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नीतीश बोले-कहां है जंगलराज, क्या शाम में महिलाएं घर से नहीं निकल रही हैं

राजद के साथ आने पर जंगलराज-दो का एनडीए का आरोप झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोधियों से पूछा है कि कहां है जंगलराज, क्या शाम में महिलाएं घर से नहीं निकल रही हैं। पूर्वाग्रह से प्रेरित लोग एक...

नीतीश बोले-कहां है जंगलराज, क्या शाम में महिलाएं घर से नहीं निकल रही हैं
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 04 Sep 2015 08:41 PM
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राजद के साथ आने पर जंगलराज-दो का एनडीए का आरोप झेल रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोधियों से पूछा है कि कहां है जंगलराज, क्या शाम में महिलाएं घर से नहीं निकल रही हैं। पूर्वाग्रह से प्रेरित लोग एक परसेप्शन क्रिएट कर रहे हैं। मौजूदा सरकार को राजद व कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है और कानून का राज कायम है। देश में अपराध के ग्राफ में बिहार का स्थाना 22वां है।
 
लालू के साथ जाना मजबूरी नहीं :

निजी चैनल के कार्यक्रम में राजद के साथ जाने को सीएम ने मजबूरी मानने से इनकार किया। कहा, यह पॉलिटिकल लाइन व वक्त की मांग है। अगर भाजपा के साथ कोई जुड़ता है तो सफलता और विस्तार, हमारा गठबंधन मजबूरी कैसे। केंद्र में जब भाजपा को पूर्ण बहुमत है तो वे गठबंधन में क्यों हैं।
 
ओबीसी पीएम का प्रचार क्यों
 
मंडल राज दो के नाम पर कास्टकार्ड खेलने के आरोप पर सीएम ने कहा कि वे ओबीसी पीएम का प्रचार क्यों कर रहे हैं। जिस मंडल आयोग की सिफारिशों पर वर्ग विशेष को सुविधा मिल रही है, उसका नाम लें तो हम गलत कैसे हो गए। जात-संप्रदाय का कार्ड खेलने वाले लोग दिल्ली में बैठे हैं। जिस तरह से राज्य का चुनाव जीतने के लिए जोर लगा रहे हैं, उस हिसाब से तो हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होंगे तो वे (प्रधानमंत्री) शासन कैसे करेंगे।

मांझी को सीएम घोषित करें

जीतन राम मांझी को चुनावी फैक्टर मानने से इनकार करते हुए सीएम ने कहा कि हमने कभी भी महादलित को सीएम बनाने की चर्चा नहीं की। भाजपा के साथ थे, इसलिए जदयू ने उन्हें हटाया। मांझी को हटाने पर सवाल कर रहे भाजपा को बताना चाहिए कि केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी, उमा भारती के बदले बाबूलाल गौड़ व फिर शिवराज सिंह, यूपी में राजनाथ सिंह कैसे सीएम बने थे। मांझी को लेकर इतनी पीड़ा है और घुटने से आंसू बहा रहे हैं तो क्यों नहीं उन्हें सीएम प्रत्याशी घोषित कर देते।
 
उनके विचार नहीं माने तो गलत

सीएम ने कहा कि अटल-आडवाणी युग के बाद भाजपा का नया अवतार हुआ है। एक संप्रदाय विशेष पर आए दिन कैसे-कैसे बयान आ रहे हैं। उनके विचार न मानने वाले लोग गलत हैं। बहुमत मिलने पर सरकार चलाई जा सकती है, इस तारह देश नहीं चला सकते। फिर भी उनसे कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं, राजनैतिक, सैद्धांतिक व नीतिगत मतभेद हैं। 

पीड़ा हुई तो मेरे नेतृत्व में चुनाव क्यों लड़े

2010 में भोज कैंसिल किए जाने पर सीएम ने कहा कि यह भाजपा की ओर से रद्द किया गया था। जदयू ने तो पूरा खर्च किया। वैसे भी अगर भाजपा को इतनी पीड़ा हुई थी तो 2010 में मेरे नेतृत्व में चुनाव क्यों लडे़। अब इतने साल बाद उसकी चर्चा क्यों हो रही है।

वायदा पूरा नहीं

लोकसभा चुनाव में पीएम के उम्मीदवार व तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 100 दिन में कालाधन लाने का दावा किया था। अब कहते हैं कि पता नहीं कितना पैसा है। हम तो हर साल काम का रिपोर्ट कार्ड पेश करते रहे। खुद 14 महीने का हिसाब क्यों नहीं देते। पांच साल में तो जनता हिसाब कर देती है।
 
नेता से पूछें एसी का हाल

सीएम ने कहा कि उनके नेताओं की ओर से जुटाई भीड़ में अब बिजली पर कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है। बिजली के मसले पर पीएम को अपने नेताओं से पूछना चाहिए कि उनके घर में एसी चल रहा है कि नहीं।

था सोशल साइट्स पर

पीएम की तर्ज पर सोशल साइट्स पर प्रचार का नकल करने पर सीएम ने कहा कि फेसबुक व ब्लॉग पर पहले से था। ट्वीटर पर इसलिए आया कि केंद्र की यूनियन ट्वीटर सरकार इसी की भाषा समझती है। प्रचार के लिए पीएम को गुरु मानने से इनकार करते हुए कहा कि तब तो मुझे 2002 से भी सीखना पड़ेगा। सोशल साइट्स से प्रचार करने का काम अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के आंदोलन से शुरू किया न कि भाजपा ने।
 
केजरीवाल से राजनीतिक बातें नहीं

उन्होंने कहा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से कोई राजनीतिक बातें नहीं हुई। कांग्रेस, आप के रिश्ते जगजाहिर हैं। आप की राजनीतिक धारा अलग है और हम परंपरागत धारा के तहत राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली के पूर्ण राज्य का हम समर्थन करते हैं तो वे बिहार को विशेष दर्जा का समर्थन कर रहे हैं।

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