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सिविल सेवा परीक्षा में फीकी पड़ी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चमक

प्रशासनिक सेवा की देश की सबसे बड़ी सिविल सेवा परीक्षा (आईएएस) में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चमक फीकी पड़ गई है। एक दौर में आईएएस बनाने की फैक्ट्री कहे जाने वाले पूरब के आक्सफोर्ड के छात्रों की सफलता दर...

सिविल सेवा परीक्षा में फीकी पड़ी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चमक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 18 Sep 2016 07:00 PM
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प्रशासनिक सेवा की देश की सबसे बड़ी सिविल सेवा परीक्षा (आईएएस) में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चमक फीकी पड़ गई है। एक दौर में आईएएस बनाने की फैक्ट्री कहे जाने वाले पूरब के आक्सफोर्ड के छात्रों की सफलता दर लगातार कम हो रही है।

पिछले पांच वर्षों में सफल छात्रों की संख्या दहाई से घटकर इकाई में सिमट ही गई थी। सिविल सेवा परीक्षा 2013 की चयन सूची से तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम ही बाहर हो गया। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2014-15 की वार्षिक रिपोर्ट इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। बीएचयू जो इस परीक्षा में सफलता के मामले में इविवि से कई पायदान नीचे हुआ करता था वह अब काफी ऊपर हो गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक सिविल सेवा परीक्षा 2013 में देशभर के 210 उच्च शैक्षिक संस्थानों के विद्यार्थी इंटरव्यू तक पहुंचे थे। इनमें से 57 संस्थानों के छात्रों को चयनित किया गया था। इस सूची में इविवि का नाम ही नहीं है। यह स्थिति तब है जबकि 2008 की परीक्षा में इविवि देशभर के 152 शैक्षिक संस्थानों में चौथे, 2009 की परीक्षा में 170 शैक्षिक संस्थानों में पांचवें तो 2010 की परीक्षा में 171 शैक्षिक संस्थानों में आठवें स्थान पर था। गिरावट 2011 की परीक्षा से शुरू हुई। इस वर्ष इविवि देशभर के 193 शैक्षिक संस्थानों में 37वें स्थान पर चला गया था तो 2012 की परीक्षा में इसका नाम 200 शैक्षिक संस्थानों में 41वें स्थान पर था।

उत्साहजनक नहीं है प्री का नतीजा

यूपीएससी ने दो दिन पहले सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2016 का परिणाम घोषित किया। इस रिजल्ट को भी बहुत उत्साहजनक नहीं बताया जा रहा है। रिजल्ट आने के बाद हॉस्टलों और डेलीगेसी में जो माहौल बनता था, वह माहौल इस बार भी नहीं देखा गया।

सीसैट है इसकी बड़ी वजह

सिविल सेवा कोच रनीश जैन कहते हैं कि इस स्थिति की अव्वल वजह तो सीसैट है। आंकड़े से साफ है कि सफलता दर में गिरावट 2011 की परीक्षा से तब शुरू हुई जब सीसैट को लागू किया गया। सीसैट से इस परीक्षा में अंग्रेजी का महत्व काफी बढ़ गया। इविवि के छात्र यहीं मात खा रहे हैं। शिक्षकों की कमी की वजह से इविवि की शैक्षिक गुणवत्ता का स्तर भी काफी खराब हो गया है।

वर्ष मेन्स दिए चयनित हुए अखिल भारतीय स्थान

2008 1059 26 चौथा

2009 878 25 पांचवां

2010 837 21 आठवां

2011 174 07 37वां

2012 50 06 41वां

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