जंगलराज कायम है
बिहार में पत्रकारों की हत्या जारी है। राज्य के समस्तीपुर में कुछ अज्ञात लोगों ने एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले साल सूबे में दो पत्रकार मारे गए थे, सीवान के राजदेव रंजन की हत्या और...
बिहार में पत्रकारों की हत्या जारी है। राज्य के समस्तीपुर में कुछ अज्ञात लोगों ने एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले साल सूबे में दो पत्रकार मारे गए थे, सीवान के राजदेव रंजन की हत्या और सासाराम की घटना आपने सुनी ही होगी। अब फिर एक घटना हमारे सामने है। इसका मतलब हम क्या यह समझें कि बिहार में जंगलराज और आगे बढ़ गया है? हालांकि पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के मामले में फरार आरोपी शार्प शूटर मोहम्मद कैफ ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में है। आरोपी कैफ के आत्मसमर्पण के बाद राजनीतिक बहस तेज हो गई थी। आखिर ये राजनीतिक बहसें अपराधियों की गिरफ्तारी पर क्यों होती हैं, जब किसी पत्रकार की हत्या बेरहमी से होती है, तब क्यों राजनीतिक गलियारों में सन्नाटा छाया रहता है? अब बहस से ज्यादा बिहार में बेखौफ हुए अपराधियों पर नकेल कसने की जरूरत है, जो अज्ञात हमलावर बनकर स्वतंत्र पत्रकारिता को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
विनीता मंडल, इलाहाबाद
ऊंट किस करवट बैठेगा
पांच राज्यों में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही दिग्गजों का दंगल शुरू हो गया है। ये चुनाव राष्ट्रीय राजनीति की भी दिशा भी करेंगे। उत्तर प्रदेश में मतदाताओं के भरोसे की कसौटी पर एम फैक्टर (मोदी-मुलायम-माया) में से कौन खरा उतरता है, यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा। सपा परिवार में बनी ‘दीवार’ का मौका विपक्ष जरूर भुनाना चाहेगा। पंजाब में ‘ए’ फैक्टर (अमरेंद्र-अरविंद) क्या अकाली दल पर पार पाकर सियासत की नई इबारत लिखेगा? चुनावों से पूर्व पेश होने वाला आम बजट ‘आम’ के लिए कितना ‘खास’ होगा, यह भी देखा जाएगा। निगाहें अब इसी ओर हैं कि चुनावी समर में ऊंट किस करवट बैठता है?
नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा
ममता की निर्ममता
बंगाल में जिस तरह टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं को हिंसक निशाना बनाया जा रहा है, वह निंदनीय है। बावजूद इसके ममता अपने नाम के विपरीत बनी हुई हैं। उनके द्वारा इस पर कोई आलोचना न करने की बजाय हिंसा को और उकसाना कहां तक उचित है? यह तो जगजाहिर की सारदा और रोजवैली जैसे चिटफंड घोटालों काकेंद्र रहा कोलकाता में आए दिन किसी न किसी नई चिटफंड कंपनी का जन्म होता रहता है, वह कंपनी लोगों के विश्वास को जीतती है और फिर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों का संरक्षण पाकर जनता को करोड़ों रुपये का चूना लगा जाती है। ऐसा नहीं है कि पहली बार टीएमसी के किसी नेता की संलिप्तता चिटफंड घोटाले में सामने आई है। सारदा घोटाले में तो टीएमसी प्रमुख तक आग की लपटें पहुंच गई थीं, जिसमें उनकी खासी फजीहत हुई थी। फिलहाल सारदा घोटाले का मामला ठंडे बस्ते में है, पर रोजवैली घोटाले से जुड़े लोगों की अगर जांच हो रही है, तो ममता में इतनी बौखलाहट क्यों है? अगर टीएमसी के नेता दूध के धुले हैं, तो वे बेदाग ही कहलाएंगे।
नवीन शर्मा
धौनी ने चौंकाया
टीम इंडिया के सफलतम कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धौनी ने अपनी कप्तानी छोड़कर एक बार फिर से सभी किक्रेट प्रेमियों को चौंका दिया। अच्छे खिलाड़ी की यही तो निशानी होती है। सवाल उठने से पहले ही सही निर्णय लेना। उनकी कप्तानी से भारतीय किक्रेट का स्तर ही बदल गया। साल 2007 में टीम इंडिया को टी-20 और 2011 में वर्ल्ड कप में जीत हासिल हुई। धौनी की कप्तानी में हमारी टीम वनडे और टेस्ट, दोनों में नंबर वन की रैंक पर भी रही है। धौनी जीत का श्रेय हमेशा अपनी पूरी टीम को देते थे, और युवा किक्रेटरों को हमेशा मौका देते थे। यह एक अच्छे खिलाड़ी की निशानी होती है।
सपना सिंह, द्वारका, नई दिल्ली