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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, वीआरएस और इस्तीफे में फर्क नहीं

हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) व इस्तीफा देना, दोनों में कोई फर्क नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति या इस्तीफा सेवा समाप्ति के तरीके हैं जिनसे...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, वीआरएस और इस्तीफे में फर्क नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 28 Sep 2016 08:52 PM
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हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) व इस्तीफा देना, दोनों में कोई फर्क नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति या इस्तीफा सेवा समाप्ति के तरीके हैं जिनसे नियोक्ता व कर्मचारी के बीच संविदा का अंत होता है।

कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति व इस्तीफा से सेवा समाप्ति के तरीके में कोई अंतर है। यह नियोक्ता व कर्मचारी के बीच करार की विषय वस्तु है। इसी के साथ कोर्ट ने शिवचरनदास कन्हैया लाल इंटर कॉलेज इलाहाबाद में 30 वर्ष की सेवा के बाद इस्तीफा देने वाले अध्यापक को सेवानिवृत्ति परिलाभों का हकदार माना और उन्हें आठ हफ्ते के भीतर पेंशन व अन्य परिलाभों का निर्धारण कर वास्तविक भुगतान करने का निर्देश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने डॉ. राम किशोर शुक्ल की याचिका पर अधिवक्ता पीयूष शुक्ल व वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा को सुनकर दिया। याचिका में इस्तीफा स्वीकार होने के आधार पर पेंशन देने के आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि याची ने पारिवारिक समस्या के कारण लेक्चरर पद से त्यागपत्र दे दिया था लेकिन जल्द ही उसे वापस लेने की अर्जी भी दी थी। कॉलेज की प्रबंध समिति ने इस्तीफा स्वीकार किए जाने के आधार पर याची को पेंशन देने से इनकार कर दिया। याची का कहना था कि सेवा नियमावली 1964 के अनुसार 25 साल की सेवा के बाद कर्मचारी को पेंशन पाने का अधिकार है। याची ने 30 साल तक सेवा की है इसलिए उसे पेंशन पाने का अधिकार है।

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