फोटो गैलरी

Hindi Newsपटना में गंगा नदी में भी हो यातायात की सुविधा

पटना में गंगा नदी में भी हो यातायात की सुविधा

पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करना होगा। इसके तहत यातायात के एक से अधिक साधन विकसित करने होंगे। इसके कई फायदे हैं। यह कहना है आईआईटी रुड़क के प्रो. एसएस जैन...

पटना में गंगा नदी में भी हो यातायात की सुविधा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 28 Sep 2016 10:52 PM
ऐप पर पढ़ें

पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करना होगा। इसके तहत यातायात के एक से अधिक साधन विकसित करने होंगे। इसके कई फायदे हैं। यह कहना है आईआईटी रुड़क के प्रो. एसएस जैन का। वे एनआईटी पटना में आयोजित सस्टेनेबल अर्बन ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रह थे। उन्होंने कहा कि पटना को स्मार्ट बनाने के लिए सड़क के अलावा गंगा नदी में भी यातायात की सुविधा विकसित करनी चाहिए। गंगा के किनारे दानापुर से पटना सिटी तक मोटर बोट या स्टीमर की सुविधा शुरू की जानी चाहिए। मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम रेल, बस और मेट्रो सेवा को एक साथ जोड़ना होगा। इसे सपोर्ट करने के लिए बस सेवा का फीडर सिस्टम के तहत इस्तेमाल होना चाहिए। यानी यदि किसी को कहीं जाना हो तो बस और मेट्रो का टिकट एक साथ ही मिले। लंबी दूरी के लिए ट्रेन और कम दूरी के लिए बस सेवाओं का इस्तेमाल हो। पैदल और ई-रिक्शा के इस्तेमाल पर लोगों को ध्यान देना चाहिए। लोगों की राय महत्वपूर्ण : सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट, दिल्ली के डॉ. रवींद्र कुमार ने कहा कि कोई भी सेवा शुरू करने से पहले विशेषज्ञों की राय के अलावा लोगों की राय लेना महत्वपूर्ण है। लोगों को क्या सुविधा चाहिए, वे सेवा के लिए कितना खर्च कर सकते हैं। दिल्ली के रिंग रेलवे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि लोग इस सेवा का बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि इसे लागू करने से पहले लोगों की राय नहीं ली गई। जबकि मेट्रो सेवा का लोग खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अहम भूमिका : आईआईटी खड़गपुर की डॉ. स्वाति मित्रा ने कहा कि सस्टेनेबल अर्बन ट्रांसपोर्टेशन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अहम भूमिका है। पटना में पैदल और साइकिल की सवारी करने वालों की संख्या करीब 50 प्रतिशत है। इनके लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए। फुटपाथ ऐसा हो जिसपर बुजुर्गों को भी चलने में परेशानी न हो। कंक्रीट सड़क बनाने की जरूरत : आईआईटी खड़गपुर के ही प्रो. भार्गव मित्रा ने कहा कि पटना में अलकतरा वाला रोड न बनाकर कंक्रीट रोड बनाया जाए। अलकतरा वाला रोड पानी में खराब हो जाता है। इसकी हर साल मरम्मत करानी पड़ती है। खराब होने पर अलकतरा का एक परत चढ़ा दिया जाता है। सीमेंट के इस्तेमाल से कंक्रीट रोड पानी से खराब नहीं होता। दो तरह की हो बस सेवाएं : प्रो. भार्गव ने कहा कि पटना को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए यहां दो तरह की बस सेवाएं शुरू की जानी चाहिए। एक ऐसी बस सेवा शुरू की जाए, जो आम लोगों के इस्तेमाल में आए जिसमें लोगों को कम किराया देना पड़े। दूसरी बस सेवा सारी सुविधाओं से लैस हो। इसमें ऐसी सुविधाएं दी जाएं कि लोग अपनी गाड़ी से कहीं जाने के बजाए इस सेवा की ओर आकर्षित हों। पूरी तरह एसी बस हो और भीड़-भाड़ न हो। बीच में रुके नहीं। कॉमर्शियल ड्राइवर को दी जाए ट्रेनिंग : विशेषज्ञों ने राय दी कि कॉमर्शियल ड्राइवर को ट्रेनिंग देने के लिए एनआईटी पटना पहल करे। इनकी ट्रेनिंग एनआईटी में दी जाए। पश्चिम बंगाल के लिए आईआईटी खड़गपुर यह काम कर रहा है। वहां ड्राइवर को ट्रेनिंग दी जा रही है। क्योंकि करीब 80 प्रतिशत दुर्घटना कॉमर्शियल वाहनों से ही होती है। इनसेटएनआईटी को रिसर्च करने का प्रस्तावकार्यशाला के अंतिम दिन स्मार्ट सिटी, स्मार्ट ट्रांसपोर्ट विषय पर पैनल डिस्कशन आयोजित हुआ। इसमें विशेषज्ञों ने कहा कि पटना को स्मार्ट बनाने के लिए स्मार्ट ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था बहुत जरूरी है। इसके लिए पटना के सड़कों का डाटाबेस तैयार करना बहुत जरूरी है। कार्यशाला के को-ऑर्डिनेटर संजीव सिन्हा ने बताया कि पटना पर रिसर्च करना होगा। यहां लोगों की संख्या कितनी है। किस स़ड़क पर लोगों का मूवमेंट सबसे अधिक है। लिंक सड़कों की क्या स्थिति है। इसलिए एनआईटी पटना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अशोक राजपथ पर रिसर्च कर इसका डाटाबेस तैयार करेगा। इसमें एनआईटी अपने छात्रों और संसाधनों का इस्तेमाल करेगा। पैनल डिस्कशन को शुभाजीत और डॉ. रंजा बंधोपाध्याय ने को-ऑर्डिनेट किया। कार्यशाला में शहरी विकास विभाग के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। प्रो. संजीव ने बताया कि कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा आए सुझाव का प्लान बनाकर आयुक्त, शहरी विकास विभाग, सड़क निर्माण विभाग और परिवहन विभाग को भेजा जाएगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें