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परमात्मा को जाति-वर्ण नहीं भक्ति है प्यारी: स्वामी अड़गड़ानंद

बेलसर मार्ग पर टेढ़ी नदी स्थित परमहंस आश्रम में जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने कहा कि जाति-पांति व छुआछूत ने समाज का बहुत नुकसान किया है। परमात्मा जातीय कट्टरता पर नहीं भक्त...

परमात्मा को जाति-वर्ण नहीं भक्ति है प्यारी: स्वामी अड़गड़ानंद
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Mar 2017 07:22 PM
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बेलसर मार्ग पर टेढ़ी नदी स्थित परमहंस आश्रम में जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने कहा कि जाति-पांति व छुआछूत ने समाज का बहुत नुकसान किया है। परमात्मा जातीय कट्टरता पर नहीं भक्त की सज्जनता पर रीझते हैं।

स्वामी जी परमहंस आश्रम में आयोजित वार्षिक प्रवचन एवं भण्डारा कार्यक्रम में शामिल श्रद्धालुओं को ललकारा। स्वामी जी ने कहा कि मानव का रूप रंग, प्रकृति व माता-पिता की देन है। मानव का जैसे उस पर कोई बस नहीं है, उसी प्रकार जड़ चेतन प्रकृति सभी स्थानों पर परमात्मा का ही जलवा है। हमारे संतों में कबीर, सूर, तुलसी, नानक, मीरा, रैदास ने इसी सत्य का वर्णन किया है। उन्होंने कहा कि मानव को धर्म व नैतिकता का संदेश देने के लिए स्वयं भगवान ने अपने मुख से गीता का गायन किया है। संतों ने उसी वाणी का विस्तार दिया है। हर व्यक्ति को भगवान की वाणी यथार्थ-गीता के संदेश को अपने जीवन में उतारनी चाहिए।

इसके पूर्व प्रवचन में व्यास बाबा, भावानंद जी महराज, तुलसी बाबा, सोहम बाबा व बच्चा महाराज ने परमात्मा की भक्ति व गीता पर प्रकाश डाला। समाजसेवी केदारनाथ तिवारी के संचालन में प्रवचन कार्यक्रम में चेतनानंद जी महाराज, जगदम्बिका पाण्डेय, व्यंकटेश पाण्डेय, पप्पू सिंह व अजीत सहभागी रहे।

दिन भर चला भण्डारा, प्रदर्शनी में उमड़े लोग

परमहंस आश्रम में वार्षिक प्रवचन के उपलक्ष्य में पूर्वाह्न 11 बजे से देर शाम तक भण्डारा चलता रहा। भण्डारे में स्त्री पुरुष, बच्चे व बूढ़ों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान मालती सिंह, कालिन्दी सिंह आदि महिलाएं मौजूद रहीं। कार्यक्रम में स्वामी अड़गड़ानंद द्वारा लिखित यथार्थ गीता की भी खूब बिक्री हुई।

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