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पार्किंग का इंतजाम न हो तो सील कर दें बिल्डिंग : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा है कि शहर की जिन बिल्डिंगों में पार्किंग का इंतजाम न हो उन्हें सील करने की कार्यवाही की जाए। कोर्ट ने अवैध व अनाधिकृत पार्किंग हटाने का अभियान चलाने का निर्देश भी दिया है। साथ ही...

पार्किंग का इंतजाम न हो तो सील कर दें बिल्डिंग : हाईकोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 20 Sep 2016 02:04 PM
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हाईकोर्ट ने कहा है कि शहर की जिन बिल्डिंगों में पार्किंग का इंतजाम न हो उन्हें सील करने की कार्यवाही की जाए। कोर्ट ने अवैध व अनाधिकृत पार्किंग हटाने का अभियान चलाने का निर्देश भी दिया है। साथ ही सौंदर्यीकरण, पार्किंग व्यवस्था व सुचारू ट्रैफिक के अध्ययन के लिए कमेटी गठित करने को कहा है। नगर निगम को अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को स्ट्रीट वेंडरों के लिए एक माह में नियमावली बनाने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने जल निगम व जल संस्थान से पिछले 10 वर्ष में जेएनयूआरएम या अन्य योजनाओं के तहत बिछाई गई सीवर लाइन का पूरा ब्योरा मांगा है। कहा है कि टूटी सड़कों के लिए जवाबदेही तय की जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने अशोक कुमार व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने पूर्व में दिए गए निर्देशों का पालन न करने पर नाराजगी भी जताई और कहा कि सख्त कार्यवाही के निर्देश के बावजूद अवैध पार्किंग से ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। कोर्ट ने इलाहाबाद विकास प्राधिकरण, नगर निगम और एसपी ट्रैफिक को टीम बनाकर अभियान चलाने का निर्देश दिया है। कहा कि नोटिस दिए जाने के बाद अवैध पार्किंग करने वाली संस्थाएं सील की जाएं। कोर्ट ने एसएसपी को इस अभियान के लिए फोर्स उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने डीएम, एडीए उपाध्यक्ष, एसएसपी, नगर आयुक्त व एसपी ट्रैफिक को टीम बनाकर विकास की दीर्घकालीन योजना का खाका पेश करने का निर्देश दिया है। कहा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था, पार्किंग सुविधा एवं व्यावसायिक केंद्रों के सौंदर्यीकरण की योजना का अध्ययन किया जाए। लोक निर्माण की गाइड लाइन तैयार की जाए। सही काम न करने वाली एजेंसियों पर कार्यवाही की व्यवस्था की जाए। कोर्ट ने जल निगम व जल संस्थान से पूछा है कि शहर के कितने क्षेत्र में सीवर लाइन पड़ चुकी है। कोर्ट ने कहा कि सड़क की समय सीमा के भीतर मरम्मत की व्यवस्था की जाए। साथ ही काम करने वाली एजेंसी की जवाबदेही तय की जाए।

कोर्ट ने एडीए द्वारा बिना योजना किए गए मनमाने निर्माण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि मास्टर प्लान, जोनल प्लान व बिल्डिंग बाई लॉज का पालन किया जाए। कोर्ट ने चीफ टाउन प्लानर एवं उपाध्यक्ष एडीए को निर्देश दिया कि नक्शा स्वीकृत करने की गाइड लाइन बनाएं। कोर्ट ने स्ट्रीट वेंडरों के लिए 2014 में बने कानून की धारा 36 के तहत नियमावली तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को एक माह का समय दिया है।

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