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फटे कुरते वाले राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना फटा कुरता पूरे देश को दिखाया और बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के कपड़े नहीं फटते। उनके कपड़े कैसे फटेंगे? वह तो अभी सत्ता में हैं। मगर एक बात है कि जब से कांग्रेस...

फटे कुरते वाले राहुल
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 19 Jan 2017 12:28 AM
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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना फटा कुरता पूरे देश को दिखाया और बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के कपड़े नहीं फटते। उनके कपड़े कैसे फटेंगे? वह तो अभी सत्ता में हैं। मगर एक बात है कि जब से कांग्रेस सत्ता से हटी है, तब से वह कभी मोदी के सूट को मुद्दा बनाती है, तो कभी उनके मजबूत कपड़ों को। दिलचस्प है कि आजादी के बाद से ज्यादा वर्षों तक कांग्रेस के ही ठाठ-बाट रहे, पर कभी विपक्ष में रहते हुए जनसंघ या भाजपा ने कपड़े को उतना बड़ा मसला नहीं बनाया, जितना कांग्रेस ने ढाई साल में बनाया है। नेहरू जी सूट-बूट में ही हमेशा रहे, पर कभी विपक्ष ने उंगली नहीं उठाई। अब जब यदा-कदा मोदी जी ने सूट पहन लिया, तो राहुल जी अपना कुरता क्यों फाड़-फाड़कर दुनिया को कांग्रेस की गरीबी (सत्ताविहीन) की दास्तां सुना रहे हैं? अगर कांग्रेस हकीकत में गरीबों की मसीहा बनी रहती और उनके उत्थान के लिए कुछ कर गुजरती या घोटालों पर अंकुश लगा पाती, तो आज वह इतनी फटेहाल नहीं होती।
महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश

आर्थिक विषमता
‘ऑक्सफेम’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश का 58 प्रतिशत धन जमा है। ऐसे में, यदि सरकार और अमीरों ने साथ मिलकर काम किया, तो देश तेजी से आगे बढ़ सकता है। मगर ऐसा होने की संभावना नहीं है, क्योंकि ऐसा करने की उनकी मंशा नहीं है। आज आर्थिक विषमता चरम पर है, मगर इसे कम करने का ठोस प्रयास नहीं हो रहा। इससे असंतोष का उभरना स्वाभाविक है। इसीलिए गरीब और अमीर के बीच के अंतर को पाटने की जरूरत है।
अर्पिता पाठक

ड्रामे का अंत
राजनीति में कुछ भी हो सकता है। इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के भीतर चल रहा ड्रामा है। अखिलेश यादव ने चुनाव चिह्न साइकिल और पार्टी का नाम अपने पक्ष में करके सिद्ध कर दिया कि राजनीति में उसी की चलती है, जिसके पास संख्या बल ज्यादा है। मुलायम सिंह भी वस्तु-स्थिति को समझते हुए अब अपने बेटे के साथ खड़े हो गए हैं। वाकई राजनीति में सत्ता केंद्र में होती है और सत्ता पाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है।
राजेश सिंह

दलबदलुओं के सहारे
अपने को आज सबसे मजबूत पार्टी कहने वाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश में टिकट बंटवारे से साबित कर दिया है कि वह दलबदलुओं के सहारे राज्य में सत्ता पाना चाहती है। यह सही है कि सत्ता की मलाई खाने के लिए सभी पार्टियां हर तरीके अपना रही हैं। कोई दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा कर रहा है, तो कोई विपक्ष से गठबंधन कर रहा है। मगर भाजपा ने दूसरे दलों से आए नेताओं को कुछ अधिक टिकट बांटे हैं। इसके कारण पार्टी के पुराने नेताओं में असंतोष फैल सकता है। ऐसे में, लगता है कि अंतर्कलह भाजपा के लिए दुखदायी साबित हो सकता है।
राकेश कौशिक, नानौता, सहारनपुर

महिलाओं की आजादी
आने वाले चंद दिनों में पांच राज्यों में चुनाव हैं। हर तरफ चुनाव आयोग व सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी जाति व धर्म की राजनीति हो रही है। मेरा मानना है कि इसकी बजाय बड़ा मुद्दा महिला-संरक्षण होना चाहिए। आज देश भर में महिलाओं की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना भी बना दी, पर हकीकत में महिलाएं आज भी बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं। राजधानी दिल्ली तक में बुरा हाल है, तो दूसरे राज्यों की बात ही छोड़िए। मुलायम सिंह जैसे नेता कहते हैं कि बच्चे हैं, गलती हो जाती है, तो बेंगलुरु की घटना पर वहां के गृह मंत्री कहते हैं, इट्स हैपेन। आखिर कब मिलेगी आजाद भारत में महिलाओं को आजादी?
अरविंद प्रताप सिंह


 

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