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जवाबदेही तय हो

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते समय गुजरात सरकार से यह पूछा कि क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल इसलिए पूछा, क्योंकि संप्रग सरकार के कार्यकाल में संसद से पास...

जवाबदेही तय हो
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 02 Feb 2016 08:22 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते समय गुजरात सरकार से यह पूछा कि क्या गुजरात भारत का हिस्सा नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल इसलिए पूछा, क्योंकि संप्रग सरकार के कार्यकाल में संसद से पास खाद्य सुरक्षा कानून को अभी तक कई राज्यों ने अपने यहां लागू नहीं किया है। इससे अभी सूखे से प्रभावित किसानों को राहत नहीं मिल पा रही है। गुजरात ने न सिर्फ खाद्य सुरक्षा कानून को किनारे किया, बल्कि उसने अपने राज्य को सूखा प्रभावित क्षेत्र भी घोषित नहीं किया है। वास्तव में, यदि हम भारत के सभी राज्यों में विकास को प्रभावित करने वाले कारणों पर ध्यान दें, तो पाएंगे कि केंद्र व राज्य में अलग-अलग सरकार होने के कारण कई राज्य राजनीति और प्रतिद्वंद्विता का अखाड़ा बन जाते हैं। इससे विकास का लाभ वहां की जनता को नहीं मिल पाता है। भारत में राजनीतिक दल कब सुधरेंगे, यह तो ईश्वर ही जाने, मगर नुकसान आखिरकार आम जनता का ही हो रहा है। इसका सबसे नवीन उदहारण दिल्ली है, जहां केंद्र व नगर निगम में बीजेपी, तो राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार है। मगर अब भी वहां की जनता अच्छे दिनों के लिए तरस रही है।
कन्हैया पाण्डेय, रघुनाथपुर, बिहार

विकास की जरूरत
उत्तराखंड सरकार और भाजपा के नेता प्रदेश में स्मार्ट सिटी बनाने के लिए बेताब हैं। यहां तक कि दून घाटी के चाय बागान तक को वे समाप्त कर देना चाहते हैं। उत्तराखंड का हर नागरिक चाहता है कि उसके राज्य का विकास हो, लेकिन विकास केवल शहरों का नहीं, बल्कि समग्र हो। इसके साथ ही विकास का आधार ऐसा हो कि पढ़ा-लिखा नौजवान पलायन के लिए मजबूर न हो। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कई गांव खाली हो गए हैं। पहले गांव के पास संसाधन नहीं थे। आज संसाधन हैं, मगर रोजगारोन्मुख कोई कार्यक्रम नहीं है। इसलिए पहाड़ का शिक्षित युवा रोजी-रोटी की तलाश में अपना घर-गांव छोड़कर शहरों की ओर भाग रहा है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन का मकसद था कि अपने लोग सरकार में होंगे और पहाड़ी परिवेश के जानकर होने के नाते वे अपने प्रदेश के विकास का खाका तैयार कर सकेंगे। मगर ऐसा न हो सका। क्या हमारे माननीय नेता और प्रशासनिक अधिकारी इस तरफ ध्यान देंगे?
बीरेंद्र प्रसाद भट्ट, खजूरी, दिल्ली

जलवा भारत का
ऑस्ट्रेलिया में एकदिवसीय सीरीज हारने के बाद ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम टी-20 सीरीज भी हार जाएगी, लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम ने टी-20 सीरीज जीती, वह ऐतिहासिक और जबर्दस्त है। भारत ने यह सीरीज ऑस्ट्रेलिया को क्लीन स्वीप करते हुए जीत ली। ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम को उसी के घर में हराना वाकई गर्व की बात है। इस ऐतिहासिक जीत पर सभी क्रिकेट प्रेमियों की तरफ से भारतीय टीम के सदस्यों को हार्दिक बधाई।
सुरेश चंद तोमर, बरेली

मोदी की संपत्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संपत्ति का जो ब्योरा सामने आया है, उसे देखकर यह लगता है कि वाकई मोदी सादगी की मिसाल हैं। प्रधानमंत्री के रूप में कुछ हजार रुपये ही कैश में उनके पास हैं। इतना ही नहीं, तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके मोदी अपने पास गाड़ी भी नहीं रखते। एक ऐसे देश में, जहां की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है और भूखे पेट सोने को मजबूर है, उसके मुखिया का अपने लिए धन अर्जित न करना सुखद है। उम्मीद है कि शासन-प्रशासन में जो भ्रष्टाचार पिछले छह दशकों में बढ़ते हुए भस्मासुर बन गया था, उसे मोदी खत्म करने में सफल होंगे। संपत्ति अर्जित करने को लेकर उनकी अरुचि उन सभी अधिकारियों, नौकरशाहों, मंत्रियों व सांसदों के लिए भी अनुकरणीय हो सकती है, जो दिन-रात इसी फिराक में रहते हैं कि देश को किस तरह लूटा जाए? ऐसे प्रधानमंत्री पर पूरी जनता को गर्व है।
रवींद्रनाथ झा
महरौली, नई दिल्ली

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