहद शर्मनाक व निंदनीय है। इन्हें ऐसी घिनौनी राजनीति नहीं करनी चाहिए। क्या इन्हें इतनी भी समझ नहीं है कि इससे हमारी सेना का मनोबल टूटेगा? इनको याद दिलाना जरूरी है कि हम सब इन राष्ट्र प्रहरियों की वजह से ही महफूज हैं। पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक को झुठला रहा है, तो उसे कहने दीजिए, उस पर विश्वास ही कौन कर रहा है? हमारी अपनी सोच व कूटनीति है, जिसमें हमारा देश सफल भी हो रहा है। अब हमारे साथ कई देश आतंकवाद के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं। यह भारत की सफल कूटनीति का परिणाम है। ऐसे में, हम सभी भारतवासियों को एकजुटता दिखानी चाहिए, ताकि विश्व पटल पर अच्छा संदेश जाए।
स्नेह कुमार कुशवाहा, मीरगंज, बरेली

राष्ट्रभक्ति के आयाम
पाकिस्तान उग्रवादियों को पैदा करने और उन्हें संरक्षण देने वाला देश है। उसे नीचा दिखाना तो राष्ट्रभक्ति है ही, मगर इसके अलावा भी राष्ट्रभक्ति के कई आयाम हैं, जैसे अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए नोबेल प्राइज लाना, अधिक से अधिक ओलंपिक पदक लाना, देश की गरीबी दूर करना, बढ़ती महंगाई को कम करना, बेरोजगारी दूर करना, प्रत्येक नागरिक को आगे बढ़ाने और खुशहाल बनाने के साधन मुहैया कराना आदि। लेकिन इन सब मोर्चों पर वर्तमान सरकार खामोश है। क्यों?
दिनेश कुमार सिसोदिया, मेरठ

नेताओं का बौनापन
अगर कोई भी देश अपने ही देशवासियों के विश्वास पर खरा न उतरे, तो उस देश के दिशानायकों पर सवाल उठाना स्वाभाविक है, किंतु यदि देश में संकीर्ण सियासी स्वार्थ की खातिर देश के सुरक्षा बलों के प्रति ही अविश्वास व्यक्त किया जाए, तो स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हो जाती है। उरी की आतंकवादी घटना के जवाब में जिस तरह भारतीय सुरक्षा बलों ने भारत-पाक सीमा पर चल रहे कुछ आतंकी शिविरों को नष्ट किया। उस पर भारत के ही कुछ सियासी लोग अंगुली उठाने से बाज नहीं आए। उस हमले की वीडियो कवरेज की मांग करके ये नेता भारतीय सुरक्षा बलों के आक्रमण पर ही संदेह करने लगे। सीमा पर किस प्रकार से भारतीय सुरक्षाकर्मी भारतीयों की सुरक्षा में लगा है, यह किसी को समझने या समझाने की आवश्यकता नहीं है। फिर भी कुछ छद्म सियासी तत्व उनसे उनकी वीरता के प्रमाण मांगते हैं, तो लगता है कि ऐसे तत्वों को सबूत मांगने का कुछ अधिक ही शौक है। देश की सुरक्षा को बौना सिद्ध करने के लिए ऐसे राजनेता नीचता की किसी भी  हद को पार कर सकते हैं। 
सुधाकर आशावादी
 शास्त्री भवन, ब्रह्मपुरी, मेरठ   

पर्वों पर प्रदूषण
हर वर्ष दशहरा, दीपावली जैसे पर्वों व खुशी के अन्य अवसरों पर आतिशबाजी और इसके धुएं से भयंकर प्रदूषण होता है, जो सांस संबंधी बीमारियों को पैदा करने के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि का बड़ा कारण भी बनता है। पिछले कुछ वर्षों से इसमें बहुत कम और धूम्रपान में काफी कमी जरूर आई है, पर यह अभी ऊंट के मुंह में जीरे के समान ही है। इसके अलावा, चीनी मांझे और पतंगबाजी से भी गंदगी फैलती है और जान-माल की हानि होती है। आतिशबाजी तो सीधे-सीधे पैसे में ही आग है, जिसे देश की सुरक्षा, सशक्तीकरण और साफ-सफाई जैसे शुभ कार्यों में लगाया जा सकता है। सरकार और जनता को  इस पर तुरंत सबके हित में प्रतिबंधित लगाना चाहिए। खुशियां तो फूल, फल और मिठाइयों आदि से, यज्ञ-हवन जैसे पवित्र कार्यों से भी मनाई जा सकती हैं, जो सभी के लिए गुणकारी और शोभनीय हैं। 
वेद मामूरपुर, नरेला 
 

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