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प्रदूषण के खिलाफ

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक और कदम उठाया है। अब इसने एक जनवरी, 2017 से डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगाने का निर्देश दिया है। इसी...

प्रदूषण के खिलाफ
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 05 Dec 2016 10:13 PM
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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक और कदम उठाया है। अब इसने एक जनवरी, 2017 से डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगाने का निर्देश दिया है। इसी के साथ, एनजीटी ने तीनों नगर निगमों, डीडीए और अन्य प्राधिकरणों को कचरे में कमी लाने व उसके सही निपटान के लिए भी जल्द कदम उठाने का निर्देश दिया है। दिल्ली में जहरीली बनती हवा को रोकने में एनजीटी का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण है। बस देखना यह है कि जमीन पर यह कितना लागू हो पाता है। इसमें ही इसकी सफलता निहित है।
विनीता मंडल, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

सरकार और साहित्य
प्रजावत्सल होने के साथ-साथ राजा के लिए विद्या-व्यसनी होना भी जरूरी है। मगर आजकल गद््दी पर बैठते ही शासक इस उधेड़बुन में लग जाते हैं कि कहीं कोई उनके नीचे से उनकी बुनियाद न खींच ले। इसलिए उनका ज्यादातर समय अपने को प्रतिष्ठापित या सुरक्षित करने में ही निकल जाता है, और इसी वजह से साहित्य व साहित्यकार उसके लिए महत्वहीन हो जाते हैं। कौन नहीं जानता कि साहित्य समाज और संस्कृति का रक्षक होता है। जिस समाज का अपना साहित्य नहीं होता, वह कभी विकास नहीं कर सकता और न ही किसी स्थान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है। साहित्यकार का कार्य मात्र कलम चलाना नहीं है, बल्कि समाज के विकास में सक्रिय रूप से अपनी भूमिका का निर्वहन करना भी है। साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह ऐसे साहित्य का सृजन करे, जो राष्ट्रीय एकता, समानता, विश्व-बंधुत्व और सद्भाव के साथ-साथ हाशिये के लोगों का ख्याल रखे। जो काम भाषणों से नहीं हो सकते, वे अच्छे लेखन से हो सकते हैं। सरकार की रीति-नीति का सम्यक खुलासा करने में एक निष्पक्ष और जागरूक लेखक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 
शिबन कृष्ण रैणा, अलवर, राजस्थान
skraina123@gmail.com

माक्र्स से आगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी संबंधी ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम से कुछ लोग उन्हें साम्यवादी कार्ल माक्र्स से भी आगे देखने लगे हैं। बेनामी संपदा और धन पर मोदी सरकार की नजर को देखते हुए लोगों का यह सोचना गलत भी नहीं है। माक्र्सवादी सिद्धांत स्वयं मानता है कि पूंजीवाद पर ऐसे कड़े प्रहारों से ही जनवादी-साम्यवादी व्यवस्था संभव है। सही बात तो यह है कि माक्र्सवादी आज इस बात को लेकर हैरान हैं कि व्यापारियों की पार्टी में ऐसा भी कोई इंसान हो सकता है। वास्तव में, उचित समानता से ही किसी देश में स्थायी सुख-शांति संभव है।
वेद मामूरपुर, नरेला, दिल्ली

स्वदेशी अपनाएं 
आज के जीवन में जो गंभीर बिमारियां हमें हो रही हैं, उसका सबसे बड़ा कारण है मिलावटी वस्तुओं का प्रयोग। हम अपने घर के बनी चीजों से दूर भाग रहे हैं, और विदेशी वस्तुओं का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं। हमारे आलस्य ने आज हमें रोगी बना दिया है। एक समय था, जब गांधीजी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया था। मगर आज एफडीआई के नाम पर सैकड़ों विदेशी कंपनियां देश को खोखला कर रही हैं। इसे रोका जाना चाहिए।
श्रीराम, रावता मोड़, नई दिल्ली

बेरंग वापस
अपने यहां सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुंह की खाई और अब अमृतसर में सरताज अजीज को लताड़ पड़ी है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में उन्हें जमकर लताड़ा। हमारे प्रधानमंत्री भी उन्हें खरी-खरी सुनाने में पीछे नहीं रहे। सब तरफ से पाक घिर रहा है, मगर अपनी बुरी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। शायद उसे अब उसी की भाषा में जवाब देने का वक्त आ गया है।
महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश
 

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